महिलाओं के साथ क्रूरता के केस बढ़ा-चढ़ा कर आते हैं, SC ने क्यों की ये टिप्पणी
एक महिला ने पति के खिलाफ दायर दहेज-उत्पीड़न के मामले को रद्द करते समय शीर्ष अदालत की ये टिप्पणी की है.
New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को फैसला सुनाते हुए एक महिला द्वारा अपने पति के खिलाफ दहेज की दायर याचिका को रद्द कर दिया. इस दौरान जज ने कहा कि सहिष्णुता और सम्मान एक अच्छे रिश्ते की नीव है. छोटे-मोटे झगड़े को बढ़ा- चढ़ा कर नहीं बताया चाहिए. कोर्ट ने कहा कि एक अच्छे रिश्ते की नींव सहिष्णुता और सम्मान के साथ रहना है. एक दूसरे की गलतियों को एक सीमा तक सहन करना हर विवाह में अंतर्निहत होना चाहिए. छोटी-मोटी नोक झोक सांसारिक मामले हैं इनकों बढ़ा चढ़ा कर पेश नहीं करना चाहिए.
महिला ने लगाया आरोप
एक महिला की तरफ से दर्ज कराई हुई याचिका में उसने पति पर आरोप लगाया है कि महिला के परिवार ने उसकी शादी के समय काफी पैसा खर्च किया था और अपना ‘स्त्रीधन’ भी पति और उसके परिवार को सौंप दिया था, लेकिन शादी के कुछ टाईम बाद, पति और उसके परिवार वालों ने झूठे बहाने बनाकर उसे परेशान करना शुरू कर दिया. जिसके बाद पीठ ने कहा कि प्राथमिकी और आरोप पत्र को पढ़ने से पता चलता है कि महिला द्वारा लगाए गए आरोप काफी अस्पष्ट, सामान्य और व्यापक हैं, जिनमें आपराधिक आचरण नहीं दिया गया है.
झूठी और बहुत बढ़ा-चढ़ा कर शिकायतें
इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारतीय न्याय संहिता के दुरुपयोग से बचने के लिए इसकी धारा 85 और 86 में बदलाव पर विचार करना चाहिए, ताकि झूठी और बहुत बढ़ा-चढ़ा कर शिकायतें दर्ज करने के लिए इसका दुरुपयोग न किया जाए. भारतीय न्याय संहिता की धारा 85 में कहा गया है, ‘किसी महिला का पति या पति का रिश्तेदार उस महिला के साथ क्रूरता करेगा तो उसे तीन साल कैद की सजा दी जाएगी. इसके साथ ही जुर्माना भी भरना पड़ सकता है.’ धारा 86 में ‘क्रूरता’ में महिला को मानसिक और शारीरिक दोनों तरह की परेशाना करना शामिल है.