देवी अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जन्मजयंती: विश्व मांल्यय सभा का उद्देश्य: भारत की नारियों में शक्ति और संस्कार का जागरण

पुण्यशोलका लोकमाता अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में दिल्ली के मानेक सॉ ऑडिटोरियम में  शनिवार को “राष्ट्रसमर्था अहिल्याबाई होलकर” की नाट्य प्रस्तुति हुई . इस नाटक की लेखिका विश्व मांगल्य सभा की राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉ वृषाली जोशी हैं जो एक फिजियोथैरेपिस्ट हैं . इस नाट्य मंचन के निर्देशक जाने-माने डायरेक्टर सुबोध सुरेजकर हैं .

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

पुण्यशोलका लोकमाता अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में दिल्ली के मानेक सॉ ऑडिटोरियम में शनिवार को “राष्ट्रसमर्था अहिल्याबाई होलकर” की नाट्य प्रस्तुति हुई . मानेक सॉ के जोरावर ऑडिटोरियम में इस नाट्य प्रस्तुति के माध्यम से देवी अहिल्याबाई होलकर की जीवनी का इतिहास वर्तमान में जीवंत हो उठा . इस नाटक की लेखिका विश्व मांगल्य सभा की राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉ वृषाली जोशी हैं जो एक फिजियोथैरेपिस्ट हैं . इस नाट्य मंचन के निर्देशक जाने-माने डायरेक्टर सुबोध सुरेजकर हैं . “राष्ट्रसमर्था अहिल्याबाई होलकर” का नाट्यमंचन पूरे देश में लगभग 101 अलग - अलग स्थानों पर चल रहा है . दिल्ली में ये नाट्य प्रस्तुति भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय और विश्व मांगल्य सभा के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया गया . 

300th Birth Anniversary of Devi Ahilyabai Holkar
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सांसद और जाने माने गायक मनोज तिवारी रहे मौजूद

दिल्ली में इस नाट्य प्रस्तुति का आयोजन विश्व मांगल्य सभा की दिल्ली प्रांत की अध्यक्ष सुरभि तिवारी और संगठन की अखिल भारतीय सह संगठन मंत्री सुश्री पूजा देशमुख के मार्गदर्शन में हुआ. इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष एडवोकेट आलोक कुमार जी और बीजेपी के उत्तर-पूर्वी दिल्ली के सांसद और जाने माने गायक मनोज तिवारी रहे . 

300th Birth Anniversary of Devi Ahilyabai Holkar
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भारत की संस्कृति की रक्षक अहिल्याबाई होलकर

“राष्ट्रसमर्था अहिल्याबाई होलकर” की नाट्यमंचन से पहले विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष आलोक कुमार जी ने कहा कि “अहिल्या बाई होलकर की जीवनी भारत के संस्कृति की परिचायक है . जो बताता है कि भारत कि स्त्री जब आदिदेव महादेव शिव को हाथों में रख कर जब एक योद्धा बनती है तो बड़े -बड़े आक्रांता पीछे हट जाते हैं . एक शासक के तौर पर देवी अहिल्याबाई होलकर ने जिस तरह से साम्राज्य की सुरक्षा की और भारत की संस्कृति की रक्षा के साथ साथ उसका विस्तार किया

आज भारत की हर बेटी हर स्त्री को अपने अंदर की अहिल्याबाई को जगाना होगा . शिवाला के साथ-साथ अपने अंदर की शक्ति को जगाना होगा और भारत की संस्कृति का विस्तार करना होगा . मंदिरों के पुनरउद्धार के साथ-साथ जिस तरह से रानी अहिल्या ने नदियों पर  घाट बनवाये , धर्मशाला बनवाये वो उनकी दूरदर्शिता का परिचायक है . उन्होंने उस समय अर्थव्यवस्था के महत्व को समझा और माहेश्वरी साड़ी के रूप बुनकरों को टेक्सटाइल इंडस्ट्री दिया . 

300th Birth Anniversary of Devi Ahilyabai Holkar
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बच्चे के लिए उसकी मां ही प्रथम गुरु होती है-सांसद तिवारी

दिल्ली के उत्तर -पूर्वी दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि किसी भी बच्चे के लिए उसकी माँ ही प्रथम गुरु होती है और विश्व मांगल्य सभा एक संगठन के रूप में जिस तरह समाज में मातृ निर्माण का कार्य कर रही है उससे नए और संस्कारित भारत का निर्माण हो रहा है, जिसका जीता जागता उदाहरण वो ख़ुद अपने घर में देखते हैं . विश्व मांगल्य सभा की दिल्ली प्रांत की अध्यक्ष सुरभि तिवारी भले उनकी पत्नी हैं लेकिन मातृत्व के जिस तरह के संस्कार और संस्कृति का धारा प्रवाह वो समाज में कर रहीं है उसकी छाप पूरी तरह से उनके घर पर और बच्चों में दिखता है . उन्होंने कहा कि देवी अहिल्याबाई के जीवनी को आज पूरे भारत में शहर -शहर और गाँव -गाँव प्रसारित करने की ज़रूरत है और घर -घर में जीवंत करने की ज़रूरत है . 

'हमेशा सशक्त थी भारत की नारियां'  

विश्व मांगल्य सभा की राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉ वैशाली जोशी ने कहा कि अगर हमें देश में शिवाजी जैसे बच्चे चाहिए तो हमें अपनी बेटियों को माता जीजा बाई जैसी माँ बनाना होगा . महिलाओं को लेकर एक नैरेटिव बना कि भारत की महिलाए कमजोर होती हैं और समाज में दबी -कुचली होती . ऐसे विमर्श को खत्म करने के लिए हमें हमारी वीरांगनाओं और आदर्श नारियों के इतिहास को जन-जनतक पहुंचाना होगा. लोगों को अवगत करवाना होगा कि समाज भारत की नारियों को लेकर कितना सकारात्मक और  सम्मान भारी दृष्टि रखता था. भारत की नारियां हमेशा से सशक्त थी. उन्होंने कहा कि विश्व मांगल्य सभा घर-घर मातृत्व और नारीत्व निर्माण का कार्य कर रहा है. 

300th Birth Anniversary of Devi Ahilyabai Holkar
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विश्व मांगल्य सभा का मुख्य उद्देश्य...

विश्व मांगल्य सभा की स्थापना 19 जनवरी 2010 को हुई जो देश में राष्ट्रीय स्तर पर एक महिला जन संगठन के रूप में काम कर रही है . अपने विशिष्ट कार्यपद्धति से भारत की स्त्री वर्ग को “माँ” अभिव्यक्ति के साथ एक सूत्र में  बांधने का कार्य कर रही है . आधुनिकता से समन्वय बनाते हुए भारत की आध्यात्मिक , राष्ट्रीय ,पारंपरिक गृहरचना और महापुरुषों को जन्म देने वाली शक्ति केंद्र बने यह समय की माँग है . भारत के देश -धर्म के काम से परिपूर्ण , सौभाग्यशाली , तेजस्वी माता का घर -घर में निर्माण हो ये विश्व मांगल्य सभा का मुख्य उद्देश्य है . सामाजिक उत्थान और देश में सुसंस्कृत और नैतिकता से परिपूर्ण समाज बनाने के उद्देश्य से विश्व मांगल्य सभा वैश्विक महिला संगठन महिलाओं में मातृत्व की भावना जागृत करने का कार्य कर रही है .

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12 January 2025, 12:42 PM IST

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