Dhananjay Singh: रंगदारी के रंगबाज की रंगीन कहानी: पढ़िए कक्षा 10 से लेकर अब तक का सफर

Dhananjay Singh: कोर्ट ने यह सजा अपहरण और रंगदारी के एक मामले में धनंजय को दोषी करार दिए जाने के बाद सुनाई है. इसके साथ ही कोर्ट ने उनपर 50 हजार का जुर्माना भी लगाया है.

JBT Desk
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Dhananjay Singh:  जौनपुर की एमपीएमएलए कोर्ट ने पूर्व सांसद धनंजय सिंह को 7 साल जेल की सजा सुनाई गई है. कोर्ट ने यह सजा अपहरण और रंगदारी के एक मामले में धनंजय को दोषी करार दिए जाने के बाद सुनाई है. इसके  साथ ही कोर्ट ने उनपर  50 हजार का जुर्माना भी लगाया है. बता दें कि कोर्ट ने मंगलवार (5 मार्च ) को धनंजय सिंह को पहले ही इस मामले में दोषी ठहराया था. कोर्ट ने उन्हें 10 मई 2020 में सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के मैनेजर अभिनव सिंघल को धमकी और अपहरण के मामले में दोषी पाया था. 

बता दें, कि धनंजय सिंह ने  तीन दिन पहले ही आगामी लोकसभा के लिए  जौनपुर सीट से चुनाव  लड़ने की घोषणा की थी, लेकिन अब वह जेल पहुंच गए है. इस दौरान आज हम जानते हैं कि कैसे  धनंजय सिंह अरपाधी, से माफिया और माफिया से नेता बनने के सफर के बारे में. 

पूर्व सांसद  धनंजय सिंह ने आगामी लोकसभा चुनाव 2024 लड़ने की घोषणा की थी. उन्होंने तीन दिन पहले ही अपने x पर लिखा था, कि वह आगामी लोकसभा चुनाव में जौनपुर सीट  से चुनाव लड़ेंगे. इससे पहले वह चुनाव की तैयारी करते उन्हें आज बुधवार अपहरण और रंगदारी के मामले में 7 साल जेल की सजा सुना दी गई.  

पूर्व सांसद  को जौनपुर की MP-MLA कोर्ट ने नमामि गंगे प्रोजेक्ट के इंजीनियर अभिनव सिंघल के अपहरण और रंगदारी मामले में  दोषी ठहराया है. धनंजय सिंह के साथ उनके साथी संतोष विक्रम को भी कोर्ट ने दोषी करार दिया है. पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है.

धनंजय सिंह  का अपराध की दुनिया में जाने का सफर साल 1990 में हाईस्कूल में पढ़ने के दौरान एक पूर्व शिक्षक की हत्या कर शुरू हुआ. वहीं पुलिस इस मामले में उनके खिलाफ आरोप साबित नहीं कर पाई थी. यहीं से उन पर आपराधिक मामलों से जुड़े आरोप लगने शुरू हुए. 

इसके बाद जब धनंजय सिंह  इंटर पास कर स्नातक के लिए लखनऊ यूनिवर्सिटी में पहुंचे. यहां छात्र राजनीति और सरकारी विभागों के टेंडर में वर्चस्व की होड़ में उनका नाम कई गंभीर आपराधिक मामलों में सामने आया.  

वहीं स्नातक पूरा करने के साथ-साथ हत्या की साजिश और कोशिश , लूट जैसे गंभीर मामलों से जुड़े आधा दर्जन मुकदमे लखनऊ के हसनगंज थाने में उनके खिलाफ दर्ज हुए.

साल 1997 में BSP नेता मायावती के शासनकाल में बन रहे अंबेडकर पार्क से जुड़े लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर गोपाल शरण श्रीवास्तव की ठेकेदारी के विवाद में हत्या हुई. इसका आरोप के बार धनंजय सिंह पर लगा, इसके बाद वह फरार हो गए. तब सरकार ने उन पर 50 हजार का इनाम रखा था. 

हत्या के मामले में फरार धनंजय सिंह की पुलिस तलाश कर रही थी. इस बीच पुलिस ने फरार धनंजय सिंह और उनके तीन साथियों को 1998 में भदोही में एक एनकाउंटर  के दौरान मार गिराने का दावा किया था. पुलिस ने इसके लिए खुसियां मनाईं और खूब तारीफ बटोरी. 

