New Criminal Law Bills: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को तीन नए आपराधिक कानून विधेयक को लोकसभा में पेश करते हुए कहा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (CRPC) में पहले 484 धाराएं थीं. अब 531 होंगी. इसमें 9 नई धाराएं जोड़ी गईं और 39 नए सेक्शन को शामिल किया गया है. इसी के साथ शाह ने कहा कि सीआरपीसी 177 धाराओं में बदलाव किया गया है. 44 नए प्रोविजन और स्पष्टीकरण जोड़े गए हैं. 14 धाराओं को हटाया गया और 35 सेक्शन की टाइम लाइन जोड़ी गई है.
लोकसभा में गृह मंत्री ने कहा कि मॉब लिंचिंग एक घृणा को बढ़ाने वाला अपराध है, इसलिए हम इस कानून मॉब लिंचिंग अपराध के लिए फांसी की सजा का प्रावधान कर रहे हैं. शाह ने कहा कि मैं विपक्ष (कांग्रेस) में बैठी पार्टी ने कई दशकों तक राज किया है. तब आपने मॉब लिंचिंग के लिए क्यों कानून नहीं बनाया? उन्होंने कहा कि आपने मॉब लिंचिंग पर सिर्फ हमें गाली देने काम किया है. लेकिन जब खुद सत्ता में रहे तो कानून बनाना भूल गए.
विधेयक पेश करते हुए शाह ने इसकी विशेषताएं गिनाते हुए बताया कि पुराने कानूनों से बेहतर यह नए कानून हैं. उन्होंने कहा कि इससे पहले के कानून ब्रिटिश के समय में बने थे जो उनका संरक्षण करते थे. लेकिन अब सिर्फ दंड पर नहीं बल्कि न्याय पर भी जोर दिया जाएगा. इस कानून में सुरक्षा और देशहित पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा. नए विधेयकों में क्या विशेषताएं हैं और आज के समय में इसे लागू करना क्यों जरूरी है.
एफआईआर को लेकर हमेशा जनता की ओर से कहा जाता है कि वह मतभेद का शिकार हुए हैं. इसलिए नए बिल के अनुसार घटना के बाद तीन दिनों के भीतर एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य होगा. इसी के साथ घटना के 14 दिनों के बाद प्रारंभिक जांच होना अनिवार्य होगा. इसी के साथ 24 दिन के अंदर मजिस्ट्रेट के भीतर आरोपी को प्रस्तुत किया जाएगा और आरोप पत्र दाखिल करने में 180 दिनों से ज्यादा की देरी नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर किसी अपराध में 3 से 7 साल या उससे अधिक की सजा का प्रावधान है तो यही नियम फॉलो करने होंगे. एफआईआर दर्ज करने के बाद 14 दिनों के अंदर प्रारंभिक जांच शुरू करनी होगी.
बिल में महिलाओं के लिए ई-एफाआईआर दर्ज करने का प्रावधान होगा. कई घटना ऐसी होती हैं जहां महिलाएं खुद से थाने में जाकर एफआईआर दर्ज नहीं करना चाहती हैं. वह महिलाएं ई-एफआईआर के माध्यम से अपनी शिकायत दर्ज करवा सकती हैं और 24 घंटे के भीतर पुलिस उसके घर पर पहुंचकर पूछताछ कर लेगी. इसके साथ ही सात साल से ऊपर की सजा वाले मामले में फॉरेंसिक जांच को जरूरी बनाया जाएगा. इसके साथ ही गवाओं की सुरक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया गया है और इसके लिए इलेक्ट्रॉनिक मोड पर सुबूत इकट्ठा करने और बयान रिकॉर्ड करने की अनुमति है. First Updated : Thursday, 21 December 2023