Durga Puja In Bangladesh: बांग्लादेश में चल रहे दुर्गा पूजा उत्सव के दौरान हिंदू मंदिरों पर हो रहे हमलों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है. भारत ने इन घटनाओं की कड़ी निंदा की है, विशेषकर बांग्लादेश के सतखीरा जिले में जेशोरेश्वरी काली मंदिर से देवी काली के मुकुट की चोरी की घटना पर. यह मुकुट भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2021 में उपहार में दिया गया था.
भारत के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'हमने ढाका के तांतीबाजार में पूजा मंडप पर हमले और जेशोरेश्वरी काली मंदिर में हुई चोरी की घटनाओं को गंभीर चिंता के साथ देखा है. ये निंदनीय घटनाएं मंदिरों और देवताओं को अपवित्र करने का एक संगठित प्रयास हैं.'
अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय की चिंता
इस बयान के बाद, बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय की स्थिति को लेकर चिंता बढ़ गई है. देश में हिंदू जनसंख्या लगभग 8 प्रतिशत है और हाल के वर्षों में उन पर हिंसा और भेदभाव के कई मामले सामने आए हैं. मिली रिपोर्ट्स के मुताबिक, दुर्गा पूजा के दौरान इस्लामी समूहों से धमकियों का सामना करते हुए हिंदू समुदाय ने अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की है.
हिंसक घटनाएं और पुलिस कार्रवाई
दुर्गा पूजा समारोह के दौरान बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों में 35 से अधिक हिंसक घटनाएं हुई हैं, जिनमें से 11 मामलों में पुलिस ने कार्रवाई की है. ढाका के तांतीबाजार क्षेत्र में एक पूजा मंडप पर पेट्रोल बम फेंका गया जिसमें कम से कम 20 लोग घायल हुए हैं. इस स्थिति को देखते हुए बांग्लादेश पुलिस ने 17 लोगों को गिरफ्तार किया है.
बांग्लादेश सरकार से अपील
भारत ने बांग्लादेश सरकार से अपील की है कि वह अपने देश के अल्पसंख्यक हिंदुओं और उनके पूजा स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करे, खासकर इस महत्वपूर्ण त्योहार के दौरान. मंत्रालय ने कहा, 'हमें उम्मीद है कि बांग्लादेश सरकार त्वरित कार्रवाई करेगी और सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देगी.'
समुदाय की सुरक्षा पर सवाल
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय की चिंता सिर्फ पूजा स्थलों तक सीमित नहीं है, बल्कि वे अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में भी असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. स्थानीय निवासी अंकिता भौमिक ने इस स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, 'अगर हर व्यक्ति अपने धर्म का पालन स्वतंत्रता से कर सके तो हमें सुरक्षा की आवश्यकता नहीं होगी.'
इस प्रकार, बांग्लादेश में जारी ये घटनाएं न केवल धार्मिक संवेदनाओं को प्रभावित कर रही हैं, बल्कि एक संपूर्ण समुदाय की सुरक्षा और अस्तित्व पर भी सवाल उठा रही हैं. ऐसे में भारत और बांग्लादेश दोनों देशों को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और सांप्रदायिक सद्भावना को बढ़ावा दिया जा सके. First Updated : Saturday, 12 October 2024