Corona New Variant JN.1 : चीन से निकले कोरोना वायरस ने दुनिया भर में अपना कहर बरपाया था. इस वायरस से आई परेशानियों से आज भी लोग जूझ रहे हैं. कोविड काल के दौरान दुनिया भर की अर्थवस्था प्रभावित हुई थी. आए दिन कोविड के नए-नए वेरिएंट सामने आए, जिसने हजारों लोगों की जान ले ली. अब एक बार फिर कोराना का नया सब-वेरिएंट JN.1 देश में अपने पैर पसार रहा है. सोमवार को कोविड के कारण केरल में 111 नए मामले सामने आए हैं, जिसने राज्य के साथ केंद्र सरकार को भी चिंता में डाल दिया है.
JN.1 वायरस कोरोना का नया रूप है और यह इम्यून सिस्टम को सबसे ज्यादा प्रभावित कर रहा है. इसका संक्रमण होने पर बुखार, बहती नाक, गले में खराश, सिरदर्द और पेट दर्द व दस्त जैसी स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो रही है. रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि सब-वेरिएंट JN.1 से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल की परेशानी अधिक होने का खतरा है. ये वायरस व्यक्ति के इम्यून सिस्टम को कमजोर कर रहा है लेकिन इससे ग्रसित मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की नौबत कम ही आ रही है.
विशेषज्ञों का मामना है कि जेएन.1 वेरिएंट को लेकर सावधानी बरतने की जरूरत है. कोविड वैक्सीनेशन हो जाने की वजह से हमारा शरीर वायरस के अलग-अलग स्ट्रेन से लड़ने के लिए सक्षम है. लेकिन फिर भी लापरहवाही न हो इसका ध्यान रखना बेहद जरूरी है. डॉक्टर्स का कहना है कि कोविड के नए मामले बढ़ते-घटते रहेंगे. लेकिन जेएन.1 के जानलेवा होने की आशंका नहीं है.
कोरोना के नए सब-वेरिएंट जेएन.1 का पहला मामला सितंबर, 2023 में अमेरिका में मिला था. चीन में 15 दिसंबर को 7 मामले पाए गए, जिससे इसके प्रसार को लेकर चिंता पैदा हो गई. भारत की बात करें तो केरल के तिरुवनंतपुरम जिले के काराकुलमा में जेएन.1 का पहला केस मिला था. यह वायरस 78 वर्षीय बुजुर्ग महिला में मिला था. यह ओमिक्रॉन का सब-वेरिएंट पिरोला से ही म्यूटेट होकर निकला है. इसमें स्पाइक प्रोटीन शामिल है, जो शरीर के अंदर वायरस इम्यून सिस्टम को प्रभावित कर सकता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने जेएन.1 वेरिएंट को लेकर बड़ी जानकारी दी. WHO ने कहा कि इस वेरिएंट की चपेट में आए लोगों को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत नहीं पड़ रही है. इससे कैजुअल्टी होने का खतरा भी कम है. इस वेरिएंट के मरीजों को तीन से पांच दिनों तक सामान्य बुखार, जुकाम जैसे लक्षण नजर आते हैं. WHO ने कहा कि वैक्सीन कोविड के हर वेरिएंट के लिए असरदार साबित है. लेकिन कुछ मामलों में अतिरिक्त डोज लगाने की सलाह दी जाती है. First Updated : Tuesday, 19 December 2023