उद्धव ठाकरे की तरह BJP को झटका देने वाले हैं एकनाथ शिंदे? NCP के जितेंद्र अव्हाड से मुलाकात ने बढ़ाई खलबली
Maharashtra CM: महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री कौन हौगा इसको लेकर सस्पेंस अब भी बरकरार है. इसे लेकर दिल्ली से लेकर महाराष्ट्र तक मंथन जारी है. इस बीच कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का अचानक सतारा पहुंचना कई अटकलों को हवा दे रहा है. शुक्रवार को उन्होंने एनसीपी के नेता नेता जितेंद्र अव्हाड से मुलाकात भी की.
Maharashtra CM: महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद को लेकर सस्पेंस अब भी बरकरार है. मुख्यमंत्री पद की घोषणा और सरकार के गठन को लेकर दिल्ली से लेकर मुंबई तक मंथन जारी है. इसी बीच कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के अचानक सतारा पहुंचने और एनसीपी नेता जितेंद्र अव्हाड से मुलाकात ने सियासी हलचल तेज कर दी है.
शुक्रवार को हुई इस मुलाकात ने राजनीतिक गलियारों में चर्चा छेड़ दी है कि क्या एकनाथ शिंदे भी उद्धव ठाकरे की तरह बीजेपी को झटका देने की तैयारी कर रहे हैं. हालांकि, जितेंद्र अव्हाड ने इसे निजी मुलाकात बताया, लेकिन शिंदे की इस गतिविधि को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं.
क्या नाराज है एकनाथ शिंदे?
कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शुक्रवार को सतारा जिले में अपने गांव का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने शरद पवार गुट के नेता जितेंद्र अव्हाड से मुलाकात की. हालांकि, अव्हाड ने इसे निजी काम से जुड़ी मुलाकात करार दिया, लेकिन शिंदे की अचानक सतारा यात्रा ने उनकी नाराजगी की अटकलों को बल दिया. शिंदे गुट के विधायक उदय सामंत ने इन अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री की तबीयत ठीक नहीं है और वे स्वास्थ्य कारणों से सतारा गए हैं.
2019 ठाकरे ने बीजेपी को दिया था झटका
2019 में शिवसेना और बीजेपी ने मिलकर चुनाव लड़ा और स्पष्ट बहुमत हासिल किया था. लेकिन चुनाव बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान हुई. उद्धव ठाकरे ने बीजेपी से दूरी बनाते हुए एनसीपी और कांग्रेस के साथ सरकार बनाई थी.
2024 में बदले हुए समीकरण
2019 और 2024 के राजनीतिक समीकरणों में बड़ा अंतर नजर आ रहा है. इस बार बीजेपी के पास अकेले 132 सीटें हैं, जबकि शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के गुटों में सीटों का बंटवारा हो चुका है. 2019 में एनसीपी और शिवसेना अविभाजित थीं, लेकिन इस बार दोनों पार्टियों के गुट अलग-अलग हैं.
क्या शिंदे बनाएंगे नई रणनीति?
अगर एकनाथ शिंदे कांग्रेस और एनसीपी के दोनों गुटों के साथ सरकार बनाने की कोशिश करते हैं, तो उन्हें उद्धव ठाकरे के समर्थन की भी आवश्यकता होगी. हालांकि, यह फिलहाल मुश्किल नजर आ रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि 2019 के विपरीत इस बार नंबर गेम बीजेपी के पक्ष में है, जिससे शिंदे के लिए समीकरण साधना चुनौतीपूर्ण होगा.