दिल्ली पुलिस महिलाओं के खिलाफ अपराध पर कसेगी शिकंजा, यूपी की तर्ज पर राजधानी में बनेगा 'एंटी रोमियो स्क्वाड'
दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनने के बाद महिला सुरक्षा को लेकर बड़ा कदम उठाया गया है. अब यूपी की तर्ज पर दिल्ली में भी एंटी रोमियो स्क्वाड का गठन किया गया है. प्रत्येक जिले में कम से कम दो एंटी रोमियो स्क्वाड होगी, जिनका नेतृत्व जिले के महिला क्राइम ब्रांच की एसीपी करेंगी. प्रत्येक स्क्वाड में एक इंस्पेक्टर, एक सब-इंस्पेक्टर और चार महिला और पांच पुरुष पुलिस अधिकारी शामिल होंगे.

राष्ट्रीय राजधानी में महिलाओं के खिलाफ अपराध को रोकने के लिए, दिल्ली पुलिस ने सभी जिलों में 'छेड़छाड़ विरोधी' या 'शिष्ठाचार' दस्तों की शुरुआत करने की घोषणा की है. इन दस्तों में प्रशिक्षित कर्मी शामिल होंगे, जो वास्तविक समय के आधार पर ऐसे अपराधों को रोकने, रोकने और उनका जवाब देने का काम करेंगे. दस्तों को व्यक्तियों पर व्यक्तिगत या सांस्कृतिक नैतिकता थोपने के बजाय कानून लागू करने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा गया है. यह पहल महिलाओं के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए दिल्ली पुलिस के प्रयासों का एक हिस्सा है, जिसमें छेड़छाड़, छेड़छाड़ और उत्पीड़न के अन्य रूप शामिल हैं.
बीजेपी ने चुनावों में किया था वादा
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के लिए अपने घोषणापत्र में बीजेपी ने सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी सार्वजनिक स्थानों पर 'एंटी-रोमियो स्क्वॉड' की तैनाती और दिल्ली भर में सीसीटीवी कैमरों का एक नेटवर्क स्थापित करने का वादा किया है.
दिल्ली कमिश्नर ने जारी किए आदेश
पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा द्वारा 8 मार्च को जारी आदेश में कहा गया है कि इन दस्तों में प्रशिक्षित कर्मी तैनात होंगे, जो वास्तविक समय के आधार पर ऐसे अपराधों को रोकने और उन पर प्रतिक्रिया देने पर ध्यान देंगे. प्रत्येक जिले में कम से कम दो एंटी रोमियो स्क्वाड होगी, जिनका नेतृत्व जिले के महिला क्राइम ब्रांच की एसीपी करेंगी. प्रत्येक स्क्वाड में एक इंस्पेक्टर, एक सब-इंस्पेक्टर और चार महिला और पांच पुरुष पुलिस अधिकारी (सहायक सब-इंस्पेक्टर, हेड कांस्टेबल और कांस्टेबल) शामिल होंगे. टेक्निकल हेल्फ के लिए स्पेशल स्टाफ या एंटी ऑटो थेफ्ट स्क्वाड (एएटीएस) के पुलिसकर्मी भी दस्ते के साथ रहेंगे.
हर दिन चलेगा अभियान
दस्तों का मेनवर्क उन 'हॉटस्पॉट और संवेदनशील क्षेत्रों' पर होगा जो महिलाओं की सुरक्षा के लिए जोखिम पैदा करते हैं. जिला पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) हॉटस्पॉट की पहचान करेंगे और उनकी सूची तैयार करेंगे. टीम को हर दिन कम से कम दो संवेदनशील स्थानों पर अभियान चलाना होगा. आदेश में कहा गया है कि ये दस्ते रोकथाम, हस्तक्षेप और पीड़ितों की सहायता सहित बहुआयामी नजरिए के साथ काम करेंगे.अपराधियों की पहचान करने और उन्हें रोकने के लिए दस्ते सिविल ड्रेस में रहेंगे.
स्क्वाड करेगी औचक निरीक्षण
आदेश में कहा गया है कि दस्ते सार्वजनिक परिवहन में औचक निरीक्षण करेंगे तथा डीटीसी चालकों, कंडक्टरों और यात्रियों से बातचीत करेंगे तथा उन्हें ऐसी घटनाओं की सूचना देने के लिए प्रेरित करेंगे. जिला डीसीपी को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया है कि दस्ते संवेदनशील, सहानुभूतिपूर्ण और आत्म-प्रेरित हों. "पीड़ितों को अनावश्यक सार्वजनिक जांच या शर्मिंदगी से बचाया जाना चाहिए. यह कदम उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा महिलाओं को परेशान करने वाले पुरुषों पर नकेल कसने के लिए 2017 में शुरू किए गए 'एंटी-रोमियो' अभियान के बाद उठाया गया है.