'मेरे पास दिल्ली में घर नहीं है, CM का बंगला छोड़कर आपके यहां आकर रहूंगा'

अरविंद केजरीवाल ने रविवार को एक बार फिर केंद्र सरकार पर जमकर हमले बोले. जंतर-मंतर से 'जनता की अदालत' से लोगों को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने 'अन्ना आंदोलन' से लेकर अपने सफर के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि हमने 10 वर्षों में सिर्फ इज्ज़त कमाई है, पैसा कमाना होता तो इनकम टैक्स में कमा लेता.

JBT Desk
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Arvind Kejriwal: दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को जंतर मंतर से एक बार फिर हुंकार भरी. साथ ही अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा कि अजाद भारत का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन 'अन्ना आंदोलन' इसी तंजर मंतर से शुरू हुआ था. उन्होंने बताया कि यह आंदोलन 4 अप्रैल 2011 को शुरू हुआ था, मुझे तारीख आज भी याद है. उन्होंने कहा कि उस वक्त की सरकार भी अहंकारी थी और चैलेंज करते थे कि चुनाव लड़ो और जीतकर दिखाओ. उन्होंने कहा कि हम तो छोटे से लोग थे चुनाव लड़ना नहीं आता था, पैसा नहीं था, गुंडे नहीं थे अब चुनाव कैसे लड़ते. लेकिन वो बार बार कहते थे और हम लड़ भी लिए और जनता ने हमको जिता दिया. 2013 में दिल्ली के अंदर चुनाव हुए थे और हमने साबित कर दिया कि ईमानदारी से चुनाव लड़े और जीते भी जा सकते हैं. 

एक-एक करके नेताओं को जेल में डाला:

उन्होंने आगे कहा कि जब हम चुनाव में हिस्सा ले रहे थे तो ये लोग कहते थे कि इनकी जमानतें जब्त हो जाएंगी लेकिन हमने पहली बार में सरकार बनाई थी. पिछले 10 वर्षों से हम दिल्ली के अंदर ईमानदारी के साथ सरकार चला रहे थे. ऐसी-ऐसी सुविधाएं हमने जनता को दी जिनकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता. बिजली 24 घंटे, बिजली फ्री, पानी फ्री, महिलाओं के लिए बसों का किराया माफ, बुजुर्गों के लिए तीर्थयात्रा फ्री, शानदार अस्पताल- मोहल्ला क्लीनिक, लोगों का ईलाज मुफ्त किया, शानदार स्कूल बना दिए. 10 साल ईमानदारी से काम किया तो मोदी जी को लगने लगा कि अगर इने जीतना है तो इनकी ईमानदारी पर चोट करो. इनको बेईमान साबित करो. इसके लिए उन्होंने केजरीवाल को बेईमान साबित करो, मनीष सिसोदिया को बेईमान साबित करो, आम आदमी पार्टी को बेईमान साबित करो. इसके बाद इन्होंने एक-एक करके हमारे नेताओं को जेल में डालने शुरू कर दिया.

'आपके घर आकर रहूंगा'

अपने इस्तीफे पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि मैंने इस्तीफा दिया क्योंकि मैं यह सब गंद करने के लिए नहीं आया था, मेरे अंदर सत्ता की भूख नहीं है. मैं पैसे कमाने नहीं आया. मैं तो देश बदलने आया था, देश की राजनीति बदलने आया था. उन्होंने कहा कि मैं नेता नहीं हूं और ना ही मेरी चमड़ी मोटी है. उन्होंने कहा कि आज मैं बहुत दुखी हूं, मेरी आत्मा पीड़ित है और इसीलिए मैंने इस्तीफा दिया. मैंने अपनी जिंदगी में सिर्फ इज्ज़त कमाई है. मेरे और पार्टी के पास कोई पैसा नहीं है. उन्होंने कहा कि थोड़े दिनों में सीएम का बंगला भी छोड़ दूंगा तो मेरे पास दिल्ली में रहने के लिए घर भी नहीं है. उन्होंने कहा कि मैंने आपका प्यार कमाया और यही वजह है कि मेरे पास आप लोगों के कॉल/मैसेज आ रहे हैं कि हमारे घर पर रह लीजिए. मैं जल्द ही सीएम आवास थोड़कर आपमें से ही के घर आकर रहने लग जाऊंगा.

मनीष सिसोदिया पर भी बोले:

मनीष सिसोदिया को लेकर उन्होंने कहा कि हमारे देश में शिक्षा व्यवस्था का बुरा हाल है. जिनके पास पैसा है वो अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में भेज देते हैं. लेकिन ऊपर वाले कृपा है कि इस देश को उसने एक मनीष सिसोदिया दे दिया. 75 साल के बाद इस देश में एक ऐसा शख्स आया, जिसने गरीबों के बच्चों के भविष्य को एक उम्मीद दी. ऐसे मनीष सिसोदिया को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो साल जेल में रखा. मनीष सिसोदिया की जिंदगी उसकी अपनी जिंदगी नहीं है. मनीष सिसोदिया की जिंदगी देश की जिंदगी की है. ये दो साल मनीष सिसोदिया के खराब नहीं हुए, इस देश के खराब हुए हैं. अगर आज मनीष सिसोदिया जेल के बाहर होता तो ना जाने कितने और स्कूल बनते. 

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22 September 2024, 12:42 PM IST

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