Delhi: 'मुसलमानों के मन की बात सुनिए मोदी जी', इमाम सैयद बुखारी ने कहा-देश में फैलाई जा रही नफरत
Delhi News: जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने कहा कि देश में खुलेआम एक धर्म के लोगों को टारगेट कर धमकी दी जा रही है.
Imam Syed Ahmed Bukhari: दिल्ली की जामा जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने शुक्रवार को बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि देश में जिस तरह नफरत का माहौल बन रहा है उसमें प्रधानमंत्री को मुसलमानों के मन की बात सुननी चाहिए. देश में खुलेआम एक मजहब को टारगेट कर धमकी दी जा रही है. शाही इमाम ने नूंह हिंसा को लेकर भी बयान दिया है. उन्होंने कहा कि गृह मंत्री को मुस्लिम समुदाय के बुद्धिजीवियों से मुलाकात करनी चाहिए.
ऐतिहासिक जामा मस्जिद इमाम अहमद बुखारी ने कहा कि हमें सजा इसलिए दी जा रही है क्योंकि हम मुसलमान हैं. मेवात के मुसलमानों के घरों पर बुलडोजर चला दिया है और आज उनके सिर पर छत नहीं है. उन्होंने कहा कि कल तक हम सब साथ रहते थे, लेकिन कुछ कट्टरपंथियों वजह से देश में नफरत की आंधी चल रही है.
इमाम अहमद बुखारी ने कहा, “देश के मौजूदा हालात ने मुझे इस बारे में बोलने के लिए मजबूर कर दिया है. मौजूदा हालात में मुसलमान परेशान हैं और अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं. एक खास धर्म के लोगों को खुली चुनौती दी जा रही है. पंचायतें हो रही हैं जिनमें मुसलमानों का बहिष्कार करने और उनके साथ कारोबार ना करने का ऐलान किया जा रहा है. दुनिया में 57 इस्लामिक देश हैं जहां गैर-मुसलमान रहते हैं और उनके रोजगार को कोई खतरा नहीं है.”
'मुसलमानों के हालात दलितों से भी बदतर है'
इमाम अहमद बुखारी ने कहा, "हम सबको मालूम है कि सब कुछ चुनाव की वजह से कराया जा रहा है. कोई भी पार्टी हमेशा सत्ता में नहीं रहने वाली. प्रधानमंत्री जी हालात को समझें और गौर करें. आजादी के 75 साल बाद भी मुसलमानों को सामाजिक न्याय नहीं मिला. मुसलमानों के हालात दलितों से भी बदतर हैं." उन्होंने हरियाणा की नूंह हिंसा पर भी सवाल खड़े किए है.
'मुसलमानों के घरों पर चला दिया बुलडोजर'
इमाम अहमद बुखारी ने आगे कहा, "मैं यही कहूंगा कि मैं जुनून का हमसफर हूं. मेरा कोई घर नहीं. आज ये हालत मेवात के मुसलमानों के हैं, उनके पास घर नहीं, बुलडोजर चला दिया गया. भारत का कोई कानून क्या ये कहता है कि बिना जांच के लोगों के घर गिरा दिए जाएं? हम हिंसा का समर्थन नहीं करते, जो हुआ वो दर्दनाक है. भारत जैसे लोकतांत्रिक देश के लिए ये अच्छा नहीं."