राजधानी में ऑर्गन ट्रांसप्लांट रैकेट का भंडाफोड़, डॉक्टर समेत 6 गिरफ्तार, मास्टरमाइंड बांग्लादेशी

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने मंगलवार (9 जुलाई) को इंटरनेशनल ऑर्गन ट्रांस्प्लांट रैकेट का भंडाफोड़ किया है. मामले में एक महिला डॉक्टर समेत 7 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. क्राइम ब्रांच के DCP अमित गोयल ने बताया कि इसका मास्टरमाइंड एक बांग्लादेशी है. यह काम 25-30 लाख रुपये लेकर किया जा रहा था.

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देश की राजधानी दिल्ली में धड़ल्ले से ऑर्गन ट्रांसप्लांट का रैकेट चल रहा थै. जिसका भांडाभोड हुआ है. दरअसल दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने मंगलवार को एक ऑर्गन ट्रांसप्लांट रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए एक डॉक्टर सहित सात लोगों को गिरफ्तार किया है. 

दिल्ली पुलिस कमिश्नर अमित गोयल के मुताबिक, इस मामले का मास्टरमाइंड बांग्लादेशी है और मामले में डोनर और लेने वाले दोनों ही बांग्लादेश से हैं. इस रैकेट में शामिल सभी लोगों के बांग्लादेश से जुड़े होने का संदेह है. डीसीपी गोयल ने एक बयान में कहा, "हमने रसेल नाम के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है, जो मरीजों और डोनर की व्यवस्था करता था और ट्रांसप्लांट में शामिल एक महिला डॉक्टर को भी गिरफ्तार किया गया है."

सात लोग हुए गिरफ्तार

मामले में गिरफ्तार सात लोगों से पूछताछ अभी भी जारी है. 2019 से चल रहे ऑर्गन ट्रांसप्लांट रैकेट के बारे में गोयल ने कहा, “वे प्रत्येक प्रत्यारोपण के लिए 25-30 लाख रुपये लेते थे.” डीसीपी के अनुसार, जिस डॉक्टर को गिरफ्तार किया गया है, उसका दो-तीन अस्पतालों से संबंध है.

भारत में ऑर्गन ट्रांसप्लांट के कानून

डीसीपी गोयल ने कहा, "इस मामले में उसकी भूमिका यह थी कि वह ऑर्गन ट्रांसप्लांट में मदद कर रही थी, जबकि उसे पता था कि डोनर और प्राप्तकर्ता के ब्लड़ रिलेशन नहीं थे, जिससे वह साजिश का हिस्सा बन गई." भारत के ऑर्गन ट्रांसप्लांट अधिनियम (2014) के अनुसार, अंग दान केवल माता-पिता और भाई-बहन जैसे सगे लोग ही कर सकते हैं. 

भारतीय डोनर नहीं कर सकता ऑर्गन ट्रांसप्लांट

कोई भी भारतीय डोनर किसी विदेशी मरीज को अपने अंग दान नहीं कर सकता, जब तक कि वह प्राप्तकर्ता का करीबी रिश्तेदार न हो. साथ ही प्राप्तकर्ता के दूतावास के एक वरिष्ठ सदस्य को उनके और डोनर के बीच संबंध को प्रमाणित करना होगा ताकि प्रत्यारोपण के लिए इसे वैध माना जा सके. इन मामलों पर भी तभी विचार किया जाता है जब अंग दान के लिए कोई भारतीय मरीज़ पात्र न हो.

First Updated : Tuesday, 09 July 2024