Nirbhaya Case: निर्भया कांड के 11 साल बाद क्या हैं हालात, कितना सुरक्षित अब महिलाओं के लिए देश?
Nirbhaya Case: देश की राजधानी दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 की सर्द रात में चलती प्राइवेट बस में निर्भया के साथ हुई दरिंदगी ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। उस जघन्य सामूहिक दुष्कर्म कांड की 11वीं बरसी पर आइए जानने की कोशिश करते हैं कि महिला सुरक्षा को लेकर दिल्ली और देश में क्या बदलाव आया है?
हाइलाइट
- निर्भय कांड के 11 साल बाद कितना बदला देश
- निर्भया केस के बाद देश में बलात्कार की परिभाषा बदल दी गई
Nirbhaya Case: दिल्ली की सड़कों पर चलती एक प्राइवेट बस में हुए निर्भया गैंग रेप केस ने न सिर्फ दिल्ली या देश बल्कि पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था. निर्भया केस ने देश की छवि को काफी खराब किया था. राजधानी में हुई इस क्रूर रेप घटना ने पूरे देश में आक्रोश पैदा कर दिया था. 11 साल पहले 16 दिसंबर 2012 की रात राजधानी दिल्ली के मुनिरका इलाके में चलती बस में 23 साल की पैरामेडिकल छात्रा के साथ छह लोगों ने सामूहिक दुष्कर्म किया था.
जब पूरे देश में आक्रोश पैदा कर दिया था
दरअसल, दिल्ली की सड़कों पर चलती एक प्राइवेट बस में हुए निर्भया गैंग रेप केस ने न सिर्फ दिल्ली या देश बल्कि पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था. निर्भया केस ने देश की छवि को काफी खराब किया था. राजधानी में हुई इस क्रूर रेप घटना ने पूरे देश में आक्रोश पैदा कर दिया था. 11 साल पहले 16 दिसंबर 2012 की रात राजधानी दिल्ली के मुनिरका इलाके में चलती बस में 23 साल की पारामेडिकल छात्रा के साथ चलती बस में छह लोगों ने बेरहमी से गैंगरेप की वारदात को अंजाम दिया. पीड़िता को मरा हुआ समझकर दोषियों ने सड़क किनारे फेंक दिया और भाग गए. इलाज के दौरान 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापूर के एक हॉस्पिटल में पीड़िता की मौत हो गई. इस भयावह घटना के बाद दिल्ली को रेप कैपिटल के नाम से जाना जाने लगा.
पीड़िता को न्याय, दोषियों की गिरफ्तारी, जल्द से जल्द सुनवाई कर फांसी की सजा, महिला सुरक्षा, सख्त कानून जैसी कई मांगों को लेकर लोग सड़कों पर उतर गए. इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया.
पुलिस ने 6 दोषियों को कर लिया था गिरफ्तार
दिल्ली पुलिस ने जल्द ही निर्भया के छह दोषियों को गिरफ्तार कर लिया. इसमें एक नाबालिग भी शामिल था. बताया जाता है कि नाबालिग ने सबसे ज्यादा क्रूरता की थी. कोर्ट ने इन सभी को दोषी पाया. दोषियों की पहचान राम सिंह, मुकेश सिंह, विनय गुप्ता, पवन गुप्ता, अक्षय ठाकुर और एक नाबालिग के रूप में की गई. बस ड्राइवर राम सिंह ने ट्रायल के दौरान 11 मार्च 2013 को तिहाड़ जेल में फांसी लगा ली थी. नाबालिग आरोपी को सुधार सुविधा में तीन साल की सजा सुनाई गई.
बाकी चार आरोपियों को सितंबर 2013 में मौत की सजा सुनाई गई. इन लोगों ने मौत की सजा से बचने के लिए कई हथकंडे अपनाए.
कभी ये लोग सुप्रीम कोर्ट गए तो कभी राष्ट्रपति से माफ़ी याचिका की मांग की. आख़िरकार 20 मार्च, 2020 को चारों को फांसी दे दी गई. सज़ा पूरी करने के बाद नाबालिग दोषी दक्षिण भारत चला गया, जहां वह अभी एक होटल में काम कर रहा है.
