25 साल तक टले परिसीमन और संविधान में हो संशोधन..., स्टालिन की अध्यक्षता वाली कमेटी में 7 सूत्रीय प्रस्ताव पास
राज्यों में परिसीमन को लेकर तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन की अध्यक्षता वाली एक कमेटी ने 7 सूत्रीय प्रस्तावों पर मुहर लगाई है. इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि वे 25 सालों तक परिसीमन को टालना चाहते हैं. इसके साथ ही संविधान में इससे जुड़े संसोधन चाहते हैं. इसको लेकर कई योजनाओं पर भी प्रस्ताव पास हुए हैं.

JAC Meeting: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की अध्यक्षता में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में जाइंट एक्शन कमेटी (JAC) ने परिसीमन पर एक 7-सूत्रीय प्रस्ताव पारित किया. इस बैठक में तमिलनाडु और अन्य राज्यों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. इस प्रस्ताव में समिती ने परिसीमन प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी और राज्यों से उचित परामर्श न होने पर अपनी चिंता व्यक्त की. उन्होंने 1971 की जनगणना पर आधारित संसदीय क्षेत्रों की सीमा को 25 और वर्षों तक बढ़ाने की मांग की है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जनसंख्या नियंत्रण उपायों को सही से लागू करने वाले राज्यों को दंडित न किया जाए.
इस बैठक में उठाए गए प्रमुख बिंदुओं में से पहला था परिसीमन प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता की आवश्यकता. JAC ने यह कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को मजबूत बनाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा किया जाने वाला कोई भी परिसीमन पूरी तरह से पारदर्शी होना चाहिए. इसमें राज्यों की राजनीतिक पार्टियों, राज्य सरकारों और अन्य संबंधित पक्षों को शामिल किया जाना चाहिए.
जनगणना के आधार पर रुके परिसीमन
दूसरे प्रस्ताव में JAC ने संविधान संशोधन की आवश्यकता पर जोर दिया. उनका मानना था कि 42वें, 84वें और 87वें संवैधानिक संशोधनों के तहत जो उद्देश्य था, वह उन राज्यों का समर्थन करना था जिन्होंने जनसंख्या नियंत्रण को प्रभावी रूप से लागू किया है. इसीलिए 1971 की जनगणना के आधार पर संसदीय क्षेत्रों की संख्या को अगले 25 वर्षों के लिए स्थिर रखा जाना चाहिए.
इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि जिन राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रमों को सफलतापूर्वक लागू किया है और जिनकी जनसंख्या घट गई है, उन्हें सजा नहीं दी जानी चाहिए. इसके लिए संवैधानिक संशोधनों की आवश्यकता होगी.
JAC ने यह भी प्रस्तावित किया कि एक कोर कमेटी बनाई जाए, जिसमें प्रतिनिधि राज्यों के सांसद शामिल हों, जो केंद्र सरकार द्वारा किसी भी विपरीत परिसीमन की कोशिशों का विरोध करेंगे. इन सांसदों को संसद में इस मुद्दे पर संयुक्त रूप से प्रधानमंत्री को प्रतिनिधित्व देने का निर्देश दिया गया.
पार्टियां विधानसभा में उठाएंगी मुद्दा
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि विभिन्न राज्यों की राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने राज्यों में इस मुद्दे को विधानसभा में उठाएंगी और केंद्र सरकार तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश करेंगी. इसके अलावा JAC राज्यों में नागरिकों के बीच परिसीमन के इतिहास और इसके प्रभावों को लेकर जन जागरूकता फैलाने के लिए अभियान चलाएगा और एक समन्वित जनमत संग्रह रणनीति को अपनाएगा.