टॉयलेट के पानी से हर साल 300 करोड़ की कमाई, नितिन गडकरी का जबरदस्त प्लान
गडकरी ने बताया कि उनका यह काम गंगा और जल संसाधन के संरक्षण की दिशा में एक कदम था. उन्होंने कहा कि वाटर रिसाइक्लिंग के मामले में उनका पहला बड़ा प्रोजेक्ट मथुरा में सफलतापूर्वक पूरा हुआ था. जब वह 2017 से 2019 तक जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री थे, तब उन्होंने पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) के तहत मथुरा में गंदे पानी को शुद्ध कर इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC) को 20 करोड़ रुपये में बेचा था.

Nitin Gadkari amazing plan: केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी अपनी अनोखी सोच और नवाचारों के लिए प्रसिद्ध हैं. हाल ही में एक टीवी चैनल के इंटरव्यू में उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र नागपुर में टॉयलेट के पानी के रिसाइक्लिंग से होने वाली कमाई के बारे में खुलासा किया. गडकरी ने बताया कि नागपुर नगरपालिका में शौचालयों के पानी को रिसाइकल कर इसे उद्योगों को बेचा जाता है, जिससे सालाना 300 करोड़ रुपये की आय होती है.
यह प्रोजेक्ट 40:60 के PPP मॉडल पर आधारित था, जिसमें 40% सरकार ने और 60% निवेशकों ने राशि का योगदान किया था. गडकरी ने कहा कि मथुरा में जल की आपूर्ति को बेहतर बनाने के लिए यह योजना बनाई गई थी, जिसमें शुद्ध किए गए पानी को इंडियन ऑयल की मथुरा रिफाइनरी को बेचा गया. इस प्रोजेक्ट से मथुरा रिफाइनरी को पानी की जरूरत पूरी होती थी, और यह योजना सस्टेनेबल जल प्रबंधन के रूप में सफल रही.
उत्तर प्रदेश में भी टॉयलेट के पानी की बिक्री
गडकरी ने बताया कि जब उन्होंने IOC के चेयरमैन से पूछा कि उन्हें कितना पानी चाहिए और इसके बदले वे कितना भुगतान करेंगे, तो उन्होंने बताया कि यूपी सरकार से वे सालाना 25 करोड़ रुपये में पानी प्राप्त करते हैं. इसके बाद, गडकरी ने IOC को 20 करोड़ रुपये में पानी सप्लाई किया. उनका कहना था कि इस तरह के प्रोजेक्ट्स से शहरों में शौचालय के पानी को रिसायकल कर औद्योगिक उपयोग में लाना एक प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन नीति बन सकती है.
जल संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम
गडकरी ने अपने अनुभव से यह भी बताया कि हर शहर में अगर इस तरह के मॉडल को अपनाया जाए, तो यह केवल जल संरक्षण के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन के लिए भी एक आदर्श नीति बन सकती है. इस तरह के नवाचारों से पर्यावरण संरक्षण और जल पुनर्चक्रण में भी मदद मिल सकती है, जिससे आने वाले समय में जल संकट को भी हल किया जा सकता है.