Parliament: कब कब हुआ सांसदों का निलंबन? पढ़ें

Parliament: संसद की सुरक्षा में चूक और कई विपक्षी दलों के सांसदों को निलंबित किये जाने के खिलाफ लोकसभा में मंगलवार को विपक्ष के सदस्यों के जोरदार हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई है.

Sangita Jha
Sangita Jha

हाइलाइट

  • 12 सांसदों को 2013 में सस्पेंड किया गया था
  • 2015 में 25 लोकसभा सांसदों को किया गया था निलंबित

Parliament: संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है. इस बीच आज मंगलवार यानी 19 दिसंबर को 49 और विपक्षी सांसदों को लोकसभा से निलंबित कर दिया गया है. बता दें कि संसद की सुरक्षा में चूक मामले को लेकर सोमवार को विपक्षी सांसदों ने लोकसभा और राज्यसभा में हंगामा काटा. जिसके बाद दोनों सदनों के 78 विपक्षी सदस्यों को निलंबित कर दिया गया. इससे पहले 14 सांसदों को निलंबित किया जा चुका है. ऐसे में अब तक कुल 141 सांसद सदन से बाहर हो चुके हैं.

निलंबित सांसदों को पूरे शीतकालीन सत्र की कार्यवाही में हिस्सा लेने से रोक दिया गया है. लोकसभा में सुप्रिया सुले, मनीष तिवारी, शशि थरूर, मोहम्मद फैसल, कार्ति चिदंबरम, सुदीप बंधोपाध्याय, डिंपल यादव और दानिश अली सहित कई विपक्षी सांसदों को संसद के शेष शीतकालीन सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया.

केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, "सदन के अंदर तख्तियां नहीं लाने का निर्णय लिया गया। वे हालिया चुनाव हारने के बाद हताशा में ऐसे कदम उठा रहे हैं। इसलिए हम एक प्रस्ताव (सांसदों को निलंबित करने का) ला रहे हैं।" 

बता दें कि लोकसभा में केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने विपक्षी सांसदों को निलंबित करने का प्रस्ताव रखा था. इससे पहले सोमवार 18 दिसंबर को लोकसभा और राज्यसभा के कुल 92 सांसदों को निलंबित किया गया था.

बड़ी संख्या में सांसदों का निलंबन कोई नई बात नहीं है. पिछले कुछ वर्षों में, बड़ी संख्या में लोकसभा और राज्यसभा सांसदों को सदन की कार्यवाही में बाधा डालने और अनियंत्रित व्यवहार के लिए कई बार निलंबित किया गया है.

इससे पहले 1989 में 63 सांसदों को संसद से निलंबित किया गया था. सांसदों के निलंबन की अवधि एक सप्ताह थी. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या की जांच के लिए बने ठक्कर आयोग की रिपोर्ट को लेकर सांसदों में गुस्सा था. उनके माफी मांगने के बाद निलंबन वापस ले लिया गया. उस समय केंद्र में राजीव गांधी की सरकार थी. 2010 में महिला आरक्षण बिल पर अभद्र व्यवहार के लिए सात राज्यसभा सांसदों को निलंबित कर दिया गया था.

2012 में 8 लोकसभा सांसद निलंबित किए गए. सांसदों के निलंबन का यह अप्रत्याशित मामला था. तत्कालीन यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान, तेलंगाना मुद्दे पर सदन की कार्यवाही को बाधित करने के लिए आठ कांग्रेस सदस्यों को निलंबित कर दिया गया था. सभी आठ सांसद तेलंगाना क्षेत्र से थे और अलग तेलंगाना राज्य की मांग कर रहे थे.

2013 में लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने 12 सांसदों को पांच दिनों के लिए निलंबित कर दिया था. ये सांसद आंध्र प्रदेश से अलग कर तेलंगाना के गठन का विरोध कर रहे थे और इसे लेकर संसद में भारी हंगामा हुआ था. 
13 फरवरी 2014 को तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने आंध्र प्रदेश के 18 सांसदों को शेष सत्र के लिए निलंबित कर दिया। इन सांसदों को तेलंगाना मुद्दे पर सदन में अराजकता फैलाने के आरोप में निलंबित कर दिया गया था.
जानबूझकर सदन को बाधित करने के लिए सांसदों को बार-बार निलंबित किया गया. लोकसभा सांसद हाथों में पोस्टर लिए हुए थे और लगातार नारे लगा रहे थे. 2015 में 25 सांसदों को निलंबित किया गया था.

2019 में तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने संसद की कार्यवाही बाधित करने पर 45 सांसदों को निलंबित कर दिया था. महाजन ने सबसे पहले अन्नाद्रमुक के 24 सांसदों को निलंबित किया। इसमें एआईएडीएमके, टीडीपी और वाईएसआर कांग्रेस के सांसद शामिल थे. राज्यसभा में दो कृषि विधेयकों के पारित होने के दौरान अभद्र व्यवहार के लिए 21 सितंबर 2020 को आठ सांसदों को निलंबित कर दिया गया था.

2021 में संसद के मानसून सत्र के दौरान अभद्र और आक्रामक व्यवहार के लिए सदस्यों को शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया था.
2013 में लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने 12 सांसदों को पांच दिनों के लिए निलंबित कर दिया था. ये सांसद आंध्र प्रदेश से अलग कर तेलंगाना के गठन का विरोध कर रहे थे और इसे लेकर संसद में भारी हंगामा हुआ था.

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19 December 2023, 03:40 PM IST

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