Delhi Namaz: राजधानी दिल्ली के इंद्रलोक इलाके में सड़क पर नमाज को लेकर जमकर हंगामा हुआ. नमाज पढ़ने से रोकने के दौरान एक पुलिसकर्मी द्वारा नमाजियों के साथ दुर्व्यवहार की घटना से लोग नाराज हो गये. गुस्साए लोगों ने इंद्रलोक थाने का घेराव किया. इसके बाद वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने मामले में हस्तक्षेप किया और संबंधित पुलिसकर्मी को निलंबित कर दिया. अब उस पुलिस कर्मी का बयान सामने आया है, जिसमें उसका कहना है कि नमाजियों ने उसकी बात नहीं सुनी जिस वजह से उसको बदसुलूकी करनी पड़ी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि उन नमाजियों ने पुलिस की बात क्यों नहीं सुनी?
राजधानी के इंद्रलोक में शुक्रवार दोपहर सड़क पर नमाज पढ़ने के मामले में शेयर किए गए पहले वीडियो पर चौकी प्रभारी मनोज तोमर पर कार्रवाई के बाद शनिवार को सामने आए नए वीडियो ने नई बहस छेड़ दी है. वीडियो में मनोज पहले नमाजियों को सड़क से हटाते नजर आ रहे हैं, लेकिन कोई उनकी बात सुनने को तैयार नहीं हुआ. बार-बार मना करने के बावजूद नमाजी नमाज पढ़ते रहे. बाद में जब मनोज ने देखा कि कोई उसकी बात नहीं सुन रहा तो उसने एक नमाजियों को लात मारी.
पिछले दिनों दिल्ली में नमाज का जो वीडियो सामने आया उसमें देखा जा सकता है कि नमाजी सड़क पर नमाज अदा कर रहे हैं, इस दौरान एक पुलिसवाला उनको लात मारता हुआ दिखाई दे रहा है. इस वीडियो के आने के बाद मामला बढ़ते देख प्रशासन ने पुलिसकर्मी को सस्पेंड कर दिया है. इसके बाद अब पुलिसकर्मी का कहना है कि उसकी बात नहीं सुनी गई इसलिए नमाजियों को लात मारी. लेकिन नमाज पड़ते वक्त बोलने या किसी की बात का जवाब देना कितना सही है. आखिर क्या सोचकर किसी नमाजी ने पुलिसकर्मी की बात नहीं सुनी.
इस्लाम में नमाज को लेकर कुछ हिदायतें दी गई है. जिनको फॉलो करके नमाज अदा की जाती है. नमाज पढ़ने से पहले हर मुसलमान वुजू करता है जिसमें कोहनियों तक हाथ धोना, मसा करना (सिर पर हाथ फेरना), कुल्ली करना, चेहरा धोना, और दोनों पैरों को धोना होता है. आप बिल्कुल पाक हालत में हो तभी नमाज अदा की जाती है.
दिल्ली में सड़क पर नमाज का जो वीडियो सामने आया है उसमें देखा जा सकता है कि मुस्लिम समाज का एक ग्रुप सजदे की हालत में है. अब आप ये जान लीजिए कि सजदा क्या होता है. दरअसल, मुस्लिम धर्म में घुटनों के बल बैठकर प्रार्थना करने की क्रिया को सजदा कहा जाता है. जब भी कोई मुसलमान झुककर प्रार्थना करता है तो उसे सजदा कहा जाता है.
जनभावना टाइम्स ने इस मामले पर लखनऊ के सीनियर जर्नलिस्ट मोहम्मद इरफ़ान से बात की, जो इस्लामिक मामलों के भी जानकार हैं. उनका कहना है कि 'जब नमाज़ पड़ने के लिए नीयत बांधते हैं तो उसके बाद हम अल्लाह के साथ जुड़ते हैं, मतलब कि वो इस हालत में किसी से बात नहीं कर सकता है, नमाज़ी का पूरा ध्यान केवल नमाज पर होता है, इस दौरान उसके सामने कुछ भी हो रहा हो वो अपनी नीयत बीच में नहीं तोड़ता है.' उन्होंने आगे कहा कि 'इसका एक तरीका होता है, जिसको पूरा करने के बाद ही आप बात कर सकते हैं.'
इरफ़ान बताते हैं कि 'नीयत बांधकर नमाज शुरू की जाती है, और इस दौरान नमाजी किसी से बात तक नहीं कर सकता. नमाज में रकात होती हैं जिनको पूरा करके सलाम फेरा (गर्दन को दोनों कंधों की तरफ घुमाया जाता है) जाता है, इसके बाद ही नमाजी किसी से बात कर सकता है.'
भारत एक धर्म निर्पेक्ष देश है, यहां पर हर किसी को अपने धर्मों का पालन करने का पूरा हक है. इसपर इरफ़ान का कहना है कि 'सड़क पर नमाज पढ़ना बहुत मुनासिब नहीं है, लेकिन अगर कोई पढ़ रहा है तो उसको लात मारकर भी नहीं भगाना चाहिए. उस दौरान पुलिस को नमाज़ियों के सलाम का इंतजार करना चाहिए था, जिससे इस मामले को आसानी से निपटाया जा सकता था. First Updated : Sunday, 10 March 2024