Explainer : देश में आतंकवाद की नई परिभाषा तैयार, जानिए कौन-कौन सी चीजें इसके दायरे में आएंगी

गृहमंत्री अमित शाह ने अंग्रेजों के जमाने के कानूनों को बदलने के लिए दोबारा से तीन नए बिल संसद में पेश कर दिए हैं. तीनों बिल इंडियन पीनल कोड (आईपीसी), कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर (सीआरपीसी) और इंडियन एविडेंस एक्ट में बदलाव करेंगे.

Pankaj Soni
Edited By: Pankaj Soni

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में आईपीसी-सीआरपीसी और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह लेने वाले तीन नए बिलों को पेश किया. अब आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता लेगी. भारतीय न्याय संहिता में आतंकवाद को परिभाषित किया गया है. इसके अलावा भी बहुत सारी चीजें बदलने जा रही हैं. खासकर अंग्रेजों के दौर में बने तीन कानून बदलने जा रहे हैं. गृहमंत्री अमित शाह ने अंग्रेजों के जमाने के कानूनों को बदलने के लिए तीन नए बिल पेश कर दिए हैं. तीनों बिल इंडियन पीनल कोड (आईपीसी), कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर (सीआरपीसी) और इंडियन एविडेंस एक्ट में बदलाव करेंगे.


इसके पहले तीनों बिलों को बदलने के लिए जो बिल पेश किए गए थे. इन्हें संसद की स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा गया था. कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद इन बिलों को वापस ले लिया गया था. अब इन्हें रिड्राफ्ट करके दोबारा संसद में पेश किया गया है. गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को भारतीय न्याय संहिता (सेकेंड) 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (सेकंड) 2023 और भारतीय साक्ष्य  बिल (सेकंड) 2023 को संसद में पेश किया है. 

पहली बार अगस्त में पेश हुए थे बिल

गृहमंत्री अमित शाह ने पहली बार अगस्त में इन तीनों बिलों को संसद में पेश किया था. तब शाह ने कहा था कि इन कानूनों को ब्रिटिश शासन को मजबूत करने और उसकी सुरक्षा करने के लिए बनाया गया था. इनका मकसद दंड देना था, न्याय नहीं. मगर,  इन तीनों मौजूदा कानूनों को बदलने वाले इन तीन नए बिलों का मकसद न्याय देना है,  न कि दंड देना.


स्टैंडिंग कमेटी की सिफारिशों को शामिल किया

दोबारा संसद में पेश बिलों में कुछ बड़े बदलाव किए गए हैं. इनमें स्टैंडिंग कमेटी की कुछ सिफारिशों को माना गया है, तो कुछ को खारिज किया है. नए बिल में मॉब लिंचिंग के लिए उम्रकैद से लेकर मौत की सजा तक का प्रावधान किया गया है. 

क्या बदलेगा?

आईपीसी :  यह 1860 में बनी थी. कौन सा कृत्य अपराध है और उसके लिए क्या सजा होगी?  यह आईपीसी के अंतर्गत तय होता है. अब इसका नाम बदलकर भारतीय न्याय संहिता रखने का प्रस्ताव है. 

सीआरपीसी : साल 1898 में इसको लागू किया गया था. गिरफ्तारी, जांच और मुकदमा चलाने की प्रक्रिया के बारे में सीआरपीसी में लिखा गया है. 

इंडियन एविडेंस एक्ट : 1872 से यह कानून देश में लागू है. केस के तथ्यों को कैसे साबित किया जाएगा,  बयान कैसे दर्ज होंगे,  यह सब इंडियन एविडेंस एक्ट में वर्णित है. इसका नाम भारतीय साक्ष्य बिल रखा जाएगा.


आतंकवाद के दायरे में क्या- क्या आएगा

आईपीसी में आतंकवाद को परिभाषित नहीं किया गया था. भारतीय न्याय संहिता (BNS)  विधेयक 2023 में इसे परिभाषित किया गया था. इसके मुताबिक,  जो भारत की एकता,  अखंडता,  और सुरक्षा को खतरे में डालने, आम जनता या उसके एक वर्ग को डराने या सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ने के इरादे से भारत या किसी अन्य देश में कोई कृत्य करता है तो उसे आतंकवादी गतिविधियों के दायरे में रखा जाएगा. नये बिल में 'आर्थिक सुरक्षा' शब्द को भी परिभाषित किया गया है. इसके तहत, अब जाली नोट या सिक्कों की तस्करी या चलाना भी आतंकवादी कृत्य माना जाएगा. इसके अलावा किसी सरकारी अफसर के खिलाफ बल का इस्तेमाल करना भी आतंकवादी कृत्य के दायरे में आएगा.

नए बिल के मुताबिक, बम विस्फोट के अलावा बायोलॉजिकल, रेडियोएक्टिव, न्यूक्लियर या फिर किसी भी खतरनाक तरीके से हमला किया जाता है जिसमें किसी की मौत या चोट पहुंचती है तो उसे भी आतंकी कृत्य में गिना जाएगा. इसके अलावा देश के अंदर या विदेश में स्थित भारत सरकार या राज्य सरकार की किसी संपत्ति को नष्ट करना या नुकसान पहुंचाना भी आतंकवाद के दायरे में आएगा. 

प्रस्तावित बीएनएस में धारा 113 में इन सभी कृत्यों के लिए सजा का प्रावधान किया गया है. इसके तहत,  आतंकी कृत्य का दोषी पाए जाने पर मौत की सजा या उम्रकैद की सजा हो सकती है. प्रस्तावित बीएनएस में यूएपीए के भी कुछ प्रावधानों को शामिल किया गया है. प्रस्तावित बिल के मुताबिक, एसपी या उसके ऊपर की रैंक के पुलिस अफसर फैसला कर सकते हैं कि किस मामले में यूएपीए जोड़ा जाए या नहीं.

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14 December 2023, 11:02 AM IST

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