Delhi Air Pollution: दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का खतरा लगातार बढ़ रहा है. इस समय दिल्ली के आस-पास इलाकों का भी बुरा हाल हो रहा है. प्रदूषण के कारण न केवल लोगों के जीवन पर असर पड़ रहा है बल्कि पक्षियों के जीवन पर भी इसका समस्या का गंभीर असर पड़ रहा है. दिल्ली मे एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 के पार दर्ज किया गया है. पक्षियों के अस्पताल में भी इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है. कुछ दिन पहले दिल्ली की हवा में सुधार देखा गया था. लेकिन फिर से पूरी दिल्ली प्रदूषण की चपेट में आ गई है.
1990-91 दौरान पर्यावरण के लिहाज से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र बहुत खराब स्थिति में था, डीजल वाहनों एंव ओद्योगिक इकाइयों का काला धुंआ जानलेवा बन रहा था. उस समय ना वायु प्रदूषण मापने के कोई मानक या पैमाने थे और ना ही इसकी रोकथाम के लिए कोई पुख्ता व्यवस्था की गई. 1991 में दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति का गठन किया गया था. साथ ही पर्यावरण के लिए सुप्रीम कोर्ट भी सख्त हो गई.
पराली जलाने की घटनाएं सामने आईं साथ ही नई बस्तियां विकसित हुई और गातिविधियों में भी तेजी देखी गई. दिल्ली की जनसंख्या भी करीब 50 लाख तक बढ़ गई. सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था में सुधार न होने से सड़कों पर वाहनों की संख्या बढ़ गई है.
दिल्ली के प्रदूषण में 40 प्रतिशत तक हिस्सेदारी वाहन निभा रहे हैं. इसी के करण ढाई दशक पहले की गई कार्रवाई के फायदे अब खत्म हो चुके हैं. सरकारी मशीनरी भी वायु गुणवत्ता में सुधार के प्रति उदासीन है. यदि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को लागू नहीं किया गया होता तो स्थिति बहुत खराब हो जाती. First Updated : Friday, 24 November 2023