राम रहीम को मिली फरलो मंज़ूरी: आसान समझिए क्या है फरलो और पैरोल में अंतर?
Difference between furlough and parole: दुष्कर्म और हत्या के मामले में जेल सजा काट रहा राम रहीम गुरमीत सिंह को फरलो मंजूरी के जारिए 21 दिन के लिए जेल से बाहर आने की खबर है. अब ऐसे में बहुत से लोगों के मन मे यह सवाल पैदा हुआ होगा कि आखिर फरलो और पैरोल में अंतर क्या है
Difference between furlough and parole: दुष्कर्म और हत्या के मामले में जेल सजा काट रहा राम रहीम गुरमीत सिंह को फरलो मंजूरी के जरिए 21 दिन के लिए जेल से बाहर आने की खबर है. बता दें कि इससे पहले भी डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम कई बार पैरोल पर बाहर आ चुका है.
वहीं अगर इसके बहार आने कि बात करें तो राम रहीम बीते वर्ष 17 जून को 30 दिन, 15 अक्टूबर को 40 दिन और इस साल 21 जनवरी को 40 दिन, 20 जुलाई को 30 दिन का पैरोल लेकर बरनावा के आश्रम में रहा है. अब ऐसे में बहुत से लोगों के मन मे यह सवाल पैदा हुआ होगा कि आखिर फरलो और पैरोल में अंतर क्या है. तो आइये जानते है.
पैरोल क्या है?
सबसे पहले तो कैदी को पैरोल तभी दी जाती है जब उसकी सजा का एक साल पूरा हो जाता है. इसमें कैदी की रिहाई सशर्त होती है जो आमतौर पर कैदी के व्यवहार पर निर्भर करती है, जिसमें समय-समय पर अधिकारियों को रिपोर्टिंग की आवश्यकता होती है.
पैरोल यह किसी प्रकार का अधिकार नहीं है, इसे एक विशेष कारण के लिए कैदी को दिया जाता है. जैसे कि परिवार में किसी अपने की मृत्यु या करीबी रिश्तेदार की शादी आदि के लिए दी जाती है. इसमें कैदी को पैरोल देने के से मना भी किया जा सकता है.
फरलो क्या है?
वैसे तो इन दोनों में ज्यादा अंतर नहीं है. इसे लंबी अवधि तर जेल में रहने के बाद दिया जाता है. एक कैदी को दी गई फरलो की अवधि को उसकी सजा की छूट के रूप में माना जाता है.
पैरोल के विपरीत इसे एक कैदी के अधिकार के रूप में देखा जाता है. इसे समय-समय पर बिना किसी कारण के कैदी को दिया जाता है जिससे कैदी परिवार एवं सामाजिक संबंधों को बनाए रखने और जेल में बिताए लंबे समय के बुरे प्रभावों का मुकाबला करने में सक्षम हो सके.