जेल से बाहर आते ही बरसे इंजीनियर रशीद, उमर अब्दुल्ला को भी दिया मुंह तोड़ जवाब
Jammu Kashmir Election: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव से पहले इंजीनियर रशीद की रिहाई काफी चर्चा में है. नेशनल कांफ्रेंस ने आरोप लगाया है कि उन्हें भाजपा ने अपने फायदे के लिए रिहा किया है. हालांकि जेल से बाहर आते ही इंजीनियर रशीद ने इस बात का भी जवाब दे दिया है. उन्होंने कहा कि उनकी लड़ाई गद्दी के लिए है और हमारी लड़ाई लोगों के लिए है.
Jammu Kashmir Assembly Elections: जम्मू-कश्मीर के बारामूला से सांसद शेख रशीद जेल से बाहर आ गए हैं. दिल्ली की एक अदालत की तरफ से अंतरिम जमानत दिए जाने के बाद तिहाड़ जेल से बाहर आए इंजीनियर रशीद ने भाजपा को आड़े हाथों लेना शुरू कर दिया है. टेरर फंडिंग मामले में 2019 में गिरफ्तार किए गए राशिद को आगामी जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों में प्रचार करने के लिए अस्थायी राहत मिली है. रिहा होने के बाद, राशिद ने अपनी राजनीतिक लड़ाई जारी रखने का संकल्प लिया, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के "नया कश्मीर" के असफल नेरेटिव पर ध्यान केंद्रित किया.
उन्होंने कहा,'मैं अपने लोगों को मायूस नहीं करूंगा. मैं संकल्प लेता हूं कि मैं पीएम मोदी के 'नया कश्मीर' के नेरेटिव के खिलाफ लड़ूंगा, जो पूरी तरह से नाकाम हो गया है. 5 अगस्त, 2019 को उन्होंने जो कुछ भी किया, उसे लोगों ने नकार दिया है.' उन्होंने भाजपा पर उनके खिलाफ दमनकारी हथकंडे अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा, "मैं भाजपा का शिकार हूं और मैं अपनी आखिरी सांस तक पीएम मोदी की विचारधारा के खिलाफ लड़ूंगा."
2024 के लोकसभा चुनावों में पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को हराने वाले राशिद ने कहा कि उनकी लड़ाई लोगों के लिए है, सत्ता के लिए नहीं. उन्होंने कहा, "मेरी लड़ाई उमर अब्दुल्ला की बातों से कहीं बड़ी है. उनकी लड़ाई कुर्सी के लिए है, मेरी लड़ाई लोगों के लिए है."
बता दें कि इससे पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने आरोप लगाया था कि अंतरिम जमानत लोगों की सेवा करने के लिए नहीं बल्कि वोट पाने के लिए दी गई है. अब्दुल्ला ने आगे कहा, "हमें पता था कि ऐसा होगा. मुझे बारामूला संसदीय क्षेत्र के लोगों के लिए खेद है क्योंकि यह जमानत उनकी सेवा करने या संसद में भाग लेने के लिए नहीं दी गई है." उन्होंने कहा, "उन्हें सांसद के रूप में काम करने के लिए नहीं बल्कि यहां वोट पाने के लिए जमानत दी गई है. इसके बाद उन्हें वापस तिहाड़ (जेल) ले जाया जाएगा और उत्तरी कश्मीर के लोग फिर से बिना प्रतिनिधि के रह जाएंगे."