इसके बाद  एक खुलासे के दौरान पाया गया था पुलिस द्वारा एनकाउंटर में मारे गए चारों युवक निर्दोष थे. इस संबंध में 22 पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ, जो अब भी जिला सत्र न्यायालय में लंबित है.

उत्तर प्रदेश  पुलिस ने 1998 में धनंजय सिंह को एनकाउंटर में मार गिराने का दावा किया था.  लेकिन 1999 में धनंजय सिंह ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया. इसके बाद राजनीति में उथल-पुथल देखने को मिली सवाल खड़े हुए की एनकाउंटर में मारे गए धनंजय कैसे जिंदा हो गए . इस मामले में 22 पुलिसकर्मियों पर हत्या की एफआईआर दर्ज की गई थी. 

इस दौरान धनंजय का नाम 1997 में राजधानी के चर्चित लॉ मार्टिनियर कॉलेज के असिस्टेंट वॉर्डन फ्रेड्रिक गोम्स हत्याकांड और हसनगंज थाना क्षेत्र में हुए संतोष सिंह हत्याकांड में भी एक बार सामने आया.  उनके ऊपर लखनऊ यूनिवर्सिटी के छात्र नेता अनिल सिंह वीरू की हत्या की प्रयास करने के आरोप लगे थे. 

अपराध की दुनिया में छाने के बाद धनंजय सिंह ने राजनीति में अपनी किस्मत आजमाई. उन्होंने पहली बार  2002 में रारी विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीतकर विधायक बने. इसके बाद उन्हें 2007 में JDU से टिकट मिला और सिंह ने  विधानसभा में कदम रखा. 

इसके बाद 2008 में धनंजय सिंह JDU छोड़कर बसपा का दामन थाम लिया. बसपा ने उन्हें 2009 के लोकसभा चुनाव में जौनपुर से टिकट दिया और पहली बार धनंजय सिंह सांसद बने, लेकिन बसपा से उनके संबंध अधिक समय तक अच्छे नहीं रहे. इस दौरान बसपा प्रमुख मायावती ने 2011 में उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में पार्टी से निकाल दिया. इसके बाद से धनंजय सिंह नेपथ्य में हैं.

धंनजय सिंह जौनपुर के सिकरारा थाना क्षेत्र के बंसफा गांव के रहने वाले हैं. इनकी पत्नी श्रीकला सिंह वर्तमान में जौनपुर की जिला पंचायत अध्यक्ष हैं. धनंजय सिंह का निजी जीवन भी काफी उथल-पुथल भरा रहा है. उन्होंने तीन शादियां कीं. उनकी पहली पत्नी ने शादी के नौ महीने बाद ही आत्महत्या कर ली. 

वहीं धनंजय सिंह की दूसरी पत्नी डॉ. जागृति सिंह घरेलू नौकरानी की हत्या करने के आरोप में नवंबर 2013 में गिरफ्तार हुई थीं. वहीं  इस मामले में सबूत मिटाने के आरोप में धनंजय सिंह का भी नाम सामने आया था.  हालांकि बाद में जागृति से उनका तलाक हो गया. इसके बाद 2017 में धनंजय सिंह ने दक्षिण भारत के एक बड़े कारोबारी परिवार से ताल्लुक रखने वालीं श्रीकला रेड्डी से तीसरा विवाह किया था. 

धनंजय सिंह अभी  BJP की सहयोगी पार्टी JDU के नेता हैं.  वह इस बार  लोकसभा में जौनपुर सीट चुनाव लड़ने की तैयारी में थे, लेकिन इन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया है. BJP ने महाराष्ट्र के पूर्व गृहराज्य मंत्री कृपाशंकर सिंह को इस सीट से प्रत्याशी बनाया है.

धनंजय सिंह  को जौनपुर से टिकट ना मिलने के बाद ऐसा माना जा रहा था कि वह  BJP की जीत की राह में रोड़ा बनेंगे. हालांकि लोकसभा चुनाव से पहले ही धनंजय सिंह की मुश्किलें बढ़ने पर जौनपुर में तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई थीं. कुछ लोगों ने कहा था कि अगर कोर्ट बुधवार को  धनंजय सिंह को दो साल या उससे अधिक की सजा सुनाती है तो वह जेल में बंद रहेंगे और चुनाव नहीं लड़ पाएंगे.

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06 March 2024, 05:07 PM IST

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