Drone Attack: मणिपुर में हाल ही में जो हमला हुआ है वो बेहद चिंता का विषय है. सितंबर की शुरुआत में हुए इस हमले में दो लोगों की मौत हो गई और 10 लोग घायल हो गए. जिनमें एक 12 साल की बच्ची, दो पुलिसकर्मी और एक मीडियाकर्मी शामिल हैं. लेकिन इस बार हमला खास इसलिए है क्योंकि इसमें ड्रोन का इस्तेमाल किया गया.
यह पहली बार है जब मणिपुर में ड्रोन से हमला किया गया है और यह बात बेहद गंभीर है. ड्रोन का उपयोग युद्ध में अब एक आम बात हो गई है. जैसा कि हाल के संघर्षों जैसे नगोर्नो-काराबाख और रूस-यूक्रेन में देखा गया है. लेकिन जब ड्रोन का इस्तेमाल घरेलू हिंसा में होने लगे तो यह एक नई और खतरनाक स्थिति पैदा करता है.
ड्रोन का हमला अचूक
ड्रोन से हमलावर दूर से ही बम गिरा सकते हैं जिससे हमला अचानक और अचूक हो सकता है. इसका मतलब यह है कि हमलावर आसानी से किसी भी समय कहीं भी हमला कर सकते हैं और इसे रोकना बहुत मुश्किल हो जाता है. इससे टारगेटेड हत्याएं बढ़ सकती हैं और पूरे इलाके में अशांति फैल सकती है.
हमले के पीछे उग्रवादी
मणिपुर पुलिस का कहना है कि इस ड्रोन हमले के पीछे 'कुकी उग्रवादियों' का हाथ है. इन उग्रवादियों ने ड्रोन के जरिए रॉकेट ग्रेनेड और अन्य विस्फोटक भेजे थे. पुलिस और अन्य सुरक्षा बलों ने अब इन उग्रवादियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान छेड़ दिया है. राज्य सरकार ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है और कहा है कि अपराधियों को पकड़ने के लिए पूरी ताकत लगा दी जाएगी.
ड्रोन हमला बना चुनौती
भारत के लिए यह ड्रोन हमला एक नई चुनौती है. यह घरेलू संघर्षों में ड्रोन के उपयोग की शुरूआत कर सकता है जिसके लिए सुरक्षा एजेंसियों को नए तरीकों से तैयारी करनी पड़ेगी. इसके अलावा अन्य आतंकवादी समूह भी इस तरह की तकनीक को अपनाने के लिए प्रेरित हो सकते हैं. इससे पूरे देश में सुरक्षा की स्थिति और भी जटिल हो सकती है. मणिपुर में बढ़ते तनाव से केंद्र और राज्य सरकार के रिश्ते भी प्रभावित हो सकते हैं और इसे हल करने के लिए अधिक मजबूत रणनीतियों की आवश्यकता होगी. First Updated : Tuesday, 03 September 2024