Delhi Pollution: दिल्ली में लगातार बढ़ रहा AQI, रेड जोन में 16 इलाके, आज से GRAP-2 लागू
Delhi Pollution: दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है. इस बीच मौसम विभाग ने अनुमान लगाया है कि आने वाले दिनों में स्थिति और खराब होने की संभावना है. हवा की गति में कमी और ठंड के मौसम की शुरुआत के कारण प्रदूषक तत्व फैलने में मुश्किल हो रही है.
Delhi Pollution: दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता लगातार बिगड़ रही है. सोमवार को राजधानी में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ने से हवा की गुणवत्ता खराब से बेहद खराब श्रेणी में पहुंच गई. सोमवार सुबह एयर इंडेक्स 307 दर्ज किया गया. दिल्ली के 36 प्रदूषण निगरानी केंद्रों में से 23 जगहों पर हवा की गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में है. आने वाले तीन दिनों तक ऐसे ही स्थिति रहने की संभावना है.
दिल्ली की वायु गुणवत्ता दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के समीर एप के अनुसार, मंगलवार को दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) का स्तर और बढ़ गया है. सुबह का AQI 318 दर्ज किया गया, जो सोमवार को 307 था. इसका मतलब है कि दिल्ली का AQI दो दिन से "बहुत खराब" श्रेणी में है.
रात में हवा की गति में गिरावट से प्रदूषण बढ़ा
दिल्ली में रात के दौरान हवा की गति में काफी कमी आई है, जिसके चलते प्रदूषण का स्तर खतरनाक हो गया है. खासतौर पर PM10 और PM2.5 जैसे प्रदूषक तत्वों का स्तर बढ़ गया है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं. हवा की गति 6-14 किमी प्रति घंटे की रही है, लेकिन रात में यह लगभग शांत हो जाती है, जिससे प्रदूषण सतह पर जमा होने लगता है.
रेड जोन में दिल्ली के ये इलाके
अलीपुर- 320
आनंद विहार- 377
अशोक विहार-343
बवाना- 348
बुराड़ी- 342
द्वारका सेक्टर 8- 325
आईजीआई एयरपोर्ट- 316
जहांगीरपुरी- 355
मुंडका- 360
नजफगढ़- 317
नरेला- 322
पंजाबी बाग- 356
रोहिणी- 347
शादीपुर- 359
सोनिया विहार- 338
वजीरपुर- 351
वायु गुणवत्ता में गिरावट, AQI 250-290 तक पहुंचा
राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 250 से 290 के बीच बना हुआ है, जो 'खराब' श्रेणी में आता है. इस स्तर पर लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है. PM10, जो मुख्यतः धूल से आता है, प्रमुख प्रदूषक बना हुआ है, जबकि PM2.5, जो वाहनों और पराली जलाने से उत्पन्न होता है, भी लगातार बढ़ रहा है.
पराली जलाने की घटनाओं से प्रदूषण और बढ़ने की आशंका
उत्तर भारत में पराली जलाने की घटनाएं धीरे-धीरे बढ़ रही हैं. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के उपग्रह आंकड़ों के अनुसार, प्रतिदिन 100 से 300 के बीच पराली जलाने की घटनाएं सामने आ रही हैं. रविवार को 100 घटनाएं दर्ज की गई, जिससे इस मौसम की कुल घटनाएं 3,485 हो गई हैं. पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली जैसे राज्यों में यह समस्या बढ़ रही है.
सर्दियों में प्रदूषण का स्तर और बढ़ने की संभावना
सर्दियों के मौसम में तापमान गिरने के साथ वायुमंडल की मिक्सिंग डेप्थ भी घट जाती है, जिससे प्रदूषक सतह के करीब जमा हो जाते हैं। SAFAR के अनुसार, उत्तर-पश्चिम से आने वाली हवाओं के साथ पराली जलाने से प्रदूषण का स्तर और बढ़ सकता है.
प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए उपायों की जरूरत
वायु गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए प्रदूषण हॉटस्पॉट क्षेत्रों में नियंत्रण उपायों की आवश्यकता है. फसल अवशेष प्रबंधन (CRM) मशीनों के बेहतर उपयोग से पराली जलाने की घटनाओं को कम किया जा सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि फसल अवशेषों को जलाने के बजाय, उन्हें उद्योगों को आपूर्ति करने से किसानों को अतिरिक्त आय भी मिल सकती है.