दिल्ली के 15% स्विंग वोटर्स पर सभी पार्टियों की नजर, किसके हाथ में होगी सत्ता की चाबी?
Delhi Assembly Elections 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी, भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर है. सत्ता की असली चाबी उन 15% स्विंग वोटर्स के हाथ में है, जो कभी मोदी तो कभी केजरीवाल को समर्थन देते हैं. दोनों प्रमुख दलों की कोशिश इन्हीं मतदाताओं को लुभाने पर केंद्रित है.
Delhi Swing Voters: दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है. तीनों दल जनता को लुभाने के लिए बड़े-बड़े वादे कर रहे हैं. दिल्ली के 1.55 करोड़ मतदाताओं को तय करना है कि अगले पांच वर्षों के लिए सत्ता किसके हाथों में होगी. हालांकि, चुनाव की असली चाबी उन 15% स्विंग वोटर्स के हाथ में है, जो कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को समर्थन देते हैं तो कभी अरविंद केजरीवाल की मुफ्त योजनाओं के पक्ष में मतदान करते हैं.
स्विंग वोटर्स का रुझान कैसा रहा है?
आपको बता दें कि दिल्ली में बीते कुछ विधानसभा और लोकसभा चुनावों के नतीजों का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि लगभग 15% वोटर्स बार-बार अपना रुख बदलते हैं. ये मतदाता कभी 'आप' के झाड़ू को तो कभी भाजपा के कमल को वोट देते हैं. 2015 के विधानसभा चुनावों में 'आप' को करीब 54% वोट मिले थे, जबकि भाजपा को 38% और कांग्रेस महज 4% वोट तक सीमित रह गई थी.
बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए दिल्ली की सभी 7 सीटों पर जीत दर्ज की थी. उस चुनाव में भाजपा को 54% वोट, 'आप' को 24% और कांग्रेस को 19% वोट मिले थे। 2020 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर 'आप' ने बाजी मारी और 53% वोटों के साथ बड़ी जीत दर्ज की, जबकि भाजपा 38% वोटों तक सीमित रही.
भाजपा की रणनीति: स्विंग वोटर्स को साधने की कोशिश
वहीं आपको बताते चले कि भाजपा पिछले 26 वर्षों से दिल्ली की सत्ता से बाहर है। इस बार पार्टी का फोकस उन स्विंग वोटर्स को अपने पाले में बनाए रखने पर है, जिन्होंने लोकसभा चुनाव में भाजपा का समर्थन किया था. भाजपा केजरीवाल सरकार की नीतियों को 'शीशमहल', गंदे पानी की आपूर्ति, यमुना प्रदूषण जैसे मुद्दों पर घेर रही है. पीएम मोदी ने भी आश्वासन दिया है कि यदि भाजपा सत्ता में आती है तो मुफ्त योजनाओं को जारी रखा जाएगा.
'आप' का दांव - मुफ्त योजनाओं का जादू
इसके अलावा आपको बता दें कि अरविंद केजरीवाल की 'आप' सरकार दिल्ली में मुफ्त बिजली, पानी, महिला सुरक्षा और शिक्षा सुधार जैसी योजनाओं के दम पर चुनावी मैदान में उतरी है. पार्टी का दावा है कि उसकी मुफ्त योजनाएं दिल्ली के आम लोगों की जिंदगी को बेहतर बना रही हैं.
किसके पक्ष में जाएगा मतदाता?
बहरहाल, दिल्ली के स्विंग वोटर्स इस चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं. भाजपा और 'आप' दोनों ने इन मतदाताओं को साधने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. देखना दिलचस्प होगा कि क्या भाजपा स्विंग वोटर्स को रोक पाएगी या फिर 'आप' अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखेगी.