राहुल गांधी ने जब मनमोहन सिंह के एक अध्यादेश को बकवास कहा तो उन्होंने...

Dr. Manmohan Singh: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में निधन हो गया. डॉ. मनमोहन सिंह को भारत के "अनिच्छुक प्रधानमंत्री" के रूप में जाना जाता था. उन्होनें 2004 से 2014 तक देश की बागडोर संभाली. अपने जीवनकाल में उन्होंने कई आर्थिक और सामाजिक सुधारों को आकार दिया और एक ईमानदार और सक्षम नेता के रूप में दुनिया भर में पहचान बनाई.

Shivani Mishra
Edited By: Shivani Mishra

Dr. Manmohan Singh: पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, जिन्होंने भारतीय राजनीति और आर्थिक सुधारों में अमिट छाप छोड़ी, का 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया. गुरुवार रात, तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें दिल्ली के एम्स के आपातकालीन विभाग में भर्ती कराया गया. उनके निधन की खबर से राजनीतिक और आम जनमानस में शोक का माहौल है.

डॉ. मनमोहन सिंह, जिन्हें भारत के "अनिच्छुक प्रधानमंत्री" के रूप में जाना जाता था, ने 2004 से 2014 तक देश की बागडोर संभाली. अपने जीवनकाल में उन्होंने कई आर्थिक और सामाजिक सुधारों को आकार दिया और एक ईमानदार और सक्षम नेता के रूप में दुनिया भर में पहचान बनाई.

एक महान नेता और अर्थशास्त्री

डॉ. सिंह ने अपने करियर की शुरुआत एक शिक्षाविद् के रूप में की और 1971 में वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार बने. इसके बाद, उन्होंने मुख्य आर्थिक सलाहकार, योजना आयोग के उपाध्यक्ष और आरबीआई गवर्नर जैसे महत्वपूर्ण पदों पर काम किया. 1991 में, भारत जब गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा था, तब वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने उदारीकरण और निजीकरण जैसे साहसिक कदम उठाए. उनके सुधारों ने न केवल भारत को आर्थिक संकट से उबारा बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत को एक नई पहचान दिलाई.

प्रधानमंत्री के रूप में 10 वर्षों का कार्यकाल

2004 में, कांग्रेस पार्टी ने उन्हें प्रधानमंत्री चुना. इस दौरान उन्होंने मनरेगा, आधार और खाद्य सुरक्षा अधिनियम जैसे कई ऐतिहासिक कार्यक्रम शुरू किए. उनकी विदेश यात्राओं ने भारत की वैश्विक स्थिति को मजबूत किया, और उन्होंने भू-राजनीति में अपनी कुशलता साबित की.

आलोचनाओं और विवादों के बावजूद कायम रखा आत्मसम्मान

हालांकि डॉ. सिंह को अपने कार्यकाल के दौरान कई विवादों और आलोचनाओं का सामना करना पड़ा. यूपीए सरकार के दौरान घोटालों और विपक्ष की तीखी आलोचना के बीच भी उन्होंने अपनी शांति और गरिमा बनाए रखी. यहां तक कि राहुल गांधी द्वारा एक अध्यादेश को "बकवास" कहने पर उनकी सार्वजनिक रूप से आलोचना हुई, लेकिन उन्होंने इसे संयम से संभाला.

इतिहास करेगा याद

डॉ. सिंह का राजनीतिक करियर 2014 में समाप्त हुआ, लेकिन उनकी विरासत हमेशा जीवित रहेगी. 2022 में, राष्ट्रपति चुनाव के दौरान व्हीलचेयर पर उनका मतदान करने आना उनकी दृढ़ता और संकल्प का उदाहरण था. जैसा कि उन्होंने अपने अंतिम संवाददाता सम्मेलन में कहा था, "इतिहास मेरे प्रति मीडिया से अधिक दयालु होगा." आज, उनके योगदान को देखते हुए यह बात पूरी तरह सच साबित होती है.

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26 December 2024, 11:33 PM IST

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