Delhi CM Atishi 5 Big Challenges: केजरीवाल के इस्तीफे के बाद आतिशी दिल्ली की अगली मुख्यमंत्री हैं. वो प्रदेश की तीसरी महिला CM हैं. उन्हें मुख्यमंत्री के रुतबे के साथ कई चैलेंज भी मिले हैं. दिल्ली विधानसभा में इस साल कई महत्वपूर्ण योजनाओं का ऐलान किया गया, जिनमें महिलाओं को हर महीने 1000 रुपये की सम्मान निधि प्रमुख थी. हालांकि, अब तक यह योजना धरातल पर नहीं आ पाई है. केजरीवाल सरकार पहले भी बिजली और पानी मुफ्त देने जैसी योजनाओं से वर्ग विशेष को लाभ पहुंचा रही है. ऐसे में आइये जानें आतिशी के सामने कौन-कौन सी चुनौतियां होंगी?
बता दें जेल से बाहर आने के बाद अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफे का ऐलान कर दिया था. उन्होंने कहा था कि अब वो कुर्सी पर जनता के फैसले के बाद बैठेंगे. इसके बाद से अगले CM की तलाश शुरू हुआ और आम आदमी पार्टी ने आतिशी की नाम तय किया. अब वो 5 मंत्रियों के साथ दिल्ली की जिम्मेदारी संभाल रही है. ऐसे में आइये जानें उनके चैलेंजेस के बारे में.
इस साल बजट में महिलाओं के लिए सम्मान निधि योजना की घोषणा की गई थी. लेकिन छह महीने से अधिक का समय बीत जाने के बावजूद इस योजना को लागू नहीं किया जा सका है. अब आतिशी को मुख्यमंत्री के रूप में इस योजना को अमल में लाने की बड़ी चुनौती का सामना करना होगा. इसके अलावा, दिल्ली विधानसभा चुनाव भी करीब हैं, जिससे इस योजना को समय पर लागू करना एक अहम जिम्मेदारी बन गई है.
दिल्ली में पानी की समस्या लंबे समय से बनी हुई है, खासकर गर्मियों के मौसम में. पिछली सरकारों पर आरोप लगते रहे हैं कि वे इस समस्या को हल करने में नाकाम रही हैं. आतिशी ने इस मुद्दे पर केंद्र और हरियाणा सरकार को दोषी ठहराया था, लेकिन अब मुख्यमंत्री बनने के बाद इस समस्या का समाधान कैसे करेंगी, यह देखना दिलचस्प होगा.
आतिशी को प्रशासनिक चुनौतियों से भी जूझना होगा. पहले भी उन्होंने कई बार अधिकारियों को तलब किया था, लेकिन सकारात्मक परिणाम नहीं मिल सके. अब मुख्यमंत्री के रूप में उन्हें इन प्रशासनिक चुनौतियों का सामना करना होगा और कामकाज को सुचारू रूप से चलाने की जिम्मेदारी होगी.
मुख्यमंत्री बनने के बाद आतिशी को वरिष्ठ मंत्रियों के साथ तालमेल बिठाने की चुनौती का भी सामना करना पड़ेगा. कैबिनेट में गोपाल राय, कैलाश गहलोत और इमरान हुसैन जैसे वरिष्ठ नेता हैं. इसके अलावा, सरकार के कामकाज में अंतिम निर्णय अरविंद केजरीवाल लेते रहे हैं. अब यह देखना होगा कि आतिशी इस नए सामंजस्य को कैसे संभालेंगी.
दिल्ली सरकार में दो नए कैबिनेट मंत्रियों की नियुक्ति भी होनी है. इस प्रक्रिया में आतिशी की भूमिका क्या होगी और उनके द्वारा चुने गए मंत्रियों की पसंद कितनी अहम होगी, यह देखना दिलचस्प होगा. अब यह भी सवाल उठ रहा है कि पार्टी के विधायकों की मांगों को आतिशी किस तरह संभालेंगी.
मुख्यमंत्री के तौर पर आतिशी की नियुक्ति के बाद, दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि आतिशी केवल अस्थायी रूप से कुर्सी संभालेंगी, जबकि असल में जनता ने केजरीवाल को चुना है. इस स्थिति में आतिशी कैसे अपनी पहचान बनाएंगी और क्या वह 'भरत की तरह' राम की खड़ाऊं रखकर सरकार चलाएंगी, यह देखना दिलचस्प होगा.