दिल्ली में प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, AQMC को लगाई कड़ी फटकार

Supreme Court strict on pollution in Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता की निगरानी और प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाने के लिए केंद्रीय वायु गुणवत्ता पैनल को कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा है कि एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन ने उम्मीद के मुताबिक काम नहीं किया है.

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Delhi NCR Pollution Case: सर्दियों के आते ही दिल्ली-एनसीआर में हर साल वायु गुणवत्ता का गंभीर संकट पैदा हो जाता है. हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने के कारण सबसे अधिक समस्या होती है. दिल्ली-एनसीआर में पिछले कुछ सालों से प्रदूषण एक बड़ी समस्या बनी हुई है जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है.  कोर्ट ने AQMC को सख्त निर्देश दिए हैं. जस्टिस अभय एस ओक और ऑगस्टिन मसीह की बेंच ने AQMC को प्रदूषण नियंत्रण उपायों को लेकर फटकार लगाई है. दो जजों की बेंच ने कमीशन को निर्देश दिया है कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि किसान पराली नष्ट करने के लिए दी गई मशीनों का ही इस्तेमाल करें.

न्यायमूर्ति ओका ने कहा, 'अधिनियम का पूरी तरह से गैर-अनुपालन हुआ है. कोर्ट ने सवाल किया कि क्या समितियां गठित की गई है? कृपया हमें एक भी कदम दिखाएं, आपने अधिनियम के तहत कौन से निर्देशों का उपयोग किया है? इसके साथ ही कोर्ट ने कमीशन को फटकार लगाते हुए 3 अक्टूबर को अगली सुनवाई के दौरान हलफनामा दाखिल करने को कहा है.

SC ने सीएक्यूएम अध्यक्ष से पुछे सवाल

सीएक्यूएम के अध्यक्ष राजेश वर्मा ने सुनवाई के दौरान कहा कि उनकी बैठक तीन महीने में एक बार होती है. सीएक्यूएम अध्यक्ष ने यह भी बताया कि पंजाब और हरियाणा के अधिकारियों और प्रदूषण बोर्ड के साथ बैठक की गई हैं और उन्होंने अपने मुख्य सचिवों को चेतावनी जारी की है. इस पर अदालत ने सवाल किया क्या यह पर्याप्त है, क्या उनके द्वारा लिए गए निर्णयों से समस्याओं को सुलझाने में मदद मिली है और क्या पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है? अदालत ने चेयरमैन से यह भी पूछा कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है. केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि चेयरमैन ने दो सप्ताह पहले ही कार्यभार संभाला है.

जानिए सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

न्यायमूर्ति ओका ने पूछा, 'हर साल हम पराली जलाने की समस्या का सामना करते हैं क्या यह कम हो रहा है या बढ़ रहा है?' इस दौरान सीएक्यूएम के अध्यक्ष राजेश वर्मा ने अदालत को भरोसा दिलाया कि पिछले तीन सालों में दिल्ली में वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ है और पराली जलाने की घटनाएं धीरे-धीरे कम हो रही हैं. हालांकि, न्याय मित्र न्यायालय की सहायता कर रहीं वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने हाल की घटनाओं का हवाला देते हुए संदेह जताया और सवाल किया कि कानून लागू करने में विफल रहने वाले अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई. उन्होंने कहा कि अगर कानून का उल्लंघन हो रहा है, तो कार्रवाई करने का अधिकार है लेकिन लेकिन वे मूकदर्शक बने हुए हैं.

सीएक्यूएम की कार्रवाई पर SC की टिप्पणी

सिंह ने कहा कि किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए उपकरण खरीदने के लिए हज़ारों करोड़ रुपए दिए गए थे. 2017 में हमें लगा था कि इससे पराली जलाने से रोकने में मदद मिलेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और इसलिए आज CAQM आया है और अब किसी अधिकारी को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए. सुनवाई के अंत में पीठ ने टिप्पणी की कि यह नहीं कहा जा सकता कि सीएक्यूएम ने कोई कार्रवाई नहीं की, लेकिन उन्होंने उस तरह से कार्य नहीं किया जैसा उनसे उम्मीद था. First Updated : Friday, 27 September 2024