देशभर में महिला सुरक्षा के लिए कई कदम उठाये गए
सुप्रीम कोर्ट द्वारा 'रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस' घोषित किए गए निर्भया सामूहिक दुष्कर्म-हत्या मामले के बाद देशभर में महिला सुरक्षा के लिए कई बड़े कदम उठाए गए. जस्टिस जेएस वर्मा कमेटी की सिफ़ारिशों को देश में लागू किया गया. देश के लगभग सभी जिलों में बलात्कार पीड़िताओं के लिए वन स्टॉप सेंटर बनवाए गए. महिलाओं की सुरक्षा के लिए हेल्पलाइन जारी किये गए. रेप के घटनाओं में पीड़िता की मदद के लिए निर्भया फंड बनाया गया.
सदी के सबसे क्रूर गैंगरेप कांड मामले के रूप में की गई कार्रवाई के बावजूद, दिल्ली और देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध, खासकर रेप के मामले कम होने के बजाय बढ़ गए हैं. NCRB के आंकड़ों की अगर बात करें तो वो चौंकाने वाले हैं.
सरकार ने संसद में महिला सुरक्षा को लेकर क्या कहा
वहीं, सरकार ने संसद को बताया है कि उसने देशभर में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई कदम उठाए हैं. जिसमें यौन अपराधों को रोकने के लिए आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 शामिल है. इसके अलावा, आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018 को 12 साल से कम उम्र की लड़कियों के रेप के लिए मौत की सजा सहित और भी अधिक कठोर दंड के प्रावधान निर्धारित करने के लिए अधिनियमित किया गया था. अधिनियम में बलात्कार के मामलों में दो महीने के भीतर जांच पूरी करने और आरोप पत्र दाखिल करने और अगले दो महीनों के भीतर मुकदमा पूरा करने का भी आदेश दिया गया है.
बता दें कि सरकार ने एक आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली शुरू की है. यह सभी आपात स्थितियों के लिए एक अखिल भारतीय, एकल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त नंबर 112 आधारित प्रणाली प्रदान करता है. इसमें फील्ड संसाधनों को कंप्यूटर की सहायता से संकटग्रस्त स्थान पर भेजा जाता है. स्मार्ट पुलिसिंग और सुरक्षा प्रबंधन में सहायता के लिए तकनीकी का उपयोग करके पहले चरण में अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता, लखनऊ और मुंबई में सुरक्षित शहर परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है.
2013 में, 'आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम' ने बलात्कार और यौन अपराध कानूनों और उनकी जांच प्रक्रियाओं में कई बदलाव किए। इसमें सबसे अहम बात थी बलात्कार की व्यापक परिभाषा और इसके लिए कड़ी सज़ा का प्रावधान. भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 375 में संशोधन किया गया. बताया गया कि प्राइवेट पार्ट में हाथ या कोई अन्य चीज घुसाना भी दुष्कर्म माना जाएगा. सहमति की उम्र भी बढ़ाकर 18 साल कर दी गई.
रेप की सजा बढ़ाने के लिए धारा 376 में भी संशोधन किया गया. संशोधित धारा के तहत बलात्कार के लिए न्यूनतम सात साल की कैद की सजा का प्रावधान किया गया, जिसे बाद में बढ़ाकर 10 साल कर दिया गया. बलात्कार के कारण मौत के मामले में दोषी को न्यूनतम 20 साल की सजा देने का भी प्रावधान है. किशोर न्याय अधिनियम में संशोधन किया गया ताकि 16-18 साल की आयु के आरोपियों पर 'जघन्य अपराधों' का आरोप लगने पर वयस्कों के रूप में मुकदमा चलाया जा सके.
देश में लगातार महिलाओं के साथ हो रहे दुष्कर्म के आंकड़ों की अगर बात करें तो देख कर तो ऐसा लगता है कि महिलाओं को लेकर जो भी कानून पारित किए जाते हैं. धरातल पर उन चीजों को सही से नहीं उतारा गया है. यही वजह है कि 21वीं सदी में भी आज भी महिलाओं को लेकर क्राइम पर रोक नहीं लग सकी है. आपका क्या कहना है इस मामले में हमें कमेंट करके जरूर बताएं.