'कूड़े के पहाड़' में आग लगने की क्या होती है वजह, लोगों पर कैसे पड़ता है असर?
Ghazipur Landfill Site: गर्मी के दिनों में आग लगने की बहुत सी घटनाएं सामने आती हैं. ऐसे में कूड़े के पहाड़ों में आग लगने के कई मामले सामने आते हैं.
Ghazipur Landfill Site: देश में लगातार तापमान बढ़ता जा रहा है, दिन में चिलचिलाती धूप ने लोगों को बेहाल कर रखा. दूसरी तरफ दिल्ली में तापमान की बढ़ोत्तरी के साथ-साथ आग की घटनाओं में भी बढ़ोत्तरी हुई है. कुछ दिन पहले भी इस्कॉन के पास एक कूड़े के ढेर में आग लगी थी जिसपर काबू पाने में कई दिनों का वक्त लग गया था. बीते दिन पूर्वी दिल्ली में गाजीपुर लैंडफिल स्थल (कचरा एकत्र करने की जगह) पर आग लग गई है. जानिए आखिर कैसे कूड़े के ढेर में आग लग जाती है.
कैसे लगती है आग?
गाजीपुर लैंडफिल बहुत बड़े एरिया में फैला है, जिसकी वजह से आग पर काबू पाने में दिक्कतें आ रही हैं. दिल्ली फायर सर्विस एसओ ने आग लगने की वजह के बारे में मीडिया को बताया कि ''आग लगने की वजह लैंडफिल में बनने वाली गैस होती है. अगर आग किसी इंसान ने नहीं लगाई तो इसका एक कारण कूड़े के दबाव से वहां मीथेन गैस बनती है, जिससे बार-बार आग लगने की घटनाएं सामने आती हैं.
#WATCH दिल्ली के गाज़ीपुर लैंडफिल साइट पर आग जारी है।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 21, 2024
आग लैंडफिल में पैदा होने वाली गैस के कारण लगी: दिल्ली फायर सर्विस SO नरेश कुमार
(वीडियो सुबह 3:45 बजे का है।) pic.twitter.com/VX5c78aCWy
आग पर जल्दी काबू क्यों नही पाया जाता?
शहर भर का कूड़ा किसी एक जगह पर इक्टठा होता है तो धीरे-धीरे उसका एख पहाड़ बन जाता है. इस पहाड़ में हर तरह की खराब चीजे होती हैं. गर्मियों में बढ़ते तापमान और ऊंचाई पर होने की वजह से तेज हवाएं भी आग पर काबू पाने में रोड़ा बनते हैं. ये पहाड़ इतने ऊंचे हैं कि सभी वॉटर बाउजर्स को ऊपर नहीं ले जाया जा सकता है. गाजीपुर लैंडफिल मामले में दिल्ली फायर सर्विस का कहना है कि ऐसे पानी डालने से आग की लपटे तो कम हो जा रही हैं लेकिन उस पर काबू नहीं पाया जा सक रहा है.
इसका लोगों पर क्या पड़ेगा असर?
लैंडफिल साइट के आसपास जो लोग रहते हैं उनको इस कचरे से आने वाली दुर्गंध से काफी परेशानी होती है. बारिश में इसका गंदी पानी नीचे घरों तक आता है जिससे कई तरह की बीमारियों का खतरा हो सकता है. आगलगने के बाद स्थानीयों के लिए मुश्किल और ज्यादा बढ़ गई है. जहां पहले वो दुर्गंध से परेशान थे अब उनको सांस लोने में भी पेरशानी हो रही है.