Breast Cancer: ब्रेस्ट कैंसर के बढ़ते खतरे और महिलाओं को इसके बारे में जागरुक करने के उद्देश्य से रविवार को दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में ‘ब्रेस्ट कैंसर इन यंग वुमन चैलेंज एंड होप’ विषय पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम में ब्रेस्ट कैंसर से जुड़े अनेक पहलुओं पर चर्चा की गई. कार्यक्रम में संदेश दिया गया कि ब्रेस्ट कैंसर से डरना नहीं लड़ना है. महिलाओं को समय से जाँच करानी है और नाते-रिश्तेदारों को इस जंग में उनका साथ देना है. ब्रेस्ट कैंसर से जंग में महिलाएँ अकेली नहीं हैं. इस कैंसर को टाइमली डिटेक्शन और बेहतर इलाज से हराया जा सकता है.
बता दें कि इस कार्यक्रम के दौरान अपोलो अस्पताल के सीनियर कैंसर एक्सपर्ट्स के साथ ही कई वरिष्ठ मीडियाकर्मी, सोशल एक्टिविस्ट, वकील, महिला एक्टिविस्ट , शिक्षाविद्, रिसर्चर और छात्र अपोलो अस्पताल के सभागार में तीन घंटे तक इस बीमारी के अलग-अलग पहलुओं से रूबरू होते रहे. ब्रेस्ट कैंसर सर्वाइवर्स ने इस मौक़े पर अपने संघर्ष की कहानियाँ भी सुनाईं.
कार्यक्रम में इंडिया डेली के एडिटर इन चीफ़ शमशेर सिंह ने भी शिरकत की. उन्होंने कहा कि हम अपने परिवार के लोगों को सबसे बड़ा गिफ़्ट फ़िटनेस का दे सकते हैं. जो लोग अपने परिवार से प्यार करते हैं, उन्हें अपनी सेहत का ध्यान ज़रूर रखना चाहिए. जब आपकी सेहत बिगड़ती है तो सबसे ज़्यादा तकलीफ़ इन्हीं लोगों को होती है. शमशेर सिंह ने अपने निजी अनुभव साझा किये. उन्होंने बताया कि चार साल तक पिता को कैंसर से जूझते क़रीब से देखा और यहीं से एक संकल्प लिया, ख़ुद को फ़िट रखूँगा. उन्होंने नियमित तौर पर जाँच कराने की अहमियत बताई.
इस दौरान अपोलो अस्पताल के डीएमएस लेफ़्टिनेंट जनरल (रि.) डॉ बिपिन पुरी ने कहा कि आँकड़ों की बात करें तो 25 सालों में ब्रेस्ट कैंसर की ये बीमारी यंग लोगों में ज़्यादा बढ़ी है. 50 से कम उम्र की महिलाओं में ऐसे मरीज़ क़रीब-करीब दो गुने हो गए हैं.
इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के ऑनकॉलोजी विभाग के सीनियर कंसलटेंट डॉ कुमार ऋषिकेश ने ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ में ये कार्यक्रम आयोजित किया ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को इस अभियान से जोड़ा जा सके. अपने आधार वक्तव्य में डॉ ऋषिकेश ने कैंसर को लेकर दुनिया भर में चल रही मेडिकल रिसर्च और इलाज में आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल को विस्तार से समझाया.
इस दौरान वरिष्ठ पत्रकार प्रियंका सिंह ने दूसरा सत्र मॉडरेट किया जिसमें कैंसर सर्वाइवर्स ने अपनी कहानियाँ सुनाईं. उन्होंने बताया कि कैसे समाज और आस-पास के लोगों की असंवेदनशीलता उनकी मुसीबतें बढ़ा देती हैं. अपोलो अस्पताल के मंच से उन्होंने ये संकल्प लिया कि वो अपनी कहानी के ज़रिए लोगों को ये संदेश देंगी कि कैंसर से लड़ा जा सकता है. दो दशकों से उन्होंने इस बीमारी पर फ़तह पाने वाली योद्धा की तरह गुज़ारे हैं.
डॉ सैयद असीम रिज्वी ने कहा कि लोगों को कैंसर के इलाज को लेकर अफ़वाहों पर ध्यान नहीं देना चाहिए, आज हिन्दुस्तान में बेहतरीन इलाज उपलब्ध है. आख़िरी सत्र की मॉरेडटर रितू भारद्वाज ने चर्चा की शुरुआत सामाजिक संवेदनशीलता के साथ की. वरिष्ठ पत्रकार और राष्ट्रपथ की संपादक अर्चना सिंह ने कहा कि मेन स्ट्रीम मीडिया में हेल्थ से जुड़ी ख़बरों का स्पेस बढ़ना चाहिए. कोरोना के काल में तो अस्पताल से काफ़ी कवरेज हुआ लेकिन आम तौर पर ऐसी ख़बरों पर मीडिया का ध्यान कम है, कैंसर जैसी बीमारियों को लेकर अभियान चलाया जाना चाहिए. हेल्थ ओपीडी की संपादक प्रियंका सिंह ने कहा कि हेल्थ सेक्टर में संजीदगी के साथ काम करने की ज़रूरत है, लोगों को ऐसी ख़बरें भी चाहिए लेकिन ठीक मंच नहीं मिल पा रहा है. First Updated : Sunday, 29 October 2023