Explainer: संसद में सुरक्षा की चूक का मामला सामने आया जिसके बाद गुरुवार को पार्लियामेंट के आसपास सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं, सिक्योरिटी ने परिसर में प्रवेश करने वालों की गहन जांच की. सुरक्षाकर्मियों ने संसद से करीब 100 मीटर की दूरी पर परिवहन भवन के बाहर बैरिकेड लगा दिए गए हैं. किसी भी अंजान शख्स को तब तक एंट्री नहीं दी गई जब तक उसके पहचान पत्र की जांच नहीं कर ली. इसके अलावा कड़ी सुरक्षा के बीच आदिवासी क्षेत्र डांग से आए कुछ विद्यार्थियों की जांच के बाद प्रधानमंत्री से मिलने की अनुमति दी गई.
13 दिसंबर 2001 को संसद पर हुए आतंकवादी हमले की बरसी थी, जहां एक तरफ सब लोग उस हमले में मारे गए लोगों को याद कर रहे थे, वहीं ,दूसरी तरफ लोकसभा और संसद परिसर के बाहर एक बड़ी सुरक्षा चूक का मामला सामने आया. बीते दिन करीब 1 बजे दो युवक सागर शर्मा और मनोरंजन डी. दर्शक दीर्घा से सदन के अंदर कूद गए और अपने जूते में छुपाकर लाए रंगीन धुएं वाले पटाखे छोड़ दिए. इस मामले के बाद पूरे सदन में अफरातफरी का माहौल बन गया. हालांकि इस मामले में 6 लोगों के शामिल होने की जानकारी थी, जिनको गिरफ्तार कर लिया गया है.
हमले के बाद संसद की सुरक्षा को लेकर कई तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं. इसके लिए एक समिति का भी गठन किया गया है जो पूरे मामले की जांच करेगी. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी अपोजिशन को भरोसा दिलाते हुए कहा कि 'सुरक्षा को लेकर सभी के सुझाव माने जाएंगे.' इससे पहले 2001 में जब संसद में हमला हुआ था तब भी तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष जीएमसी बालयोगी ने संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन किया था. उस वक्त लोकसभा के उपाध्यक्ष पी.एम सईद को इस कमेटी की कमान सौंपी गई थी. इसके अलावा संसद की सुरक्षा को लेकर तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने भी एक कमेटी बनाई थी, जिसके प्रमुख पूर्व गृह सचिव और सांसद आरके सिंह थे.
एक आम नागरिक के लिए संसद के अंदर जाना आसान नहीं है, इसके लिए पास की जरूरत पड़ती है. इन दोनों आरोपियों के पास अनुमति से विशेष पास थे, जानकारी के मुताबिक, इन दोनों ने सांसद प्रताप सिम्हा की सिफारिश पर दर्शक दीर्घा में प्रवेश के लिए पास बनवाये थे. इस मामले पर सिम्हा ने लोकसभा स्पीकर से बात करते हुए बताया कि 'मनोरंजन डी के पिता उनके परिचीत हैं, इसलिए उसे पास दिया गया था.
संसद में सांसदो के अलावा कार्यवाही को देखने के लिए आम लोगों को पास दिए जाते हैं. जिसको विजिटर्स पास कहा जाता है. इस पास को प्राप्त करने के लिए सांसदों की परमिशन चाहिए होती है. लोकसभा वेबसाइट पर लिखे नियम के मुताबिक, एक सांसद एक समय में 4 लोगों को पास देने के योग्य होता है. इस पास को लेने से पहले एक फॉर्म दिया जाता है जिसमें सांसद को पास दिसको दिया जा रहा है उसकी पूरी जिम्मेदारी लेनी होती है. लोकसभा की वेबसाइट से इस पास का फॉर्म निकाल कर भरा जाता है, जिसपर सांसद अपनी सिफारिश लिखते हैं और इसके बाद ये फॉर्म दफ्तर में जमा कराना होता है.
जब 2001 में संसद पर हमला हुआ था, तब भी जेपीसी कमेटी ने विजिटर्स पास को लेकर बहुत सवाल उठाए थे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने कहा था कि 'जिस तरह से कोई भी सांसद किसी को बी पास दिला देता है उससे सुरक्षा को खतरा हो सकता है, इसके लिए सख्त नियम बनाने की मांग की गई थी. इस कमेटी ने रिपोर्ट तो पब्लिक नहीं कि लेकिन जानकारी के मुताबिक, उन्होंने पार्किंग लेवल को अपग्रेड करने और अंडरग्राउंड बंकर बनाने की भी सिफारिश की थी. इस सिफारिश का मकसद था कि कोई बड़ा हमला होने के बाद लोगों को सुरक्षित अंदर छुपाया जा सके.
विजिटर्स की बढ़ती संख्या भी चिंता का विषय बनता जा रहा है. लोकसभा वेबसाइट के अनुसार, 15वीं लोकसभा में 2.25 लाख,16वीं लोकसभा में 2.85 लाख लोगों को पास दिए गए. वहीं, इस बार ये संख्या दौगुनी होने की संभावना जताई गई है. वहीं, संसद में इन लोगों को संभालने के लिए सुरक्षाकर्मी प्रयाप्त संख्या में नहीं होते हैं. 16वीं लोकसभा के शुरू होते ही एक कमेटी बनाई गई थी, जिसने 2015 में संसद की सुरक्षा को लेकर अपनी रिपोर्ट पेश की थी जिसमें सुरक्षा व्यवस्था को काफी खराब बताया गया था. इस कमेटी में स्पीकर सुमित्रा महाजन ने सांसद आरके सिंह, सांसद हरीश मीणा और सांसद सत्यपाल सिंह शामिल थे. First Updated : Friday, 15 December 2023