Congress Supreme Court Challenge: चुनाव प्रक्रिया की शुचिता और पारदर्शिता को लेकर कांग्रेस ने एक बड़ा कदम उठाया है. कांग्रेस ने हाल ही में चुनाव नियमों में किए गए संशोधनों को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उनका कहना है कि चुनाव आयोग द्वारा किए गए ये बदलाव चुनावी प्रक्रिया की अखंडता को प्रभावित कर रहे हैं, जिससे देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की उम्मीद पर सवाल उठने लगे हैं.
सीसीटीवी कैमरा और वेबकास्टिंग फुटेज पर रोक
सरकार ने हाल ही में चुनाव संचालन नियम, 1961 में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं. इन बदलावों के तहत, सीसीटीवी कैमरा, वेबकास्टिंग फुटेज और उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों के सार्वजनिक निरीक्षण को रोक दिया गया है. सरकार का कहना है कि इन दस्तावेजों का सार्वजनिक रूप से निरीक्षण होने से उनका दुरुपयोग हो सकता है.
कांग्रेस की कड़ी प्रतिक्रिया
कांग्रेस पार्टी ने इन बदलावों की कड़ी आलोचना की है. पार्टी के नेता जयराम रमेश ने कहा कि चुनाव आयोग, जो कि एक संवैधानिक निकाय है, को इस तरह के महत्वपूर्ण बदलाव एकतरफा और बिना सार्वजनिक परामर्श के नहीं करने चाहिए थे. उन्होंने दावा किया कि ये संशोधन चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता को खत्म कर देंगे और जनता को महत्वपूर्ण जानकारी से वंचित कर देंगे.
रमेश ने ट्वीट करते हुए कहा, "चुनाव आयोग को यह अधिकार नहीं दिया जा सकता कि वह चुनावी नियमों में इस तरह के बेशर्मी से बदलाव करे. यह विशेष रूप से तब सच है जब इन बदलावों के कारण चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही खत्म हो रही है."
क्या कहते हैं चुनाव आयोग के अधिकारी?
चुनाव आयोग ने इन बदलावों का बचाव करते हुए कहा कि सीसीटीवी कैमरों के इस्तेमाल से मतदान केंद्रों पर गोपनीयता का उल्लंघन हो सकता है और इसका दुरुपयोग भी हो सकता है. चुनाव अधिकारियों का कहना है कि इस बदलाव के बावजूद, उम्मीदवारों को ये फुटेज और रिकॉर्ड्स उपलब्ध रहेंगे, लेकिन अन्य लोग इन्हें प्राप्त करने के लिए अदालतों का दरवाजा खटखटा सकते हैं.
क्या होगा अगला कदम?
अब कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर याचिका दायर की है. वे चाहते हैं कि कोर्ट इस बदलाव को अवैध घोषित करे और चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए कदम उठाए. इसके अलावा, कांग्रेस ने चुनाव आयोग से यह भी सवाल किया है कि "वह पारदर्शिता से क्यों डरता है?"
चुनाव नियमों में बदलाव की कानूनी चुनौती
20 दिसंबर को, केंद्रीय कानून मंत्रालय ने चुनाव संचालन नियम, 1961 के तहत एक संशोधन किया, जिसमें सार्वजनिक निरीक्षण के लिए कागजात या दस्तावेजों के प्रकार को सीमित किया गया. यह संशोधन चुनाव आयोग की सिफारिशों पर आधारित था और इसके बाद से राजनीतिक दलों में इस कदम को लेकर चिंता और असंतोष बढ़ गया है. यह विवाद चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और अखंडता को लेकर उठते सवालों की ओर इशारा करता है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय काफी महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि यह भारत में लोकतांत्रिक चुनावों की गुणवत्ता और उनके संचालन की दिशा तय कर सकता है. कांग्रेस के नेतृत्व में की गई कानूनी चुनौती के बाद, यह देखना होगा कि क्या अदालत चुनाव आयोग के संशोधनों को सही ठहराती है या फिर इसे पलट देती है. First Updated : Tuesday, 24 December 2024