Deepawali Village: आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के गारा मंडल में स्थित एक गांव है, जो भारत के सबसे प्रिय त्योहारों में से एक दिवाली के नाम से जुड़ा है. यह एक खूबसूरत गांव है जो इस पारंपरिक उत्सव को स्थानीय रंग-रूप के साथ मनाने का अनोखा तरीका प्रस्तुत करता है. इस गांव को परंपरा और सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ने के इच्छुक लोगों के लिए एक रोचक स्थल बनाता है. यहां से एक कहानी जुड़ी है जिस कारण इसका नाम ही दीपावली पड़ गया.
गांव, शहरों के कई अनोखे और अजीबो गरीब नाम आपने सुने होंगे. पर आंध्र प्रदेश का ये गांव दीपावली बड़ा ही अनोखा है. इससे इसके नाम के पीछे का कहानी जानते हैं. इसके साथ ही ये भी जानते हैं कि इस गांव में दिवाली के लिए क्या परंपरा है?
इस गांव के नाम के पीछे एक प्राचीन कहानी है. कहा जाता है कि सदियों पहले इस क्षेत्र पर शासन कर रहे राजा एक भक्त व्यक्ति थे और अक्सर श्रीकूर्मनाथ मंदिर के दर्शन करने आते थे. एक दिन मंदिर से लौटते समय राजा बेहोश होकर रास्ते में गिर पड़े. उस कठिन समय में पूरे गांव के लोग उनके पास जलते हुए दीपक लेकर दौड़े, उन्हें पानी पिलाया और उन्हें होश में लाया. राजा उनकी इस सेवा से भाव-विभोर हो गए.
इसके बाद, उन्होंने घोषणा की आपने मुझे दीपों की रोशनी में सेवा दी. आज से इस गांव का नाम दीपावली होगा. इस प्रकार यह गांव इतिहास में दीपावली के नाम से जाना जाने लगा, जो कि अंधकार पर प्रकाश की और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है. तब से, इस गांव में दिवाली एक विशेष श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाई जाती है, जो राजा और उस समय के लोगों की मदद की याद में श्रद्धांजलि स्वरूप है.
गांव में दिवाली के अलावा अन्य भारतीय त्योहारों की तरह ही आनंद और उमंग की परंपराएं देखने को मिलती हैं. यहां, जैसे संक्रांति पर घर के दामाद का स्वागत किया जाता है. वैसे ही दिवाली पर गांव में परिवार इकठ्ठा होकर भोज, मिठाई बांटना, और एक-दूसरे से हंसी-मजाक करते हुए रिश्तों को मजबूत करते हैं. दिवाली पर गांव के हर कोने को हजारों तेल के दीपकों से रोशन किया जाता है. रंगोली डिजाइनों से सजे घर और गलियां राजा और उनके चमत्कारी स्वस्थ होने की कहानी बयां करते हैं.
उत्सव का मुख्य आकर्षण एक विशाल जुलूस होता है, जिसमें गांव के लोग पारंपरिक परिधानों में तेल के दीपक लेकर एकत्र होते हैं और राजा की मदद की घटना का स्मरण करते हुए प्रार्थना करते हुए पूरे गांव में घूमते हैं. इस जुलूस का समापन श्रीकूर्मनाथ मंदिर में विशेष अनुष्ठान और वर्षभर के लिए आशीर्वाद की कामना के साथ होता है.
आजकल दीपावली गांव पर्यटकों और श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है, जो दिवाली के विशेष अंदाज का आनंद लेने के लिए यहां आते हैं. दिवाली के दिन इस गांव की संस्कृति और परंपराओं के सजीव अनुभव का आनंद लेने के लिए यहां हजारों की संख्या में पर्यटक आते हैं. समय के साथ, पारंपरिक उत्सवों को सुरक्षित रखते हुए, पर्यावरण-अनुकूल तरीकों से दीपावली मनाने का प्रयास भी किया जा रहा है.