Delhi Assembly Elections में मुस्लिम वोटरों की गूंज, किसके सिर सजेगा जीत का ताज?

दिल्ली विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोटर्स अहम भूमिका निभाने वाले हैं. 12.9% मुस्लिम आबादी वाली राजधानी में आप और कांग्रेस के बीच वोटों का बंटवारा बीजेपी के लिए चुनौती खड़ी कर सकता है. छह सीटों पर मुस्लिम वोटर जीत-हार तय करेंगे. मुस्लिम समुदाय की नाराजगी और उम्मीदों के बीच दोनों दलों ने खास रणनीतियां बनाई हैं. यह वोट गेमचेंजर बन चुनावी नतीजों को प्रभावित करेगा?

Lalit Sharma
Edited By: Lalit Sharma

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है. उत्तर-पूर्वी दिल्ली के न्यू सीलमपुर मार्केट में विधानसभा चुनाव पर चर्चा जोरों पर है. मोहम्मद सलीम ने कहा कि 5 फरवरी को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को रोकने के लिए शायद उन्हें आम आदमी पार्टी (आप) या कांग्रेस में से किसी एक को चुनना होगा. सलीम ने मुस्लिम वोटों के दो गैर-भाजपा दावेदारों के बीच बंट जाने की आशंका पर चुटकी ली.

21 लाख मुस्लिम वोटों का असर

दिल्ली के 21.6 लाख मुसलमान, जो कुल आबादी का 12.9% हैं, इस बार अपने विकल्पों पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं. हिंदू कॉलेज के राजनीति विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर चंद्रचूड़ सिंह का मानना है कि मुस्लिम समुदाय बीजेपी को वोट नहीं देगा. उन्होंने कहा कि अगर आज चुनाव होते हैं, तो मुसलमान आप का समर्थन करेंगे. कांग्रेस की रणनीति और उम्मीदवारों की भूमिका भी महत्वपूर्ण होगी.

क्या कांग्रेस को मिलेगा मुस्लिम समुदाय का समर्थन?

आप के "नरम हिंदुत्व" के रुख पर सवाल पूछे जाने पर चंद्रचूड़ सिंह ने कहा कि आप की नीतियां महिलाओं और मुफ्त सुविधाओं पर केंद्रित हैं. चूंकि आप बीजेपी के खिलाफ है, इसलिए मुस्लिम मतदाता उससे अलग नहीं होंगे. हालांकि, कांग्रेस के प्रति कुछ वफादार वोटर्स का झुकाव संभव है.

मुस्लिम वोटर्स के लिए अहम निर्वाचन क्षेत्र

दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से छह पर मुस्लिम समुदाय का महत्वपूर्ण प्रभाव है. इनमें सीलमपुर (50% मुस्लिम मतदाता), मटिया महल (48%), ओखला (43%), मुस्तफाबाद (36%), बल्लीमारान (38%), और बाबरपुर (35%) शामिल हैं. 2020 के चुनावों में आप ने इन सभी सीटों पर जीत दर्ज की थी. इसके अलावा, सीमापुरी (25%), गांधी नगर (22%), चांदनी चौक (20%), सदर बाजार (20%), विकासपुरी (20%), और करवाल नगर (20%) जैसे क्षेत्रों में भी मुस्लिम वोटर्स की भूमिका अहम होगी.

एआईएमआईएम की एंट्री और वोटों का बंटवारा

हैदराबाद आधारित पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) भी चुनावी मैदान में उतर रही है. इससे दोनों प्रमुख दलों के वोट शेयर में सेंध लगने की संभावना है.

मुस्लिम समुदाय की सोच और समस्याएं

50 वर्षीय सायरा बानो ने कहा कि कांग्रेस अच्छे लोगों वाली पार्टी है, लेकिन केजरीवाल ने भी दिल्ली के लिए अच्छा काम किया है. दोनों में से कोई भी जीते, तो मुझे खुशी होगी. हालांकि, उन्होंने जाफराबाद में गंदे पानी, कचरे और ओवरफ्लो सीवर की समस्या पर नाराजगी जताई.

आप के समर्थक भी सक्रिय

वेलकम के रहने वाले 33 वर्षीय अब्दुल फाजिल ने साफ तौर पर कहा कि वह आप को वोट देंगे. उन्होंने कहा कि आप धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करती. पहले मेरा बिजली बिल 2,000-2,200 रुपये आता था, लेकिन अब जीरो हो गया है.

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12 January 2025, 11:27 PM IST

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