मुकदमेबाज की थकान: माय लॉर्ड! बार-बार नहीं आ सकती, महिला ने क्यों वापस लिया केस

दिल्ली हाई कोर्ट में महिला ने जज साहब से केस वापस लेने का आग्रह किया है. महिला ने कहा कि वो बार बार काम छोड़कर कोर्ट का चक्कर नहीं लगा सकती है. महिला के अनुरोध को कोर्ट ने मान लिया है और मुकदमा वापिस लेने का आदेश दे दिया. इस दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि जब आप मामले को आगे बढ़ाने के लिए कोर्ट नहीं आ सकते, तो इसे मुकदमेबाजी की थकानकहते हैं.

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Delhi High Court: दिल्ली हाई कोर्ट से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे सुनकर आप भी हैरान हो जाएंगे. 'बार एंड बेंच' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार को एक आपराधिक मामले को वापस लेने की इजाजत दे दी. शिकायतकर्ता ने कहा था कि वह अदालती सुनवाई में भाग लेने के लिए काम छोड़कर आने से थक चुकी थी. इस अनोखे मामले को लेकर हाई कोर्ट ने कहा, 'जब आप मामले को आगे बढ़ाने के लिए कोर्ट नहीं आ सकते, तो इसे ‘मुकदमेबाजी की थकान’कहते हैं.' इस मामले पर टिप्पणी करते हुए न्यायमूर्ति अनूप भंभानी ने कहा, 'यह मुकदमेबाजी की थकान का नतीजा है.

अब यह 10 में से 7 मामलों में केस वापस लेने का असली कारण है. इसे ही मुकदमेबाजी की थकान कहते हैं और आप केस को आगे बढ़ाने के लिए लगातार कोर्ट नहीं आ सकते.' दरअसल, ये मामला ट्रायल कोर्ट में चल रहा था. शिकायतकर्ता महिला ने दूसरे पक्ष के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कराया था. ट्रायल कोर्ट में केस चल रहा था कि शिकायतकर्ता और आरोपी दोनों पक्ष मामले को सुलझाने की अनुमति के लिए हाई कोर्ट पहुंचे. इस दौरान शिकायतकर्ता ने केस वापस लेने की इजाजत कोर्ट से मांगते हुए कहा कि वो बार बार काम छोड़कर कोर्ट नहीं आ सकते हैं.

अदालत ने शिकायतकर्ता पर लगाया जुर्माना

महिला की बात सुनकर कोर्ट मुकदमा वापिस लेने को तो राजी हो गए लेकिन उन्होंने जुर्माना भरने को कहा. कोर्ट के इस बात पर शिकायतकर्ता के वकील ने कहा कि न्यायालय से यह आग्रह करने का प्रयास किया कि यह कानूनी सहायता का मामला है, इसलिए जुर्माना न लगाया जाए, लेकिन पीठ राजी नहीं हुई. शिकायतकर्ता के वकील द्वारा खर्च की वसूल न करने की गुजारिश पर हाई कोर्ट ने कहा कि अगर खर्च जमा नहीं हुआ तो केस चलता रहेगा. न्यायमूर्ति भंभानी ने मामले के निपटारे की शर्त के रूप में याचिकाकर्ता पर ₹10,000 का जुर्माना लगाया है.

मुकदमा वापिस लेने पर कोर्ट ने कही ये बात

न्यायाधीश ने कहा, 'शिकायतकर्ता जिरह के चरण में एफआईआर भी वापस ले रही है, क्योंकि वह जानती है कि आप (याचिकाकर्ता) उसे और शर्मिंदा करेंगे.' हालांकि, न्यायालय ने इस शर्त पर मामला वापस लेने की अनुमति दी कि आरोपी-याचिकाकर्ता लागत का भुगतान करेगा. दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा, 'यह स्पष्ट है कि दो कारण हैं, जिनके कारण उसे (शिकायतकर्ता को) मामला वापस लेना पड़ा है, पहला यह कि मामले को आगे बढ़ाने में समय लगता है और दूसरा यह कि जांच के दौरान उसे शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है. हम याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाते हैं'.


First Updated : Friday, 30 August 2024