CREDAI-Liases Foras Report: भारत में बढ़ती हुई आबादी एक बड़ी चिंता के रूप में सामने आ रही है. वर्तमान समय की बात करें तो चीन को पीछे छोड़ भारत दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन चुका है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि बढ़ती जनसंख्या के कारण साल 2036 तक कुल 6.4 करोड़ अतिरिक्त घरों की आवश्यकता होगी. क्रेडाई-लियासेस फोरास द्वारा जारी एक रिपोर्ट में ये जानकारी सामने आई है. रियलटर्स की शीर्ष संस्था क्रेडाई ने डेटा एनालिटिक फर्म लियासेस फोरास के साथ मिलकर वाराणसी में आयोजित न्यू इंडिया समिट में यह रिपोर्ट लॉन्च की.
संयुक्त रिपोर्ट में कहा गया है कि जनसंख्या वृद्धि के कारण 2036 तक भारत में अतिरिक्त आवास की आवश्यकता 64 मिलियन है. साथ ही इसमें ये भी बताया गया है कि 2018 में भारत में रहने के लिए 29 मिलियन घरों की कमी थी, जो कि अब इन आंकड़ों में करीब दूगना अंतर देखा जा रहा है.
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि इस बात का भी उम्मीद है कि रियल एस्टेट में व्यापक रूप से विकास की अगली लहर टियर-II और टियर-III क्षेत्रों से आएगी. वहीं आगे यह भी बताया गया कि आवास की मांग पिछले साल मजबूत थी, जिसमें पूरे भारत स्तर पर 19,050 से अधिक रेरा पंजीकरण भी देखे गए, जिनमें से 45 प्रतिशत परियोजनाएं आवासीय खंड में थीं.
क्रेडाई के अध्यक्ष बोमन ईरानी ने कहा, "तेजी से बढ़ती भारतीय आबादी और अर्थव्यवस्था के परिणामस्वरूप घरों की मांग और आपूर्ति में तेजी आई है, साथ ही घर खरीदारों की क्रय शक्ति में भी सुधार हुआ है और वे बड़े घर खरीदने के लिए प्रेरित हुए हैं." उन्होंने आगे कहा कि टियर-II और टियर- III शहरों में आवास निर्माण में तेजी आएगी. क्रेडाई के चेयरमैन, मनोज गौड़ ने कहा: "2023 सभी रियल एस्टेट हितधारकों के लिए एक अच्छा साल रहा था और हमें उम्मीद है कि यह मांग 2024 और उसके बाद भी बनी रहेगी."
लियासेस फोरास के संस्थापक और प्रबंध निदेशक, पंकज कपूर ने कहा, "भारतीय रियल एस्टेट वर्तमान में एक अत्यंत महत्वपूर्ण जंक्शन पर खड़ा है, जिसमें निरंतर मांग और आपूर्ति जीडीपी में काफी योगदान दे रही है, जबकि 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए एक निश्चित रास्ता प्रदर्शित कर रही है." First Updated : Tuesday, 09 January 2024