ED Raid: AAP के राज्यसभा सांसद संजय सिंह के घर ED के छापे, कथित आबकारी नीति मामले में कार्रवाई
राज्यसभा सांसद संजय सिंह के आवास पर ईडी ने छापे मारे हैं, बताया जा रहा है कि प्रवर्तन निदेशालय की ओर से यह कार्रवाई आबकारी नीति की चार्जशीट में नाम आने के बाद की गई है.
Delhi News: आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह के घर पर आज सुबह ईडी की टीम पहुंच गई है. ईडी के घर पर की पुलिस अधिकारी पहुंचे हैं, साथ ही सुरक्षा बलों की भी तैनाती की गई है. हालांकि अबी आधिकारिक रूप से स्पष्ट नहीं हो पाया है कि किस मामले में ईडी पूछताछ के लिए गई है. लेकिन सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि संजय सिंह से कथित शराब घोटाले के मामले में पूछताछ की जा रही है. यह दूसरी बार जब आप सांसद से पूछताछ की जा रही है.
#WATCH | Visuals from outside AAP Rajya Sabha MP Sanjay Singh's residence
ED raids underway at the residence of AAP Rajya Sabha MP Sanjay Singh pic.twitter.com/k6FRDjY12S— ANI (@ANI) October 4, 2023
संजय सिंह ने ईडी के खिलाफ ठोका था मानहानि का केस
बता दें कि आप सांसद संजय सिंह शराब नीति मामले में उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी, जिसमें संजय सिंह का नाम शामिल था. पिछली बार जब ईडी उनके घर पहुंची तो उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज कर दिया था. इसकी सफाई देते हुए ईडी ने कहा कि राहुल सिंह की जगह गलती से चार्जशीट में संजय सिंह हो गया था. जिसके बाद इस मामले को वहीं खत्म कर दिया गया था. लेकिन मई के महीने में संजय सिंह के करीबी अजीत त्यागी और सर्वेश मिश्रा के घर पर छापेमारी की गई थी. जिसके बाद अब एक बार फिर ईडी संजय सिंह से पूछताछ के लिए उनके आवास पर पहुंची हैं.
इस मामले में मनीष सिसोदिया पहले से ही जेल में है
आबकारी नीति के मामले में दिल्ली के पूर्व डिप्टी चीफ मिनिस्टर मनीष सिसोदिया पहले से ही जेल में हैं. उनको इसी वर्ष ईडी ने गिरफ्तार किया था. शराब घोटाला दिल्ली की नई आबकारी नीति से जुड़ा हुआ है. इस नीति को केजरीवाल सरकार साल 2021 में लेकर आई थी. इस नीति के माध्यम से सरकारी ठेकों को निजी हाथों में देना था. साथ ही कहा गया था कि इससे शराब माफियाओं का वर्चस्व भी खत्म होगा. दावा किया गया था कि सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा. लेकिन नई शराब नीति लागू होने के बाद राजस्व बढ़ने की जगह घटने लगा और दिल्ली सरकार पर सवाल उठने लगे. इसके बाद मुख्य सचिव नरेश कुमार ने गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए इसकी रिपोर्ट उप राज्यपाल को सौंप दी और जुलाई 2022 में इसकी जांच सीबीआी से कराने से अपील की गई थी.