बटर चिकन लाखों लोगों की पसंदीदा डिश है. भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद ये डिश पूरी दुनिया में फैल गई. उन्होंने भारतीय खाद्य संस्कृति को एक नई पहचान दी. लेकिन अब बटर चिकन अपनी पहचान साबित करने के लिए कानूनी लड़ाई में फंस गया है. अब दो दोस्तों की पीढ़ियां यह दावा करते हुए अदालती लड़ाई लड़ रही हैं कि यह विशेष डिश हमारे होटल में पहले से तैयार किया गया था. तो आइए आपको बताते है कि पूरा मामला क्या है.
तो बटर चिकन का आविष्कार किसने किया? इसे लेकर पुरानी दिल्ली के दो होटल यह साबित करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं कि हम ही इस डिश के जनक हैं. दिल्ली में 'मोती महल' और 'दरियागंज' दोनों रेस्टोरेंट के बीच ये लड़ाई चल रही हैं. उनका दावा है कि हमने बटर चिकन का आविष्कार किया.
1950 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद पेशावर के दो दोस्त, कुन्दन लाल जग्गी और कुन्दन लाल गुजराल भारत आये. इन दोनों ने एक होटल खोला. इसने लोकप्रिय व्यंजन बटर चिकन को जन्म दिया. गुजराल ने 1997 में और कुन्दन लाल जग्गी ने 2018 में अंतिम सांस ली. अब बटर चिकन के मालिकाना हक को लेकर उनके उत्तराधिकारियों के बीच विवाद हाई कोर्ट पहुंच गया है.
मोती महल होटल के मालिक ने दरियागंज के मालिक से 2.40 लाख डॉलर यानी भारतीय मुद्रा में 2 करोड़ रुपये के मुआवजे का दावा किया है. मोती महल के मालिक का दावा है कि दरियागंज के मालिक ने उनकी टैगलाइन को आगे बढ़ाया है. इस टैगलाइन के अनुसार, बटर चिकन के जनक ने दावा किया कि इसका आविष्कार उनके होटल ने किया था. अब इस अदालती लड़ाई में नया मोड़ आ गया है.
बटर चिकन विवाद दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचा. दोनों पक्षों ने सबूत पेश किए है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, दरियागंज होटल के मालिक ने 642 पेज का जवाब दाखिल किया है. इसी के तहत कुंदन लाल जग्गी ने बटर चिकन डिश तैयार की. जबकि कुन्दन लाल गुजराल सिर्फ होटल की मार्केटिंग का काम देख रहे थे.
इन दोनों जिगरी दोस्तों की 1930 की कुछ तस्वीरें कोर्ट के सामने पेश की गई हैं. 1949 में दोनों के बीच एक साझेदारी समझौता भी पेश किया गया. इसमें कुन्दन लाल जग्गी का बिजनेस कार्ड भी है. 2017 का एक वीडियो भी सामने आया है. इसमें बटर चिकन कैसे तैयार किया जाता है इसकी विस्तृत जानकारी दी गई है.
First Updated : Monday, 20 May 2024