कौन हैं मेधा पाटकर, जिन्हें हुई 5 महीने की सजा, दिल्ली एलजी को 10 लाख देने का आदेश
Medha Patkar Case: दिल्ली की साकेत कोर्ट ने दिल्ली के उप-राज्यपाल वीके सक्सेना की ओर से दाखिल आपराधिक मानहानि के मामले में दोषी करार दी गईं नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर को सजा सुनाने पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने 1 जुलाई को फैसला सुनाने का आदेश दिया. बता दें कि 30 मई को शिकायतकर्ता वीके सक्सेना की ओर से पेश वकील ने मेधा पाटकर को अधिकतम सजा देने की मांग की थी.
Medha Patkar Case: दिल्ली के राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने एक आपराधिक मानहानि केस दायर की थी. इस मामले में अब दिल्ली की साकेत कोर्ट ने प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को पांच महीने के जेल की सजा सुनाई है. मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने मेधा पाटकर को मानहानि का दोषी पाया और उन्हें सक्सेना की प्रतिष्ठा को हुए नुकसान के लिए मुआवजे के रूप में 10 लाख रुपये देने का निर्देश दिया है.
अदालत ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 389(3) के तहत उसकी सजा को 1 अगस्त तक निलंबित कर दिया ताकि वह आदेश के खिलाफ अपील कर सके. मेधा पाटकर को परिवीक्षा की शर्त पर रिहा करने की उनकी प्रार्थना को खारिज करते हुए न्यायाधीश ने कहा, "उम्र और (आरोपी की) बीमारी को देखते हुए, मैं अत्यधिक सजा देने के पक्ष में नहीं हूं."
मेधा पाटकर ने कही ये बात
अदालत के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए मेधा पाटकर ने कहा, "सत्य कभी पराजित नहीं हो सकता...हमने किसी को बदनाम करने की कोशिश नहीं की, हम केवल अपना काम करते हैं...हम अदालत के फैसले को चुनौती देंगे."
क्या है वीके सक्सेना से कनेक्शन
मेधा पाटकर और विनय सक्सेना के बीच साल 2000 से कानूनी लड़ाई चल रही है, जब पाटकर ने उनके और नर्मदा बचाओ आंदोलन (एनबीए) के खिलाफ विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए पाटकर के खिलाफ मुकदमा दायर किया था. मामला जनवरी 2001 का है, जब सक्सेना ने आरोप लगाया था कि पाटकर ने उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के इरादे से झूठे आरोप लगाए गए थे.
क्या है पूरा मामला
मेधा पाटकर के खिलाफ वीके सक्सेना ने आपराधिक मानहानि का केस अहमदाबाद की कोर्ट में 2001 में दायर किया था. गुजरात के ट्रायल कोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान लिया था. बाद में 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई गुजरात से दिल्ली के साकेत कोर्ट में ट्रांसफर कर दिय था. मेधा पाटकर ने 2011 में अपने को निर्दोष बताते हुए ट्रायल का सामना करने की बात कही. वीके सक्सेना ने जब अहमदाबाद में केस दायर किया था उस समय वो नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के अध्यक्ष थे.
कौन है मेधा पाटकर
मेधा पाटकर का जन्म 1 दिसम्बर 1954 को मुंबई में हुआ था. ये भारत की प्रसिद्ध समाज सेविका के रूप में जानी जाती हैं. उन्हें 'नर्मदा घाटी की आवाज़' के रूप में पूरी दुनिया में जाना जाता है. गांधीवादी विचारधारा से प्रभावित मेधा पाटकर ने 'सरदार सरोवर परियोजना' से प्रभावित होने वाले लगभग 37 हज़ार गांवों के लोगों को अधिकार दिलाने की लड़ाई लड़ी है. उन्होंने महेश्वर बांध के विस्थापितों के आंदोलन का भी नेतृत्व किया.