Week Eyesight: ब्लैक बोर्ड पर लिखा साफ नहीं दिखाई देता. इसका खुलासा एम्स के एक अध्ययन में हुआ है. एम्स के डॉ. राजेंद्र प्रसाद सेंटर से सामुदायिक नेत्र रोग विशेषज्ञों ने दिल्ली के पांच स्कूलों में साढ़े तीन हजार से ज्यादा बच्चों के आंखों की जांच की. इनमें से 13 फीसदी बच्चों ने दूर के नजर की शिकायत की.
एम्स के डॉ. राजेंद्र प्रसाद सेंटर से सामुदायिक नेत्र रोग विशेषज्ञों ने दिल्ली के पांच स्कूलों में साढ़े तीन हजार से अधिक बच्चों के आंखों की जांच की. इनमें से 13 फीसदी बच्चों ने दूर के नजर की शिकायत की.
विशेषज्ञों ने बताया कि बहुत करीब से पढ़ाई, मोबाइल या कंप्यूटर का अधिक उपयोग सहित दूसरे कारणों से बच्चों में दूर की नजर कमजोर हो रही हैं. इस समस्या से बचने के लिए नियमित बच्चों के आंखों की जांच होनी चाहिए. किसी भी प्रकार की शिकायत मिलने पर तुरंत इलाज के साथ डॉक्टरों की सलाह पर चश्मा लगाना चाहिए. चश्मा लगाने से समस्या थम जाएगी.
डॉक्टरों का कहना है कि दिल्ली के पांच स्कूलों के 3,540 बच्चों की जांच की गई. इसमें 13.1 फीसदी बच्चों में दूर का नजर का दोष पाया गया. इसमें से 419 बच्चों को आगे की जांच के लिए रेफर किया गया. जांच के बाद 300 बच्चों को चश्मा लगाने की सलाह दी गई. लेकिन पाया गया कि इनमें से कई बच्चे चश्मे का खर्च वहन नहीं कर सकते. ऐसे में इन बच्चों को एनजीओ की मदद से चश्मा उपलब्ध करवाया गया.
विभाग ने इस साल एक लाख बच्चों के आंखों की जांच का लक्ष्य रखा है. डॉक्टरों ने बताया कि विभाग का लक्ष्य अपने स्कूल दृष्टि जांच कार्यक्रम के माध्यम से दिल्ली में 1 लाख स्कूली बच्चों की अपवर्तक त्रुटियों (मायोपिया) की जांच करना है. जांच के बाद जरूरतमंद बच्चों को एम्स एनजीओ के सहयोग से मुफ्त चश्मा प्रदान करता है. इसका उद्देश्य प्रत्येक बच्चे को स्पष्ट दृष्टि का अधिकार देना है.
First Updated : Saturday, 17 August 2024