सांसद के पल्ले नहीं पड़ी मंत्री की चिट्ठी, आप भी जानें जवाब

भारत में विभिन्न भाषाओं के कारण कई बार भाषायी विवाद सामने आता है. ये मुद्दा खासतौर पर तमिलनाडु में खूब उठता है. एक बार फिर से सांसद एमएम अब्दुल्ला ने केंद्रीय मंत्री के पत्र पर जवाब देते हुए. भाषायी विभेद का आरोप लगाया है.

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तमिल और हिंदी भाषाओं के बीच मतभेद का मुद्दा फिर से सुर्खियों में आ गया है. डीएमके नेता और राज्यसभा सांसद एमएम अब्दुल्ला ने शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू के पत्र का तमिल में जवाब दिया. इसमें उन्होंने कहा कि उन्हें पत्र का एक भी शब्द समझ में नहीं आया. बता दें यह पत्र ट्रेनों में भोजन की गुणवत्ता और सफाई से संबंधित सवालों को लेकर था, जिसे मोदी सरकार के मंत्री ने हिंदी में लिखा था.

सोशल मीडिया पर इन दोनों पत्रों को साझा करते हुए सांसद अब्दुल्ला ने कहा कि केंद्रीय राज्य मंत्री के कार्यालय को कई बार याद दिलाने के बावजूद, पत्र हिंदी में ही भेजे जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि कार्यालय को यह सूचित किया गया था कि उन्हें हिंदी नहीं आती, फिर भी पत्र हिंदी में भेजा गया.

डीएमके सांसद का जवाब और अनुरोध

डीएमके सांसद अब्दुल्ला ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि रेल राज्य मंत्री के कार्यालय से हमेशा पत्र हिंदी में आता है. उन्होंने कार्यालय के अधिकारियों को फोन कर अंग्रेजी में पत्र भेजने का अनुरोध किया, लेकिन उन्हें हिंदी में ही जवाब मिला. इसके चलते उन्होंने तमिल में पत्र भेजा ताकि वे भी इसे समझ सकें और इसके अनुरूप कार्य कर सकें.

भविष्य के लिए अंग्रेजी में पत्र भेजने का अनुरोध

अब्दुल्ला ने केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू से तमिल में अनुरोध किया कि भविष्य में उन्हें पत्र अंग्रेजी में भेजे जाएं. डीएमके ने 2022 में भी केंद्र सरकार पर हिंदी थोपने का आरोप लगाया था, जिससे तमिल भाषी क्षेत्र में नाराजगी देखने को मिली थी.

अमित शाह के बयान पर डीएमके की प्रतिक्रिया

इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि हिंदी को अंग्रेजी के विकल्प के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए. इसके जवाब में डीएमके अध्यक्ष और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इस बयान की निंदा की और कहा कि यह देश की एकता और अखंडता को प्रभावित कर सकता है. First Updated : Saturday, 26 October 2024