जस्टिस यशवंत वर्मा के घर पहुंची दिल्ली पुलिस, अधजले नोट मिलने वाले जगह को किया सील, याचिका दायर
दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के आवास पर अधजले नोट मिलने के बाद मामले की जांच तेज हो गई है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तीन जजों की कमेटी ने उनके घर पहुंचकर करीब 45 मिनट तक जांच की, वहीं दिल्ली पुलिस की टीम ने भी मौके पर पहुंचकर घटनास्थल को सील कर दिया. दिल्ली पुलिस के साथ नई दिल्ली के डीसीपी देवेश कुमार महला भी मौजूद थे, और पूरी कार्रवाई की वीडियोग्राफी भी करवाई गई.

दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के आवास पर अधजले नोट मिलने के मामले में जांच तेज हो गई है. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तीन जजों की कमेटी उनके घर पहुंची, जहां उन्होंने करीब 45 मिनट तक जांच की और उस कमरे में भी गए, जहां अधजले नोट मिले थे. अब दिल्ली पुलिस की टीम भी मौके पर पहुंच चुकी है और घटना वाली जगह को सील कर दिया गया है.
दिल्ली पुलिस के साथ नई दिल्ली के डीसीपी देवेश कुमार महला भी मौजूद थे. पुलिस ने संदिग्ध इलाके को सील करने के साथ-साथ पूरी कार्रवाई की वीडियोग्राफी भी करवाई. इस घटना के बाद जस्टिस वर्मा पर FIR दर्ज करने की मांग तेज हो गई है और सुप्रीम कोर्ट में इस संबंध में याचिका भी दायर की गई है.
दिल्ली पुलिस ने घटना स्थल को किया सील
सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली पुलिस की टीम करीब दो घंटे तक घटनास्थल पर मौजूद रही. जांच कमेटी के निर्देश के बाद जिस स्थान पर आग लगी थी, उसे पूरी तरह से सील कर दिया गया. इस दौरान दिल्ली हाई कोर्ट के अधिकारी भी मौजूद थे, जो तीन सदस्यीय जांच कमेटी की मदद कर रहे थे.
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तीन जजों की कमेटी भी जस्टिस वर्मा के आवास पर पहुंची थी. कमेटी ने घटना की गहन जांच की और कई महत्वपूर्ण सबूतों का विश्लेषण किया. हालांकि, यह कमेटी अपने स्तर पर ही तय करेगी कि जांच किस दिशा में आगे बढ़ेगी और किन नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी.
जस्टिस वर्मा के खिलाफ FIR की मांग
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर जस्टिस वर्मा के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की गई है. याचिका में दलील दी गई है कि इस तरह की जांच पुलिस को करनी चाहिए, न कि सुप्रीम कोर्ट की कोई विशेष कमेटी. याचिकाकर्ता ने कोर्ट से अपील की है कि दिल्ली पुलिस को FIR दर्ज करने का आदेश दिया जाए.
याचिका में कहा गया है कि अगर किसी आम नागरिक या व्यापारी के घर से इतनी बड़ी मात्रा में अधजले नोट मिलते, तो क्या उसे भी संदेह का लाभ देकर जांच से छूट मिलती? इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले में कोई सार्वजनिक बयान न दिया जाए और याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया गया है.
क्या बढ़ सकती है जस्टिस वर्मा की मुश्किलें?
जस्टिस वर्मा के आवास से अधजले नोट मिलने के बाद से मामला तूल पकड़ता जा रहा है. अब इस बात पर बहस छिड़ गई है कि क्या न्यायपालिका के भीतर भी भ्रष्टाचार के मामलों की पारदर्शी जांच होनी चाहिए? याचिकाकर्ता का तर्क है कि इस मामले में निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और पुलिस को इसकी पूरी जिम्मेदारी दी जानी चाहिए.