Delhi Service Bill: दिल्ली सर्विस बिल की क्या है कहानी, राजधानी के शासन पर कैसे पड़ेगा असर?
Delhi Service Bill: दिल्ली सर्विस बिल को लंबे समय से विवाद चल रहा है. दिल्ली सरकार कभी नहीं चाहती थी कि ये बिल पास किया जाए. जानिए इस बिल के आने के बाद दिल्ली सरकार पर किस तरह से असर पड़ेगा?
हाइलाइट
- 2015 में केजरीवाल के आदेश के बाद शुरु हुआ मामला
- 2016 में हाईकोर्ट ने एलजी के हक में फैसला सुनाया
- अध्यादेश पर राष्ट्रपति के होंगे साइन
- जिसके बाद अफसरों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के अधिकार एलजी पर होंगे
Delhi Service Bill: दिल्ली की सेवाओं से जुड़े बिल पर 7 अगस्त को राज्यसभा ने अपनी मुहर लगा दी है. इसके पहले 3 अगस्त ये बिल लोकसभा में पास किया गया था. लोकसभा और राज्यसभा में ये बिल पास होने के बाद राष्ट्रपति की मंज़ूरी के लिए उनके पास भेजा जाएगा. अगर इसपर राष्ट्रपति साइन कर देती हैं तो दिल्ली सरकार के अफसरों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के अधिकार उपराज्यपाल को मिल जाएंगे.
कैसे शुरु हुआ विवाद?
अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली का सीएम बनने के बाद साल 2015 में आदेश जारी किया, जिसमें लिखा था कि ज़मीन, पुलिस और लॉ एंड ऑर्डर से जुड़ी सभी फाइलें सबसे पहले उनके पास आनी चाहिए. बाद में उनको एलजी के पास भेजा जाएगा. उस वक्त दिल्ली के एलजी नजीब जंग थे, उन्होने इस आदेश को लागू करने से साफ मना कर दिया था. इसके साथ उन्होने बड़ा फैसला लेते हुए सबी अफसरों की नियुक्ति को खत्म कर दिया. उनका कहना था कि ये अधिकार एलजी का है.
दिल्ली सरकार ने किया हाईकोर्ट का रुख
अफसरों के ट्रांसफर और नियुक्ति का अधिकार एलजी को मिलने का बाद दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया. लेकिन अगस्त 2016 में हाईकोर्ट ने एलजी के हक में फैसला सुनाया. जिसमें हाईकोर्ट ने कहा कि एडमिनिस्ट्रेटिव के मामलों में एलजी की सहमति ज़रूरी होगी और कोई भी फैसला लेने से पहले एलजी की मंज़ूरी लेनी होगी.
सुप्रीम कोर्ट पहुंची दिल्ली सरकार
हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद दिल्ली सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चेलेंज किया. इसके बाद 2018 में सुप्रीम कोर्ट बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि मौजूदा सरकार ही दिल्ली के फैसले लेगी. लेकिन कोर्ट ने ये भी साफ किया कि पुलिस, जमीन और लॉ एंड ऑर्डर को छोड़कर बाकी सभी अधिकार दिल्ली सरकार के पास ही होंगे.
इसके बाद आया एनसीटी बिल
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद केंद्र सरकार एक बिल लाई. जिसमें केंद्र ने बताया गया कि 'दिल्ली में सरकार का मतलब एलजी हैं. इस बिल का काफी विरोध किया गया. भारी हंगामें के बाद भी गवर्नमेंट आफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी आफ दिल्ली बिल-2021 को पास किया गया. एक बार फिर दिल्ली सरकार इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची.
दिल्ली सरकार को मिली कामयाबी
इसके साथ ही 11 मई, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर दिल्ली सरकार के हक में फैसला सुनाया. जिसमें कोर्ट ने सेवाओं के मामले में दिल्ली सरकार को हक दे दिया. जिसमें एलजी की पॉवर को ज़मीन, पुलिस और लॉ एंड ऑर्डर तक ही महदूद कर दिया. किसी भी बड़े मामले नमें जैसे- इमरजेंसी को लेकर एलजी फैसला ले सकते हैं या फिर इसे राष्ट्रपति को भेजा जा सकता है.
दिल्ली सेवा अध्यादेश
इसके बाद केंद्र सरकार 19 मई को दिल्ली सेवा अध्यादेश ले आई. जिसमें अधिकारियों के तबादले और नियुक्ती का अधिकार एलजी को दिया गया. वहीं एक बार फिर से दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. इसके साथ ही सीएम केजरीवाल ने अपोज़िशन के साथ मिलकर इस अध्यादेश की मुखालफत की.
7 अगस्त को राज्यसभा में हुआ पास
अध्यादेश को लेकर चली लंबी लड़ाई के बाद 7 अगस्त को इसपर राज्यसभा ने अपनी मुहर लगा दी है. जिसको लेकर अपोज़िशन ने बहुत हंगामा किया. बिल पास होने के बाद राष्ट्रपति की मंज़ूरी के लिए भेजा जाएगा. जिसपर राष्ट्रपति के साइन करते ही एप बार फिर से दिल्ली में अफसरों की नियुक्ती और तबादलों के फैसले का अधिकार एलजी के पास होगा.