Doda Terror Attack: शहीदों के घर से उठी आवाज, 'आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई हो'
Doda Terror Attack: डोडा में शहीद कैप्टन थापा के पिता कहते हैं कि मेरा बेटा इंजीनियरिंग की पढाई करने के बाद भी सेना में जाना चाहता था. उसने एक बार में ही परीक्षा पास कर ली और सेना में भर्ती हो गया. मुझे गर्व है कि मेरे बेटे ने देश की सुरक्षा के लिए अपनी जान दी है. मैं उससे दोबारा नहीं मिल पाऊंगा, पर मुझे खुशी है कि उसने अपने देश के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया.
Doda Terror Attack: जम्मू कश्मीर के डोडा में शहीद कैप्टन ब्रिजेश थापा के माता पिता की बातों को सुनकर हर किसी का दिल दहल जाएगा. दरअसल थापा आतंकवादियों और सेना के बीच हुए मुठभेड़ में अपनी जान गवा बैठे हैं. बता दें कि शहीद थापा के पिता खुद एक रिटायर्ड कर्नल हैं. बेटे के अचानक चले जाने की जानकारी सुनकर इस बात पर यकीन कर पाना उनके लिए बेहद कठिन था. जानकारी मिल रही है कि शहीद ब्रजेश थापा की डेड बॉडी को बुधवार यानी 17 जुलाई को परिवार वालों को सौंप दिया जाएगा.
ब्रजेश थापा की मां का छलका दर्द
कैप्टन थापा की मां का कहना है कि मुझे अपने बेटे के ऊपर बहुत गर्व है. क्योंकि उनसे देश के लिए अपनी जान दी है, उनकी मां ने कहा कि ‘मेरा बेटा हमेशा के लिए गुम हो गया, वह हमारे पास कभी नहीं लौट पाएगा. मेरा बेटा बहुत डीसेंट लड़का था. वह हमेशा से आर्मी में शामिल होना चाहता था.हम उन्हें बताते थे कि सेना में जीवन कठिन है. मुझे बहुत गर्व है मेरे बेटे ने देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी.अब वो हमसे काफी दूर चला गया है. सरकार ऐसे नहीं बैठेगी, कार्रवाई करेगी."
मुझे गर्व है शहीद होने पर- थापा के पिता
शहीद कैप्टन थापा के पिता कर्नल भुवनेश थापा का कहना है कि मुझे गर्व है कि उनके बेटे ने देश की सुरक्षा के लिए खुद की जान दे दी है. वहीं न्यूज एजेंसी एनएआई से बातचीत करते हुए कर्नल भुवनेश थापा (रिटायर्ड) ने बताया कि सरकार आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है. आगे उनका कहना है कि जब मुझे बताया गया कि वह नहीं रहे तो मुझे विश्वास ही नहीं हुआ. वह बचपन से ही भारतीय सेना में जाना चाहता था. वह मेरी आर्मी ड्रेस पहनता और पूरे घर में घूमते रहता था. वहीं उनकी मां का कहना है कि हमारा बेटा हमेशा के लिए गुम हो गया है.
मात्र 26 साल के थे शहीद ब्रजेश
मुठभेड़ में शहीद हुए कैप्टन ब्रजेश थापा की उम्र मात्र 26 वर्ष थी. उनकी तीन पीढियां सेना में काम कर चुकी हैं, इतना ही नहीं उनके पिता भी कर्नल रैंक से रिटायर हैं. कैप्टन के शहीद होने की बात जब दार्जिलिंग की पहाड़ियों में फैली तो लोगों का दिल बैठ गया. ब्रजेश थापा की मां कहती हैं कि उसके पापा ने कई बार कहा कि नेवी में भर्ती हो जा आर्मी बहुत कठिन है पर उसने किसी की ना सुनी.
वहीं उनकी मां निलिमा थापा कहती हैं कि ब्रजेश मार्च के महीने में घर आया था. वह हमेशा खुश रहने वाला लड़का था. सादा खाना खाया करता था, हमेशा कहता था कि देश के लिए कुछ कर जाउंगा. उसे खाने में हलवा बेहद पसंद था, फिर बाद में कहने लगा मैं इसे खाने से मोटा हो जाउंगा. मेरा बेटा बहादुर था, आखिर किसी को तो जाना पड़ता देश की रक्षा करने के लिए, दुश्मनों से लड़ने के लिए, वरना देश की रक्षा कौन करेगा.