केजरीवाल को जेल और बेल: घोटाला, जांच, रिहाई; यहां समझें पूरी क्रोनोलॉजी
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के लिए आज का दिन काफी अच्छा साबित हुआ है. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को Arvind Kejriwal: आबकारी नीति मामले में उन्हें जमानत दे दी है. सुप्रीम कोर्ट ने सीएम केजरीवाल को जमानत देते समय कहा है कि वह जेल से बाहर आने के बाद किसी फाइल पर साइन नहीं कर पाएंगे. लेकिन कोर्ट ने उन्हें हरियाणा विधानसभा चुनाव में प्रचार करने पर कोई रोक नहीं लगाई है.
Arvind Kejriwal: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने सीएम केजरीवाल को CBI के मामले में सशर्त जमानत दी है. यानी सीएम केजरीवाल को जेल से बाहर आने के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा बताई गई शर्तों को मानना होगा. 5 सितंबर को केजरीवाल और सीबीआई का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. जमानत मिलने के बाद 177 दिन बाद केजरीवाल तिहाड़ जेल से बाहर आएंगे. सीबीआई ने 26 जून को उन्हें गिरफ्तार किया था. उस समय वो मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में तिहाड़ जेल में बंद थे.
अगर सीबीआई केजरीवाल को गिरफ्तार नहीं करती, तो वह जुलाई में ही जेल से बाहर आ जाते. ईडी वाली मामले में कोर्ट से केजरीवाल को पहले ही अंतरिम जमानत मिल गई थी. अब सीबीआई वाले मामले में भी जमानत मिल गई है. केजरीवाल 5 महीने बाद जेल से रिहा होकर बाहर आएंगे. हालांकि कोर्ट ने उन्हें कुछ शर्तों के साथ जमानत दी है तो चलिए उन शर्तों के बारे में जानते हैं.
केजरीवाल की जमानत पर क्या बोले उनके वकील
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की जमानत पर वकील संजीव नासियार ने कहा, 'सीबीआई मामले में जमानत मंजूर हो गई है. यह राहत का बड़ा दिन है. सीएम पिछले 5 महीनों से जेल में बंद थे. जहां तक गिरफ्तारी का सवाल है, दोनों जजों के अलग-अलग विचार हैं. आदेश आने के बाद ही मैं इस पर टिप्पणी कर पाऊंगा. कुछ सामान्य शर्तें हैं सीबीआई से जुड़े मामलों पर वह कोई सामान्य टिप्पणी नहीं कर पाएंगे क्योंकि मामला विचाराधीन है.
इन शर्तों पर मिली केजरीवाल को रिहाई
➤ कोर्ट ने केजरीवाल को जमानत देते हुए कई शर्ते भी रखी है. जिसमें साइन करना भी शामिल है.
➤ केजीरवाल भले ही जेल से बाहर आ गए लेकिन वो फिलहाल किसी भी दस्तावेज पर साइन नहीं कर सकते हैं.
➤ इसके अलावा वो बतौर सीएम दफ्तर नहीं जा सकते हैं.
केजरीवाल जेल से बाहर आने के बाद मंत्रियों को नियुक्त नहीं करा पाएंगे.
➤ इसके साथ ही अपने ट्रायल को लेकर कोई सार्वजनिक बयान या टिप्पणी नहीं कर सकेंगे.
➤ किसी भी गवाह से किसी तरह की बातचीत भी नहीं कर पाएंगे.
➤ इसके साथ ही जरूरत पड़ने पर ट्रायल कोर्ट में पेश होंगे और जांच में सहयोग करेंगे.
शराब घोटाले में जांच की पूरी क्रोनोलॉजी
दरअसल, नवंबर 2021 में आम आदमी पार्टी की सरकार ने दिल्ली में नई शराब नीति लागू की थी. तब 864 शराब की दुकानें थी जिनमें से 475 सरकारी थीं. हालांकि, नई नीति ते तहत केजरीवाल की सरकार शराब के बिजनेस से पूरी तरह बाहर आ गई और शराब का कारोबार निजी हाथों में सौंप दिया. पहले 750 एमएल की एक बोतल पर शराब कारोबारियों को 33.35 रुपये रिटेल मार्जिन मिलता था, लेकिन नई नीति के बाद इसका दाम 363.27 रुपये हो गया. इसी तरह, पहले एक बोतल 530 रुपये की मिलती थी, जो आप की सरकार में बढ़कर 560 रुपये हो गई. इससे एक तरफ कारोबारियों की मोटी होने लगी और दूसरी तरफ शराब की बिक्री पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी से होने वाली सरकार की कमाई तेजी से कम हो गई. इसके बाद ही शराब घोटाले की जांच पूरी हुई.
क्या है शराब घोटाला और इसमें कैसे फंसे केजरीवाल
➤ शराब घोटाला दिल्ली सरकार की एक्साइज पॉलिसी लागू करने के बाद से विवादों में घिर गई थी. आप सरकार ने नई पॉलिसी के तहत शराब कारोबार से सरकार बाहर आ गई और पूरी दुकानें निजी हाथों में चली गई.
➤ एक्साइज पॉलिसी लागू करने के दौरान केजरीवाल सरकार ने दावा किया था इससे माफिया राज खत्म होगा और सरकार के रेवेन्यू में भी बढ़ोतरी होगी.
➤ हालांकि, दिल्ली सरकार की ये नीति शुरू से ही विवादों में रही और जब बवाल ज्यादा बढ़ गया तो 28 जुलाई 2022 को सरकार ने इसे रद्द कर दिया.
➤ बता दें कि कथित शराब घोटाले का खुलासा 8 जुलाई 2022 को दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव नरेश कुमार की रिपोर्ट से हुआ था.
➤ इस रिपोर्ट में उन्होंने मनीष सिसोदिया समेत आम आदमी पार्टी के कई बड़े नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए.
➤ दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने सीबीआई से जांच की सिफारिश की थी. इसके बाद सीबीआई ने 17 अगस्त 2022 को केस दर्ज किया.
➤ इस मामले में पैसों की हेराफेरी का आरोप भी लगा, इसलिए मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए ईडी ने भी केस दर्ज कर लिया