Explainer: 17 बार आक्रमण के बाद भी अडिग खड़ा है सोमनाथ मंदिर, जानिए इसकी पूरी कहानी
Explainer: भगवान सोमनाथ का भव्य मंदिर का बेहद दिलचस्प इतिहास है. इस मंदिर पर 17 बार आक्रमण हुआ लेकिन आज भी ये अडिग खड़ा है तो चलिए इस मंदिर के इतिहास की कहानी जानते हैं.
Explainer: भारत में उत्तर से लेकर दक्षिण और पूर्व से लेकर पश्चिम तक अनेको मंदिर हैं. ये मंदिर अलग-अलग देवी देवताओं को समर्पित हैं और इनकी स्थापना भी अलग-अलग कालखंड की है. इन सभी मंदिरों का इतिहास भी अलग है जिनकी कहानियां भी हैं. ऐसी ही एक मंदिर है सोमनाथ जो गुजरात के वेरावल में स्थित है. इस मंदिर को देवीपाटन के नाम से भी जाना जाता है जिसकी कहानी इतिहास में भी दर्ज है. कहा जाता है कि, इस मंदिर को 17 बार तोड़ा गया लेकिन आज भी अडिग खड़ा है तो चलिए इस मंदिर का इतिहास जानते हैं.
हिंदुओ के पवित्र स्थलों में से एक है सोमनाथ मंदिर-
सोमनाथ मंदिर हिंदुओं के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है. भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से पहला तीर्थ स्थल सोमनाथ मंदिर को माना जाता है. पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार सबसे पहले सोमनाथ मंदिर का स्ट्रक्चर किसी मानव ने नहीं बल्कि खुद चंद्र देव ने बनाया था. हालांकि, इस बात की जानकारी अभी भी साफ नहीं है कि, सोमनाथ मंदिर के पहले ढांचे का निर्माण कब हुआ था लेकिन ऐसा अनुमान है कि, इस मंदिर को 9वीं शताब्दी ईं. पू. के मध्य बनाया गया होगा.
17 बार सोमनाथ मंदिर पर किया गया आक्रमण-
ऐतिहासिक दृष्टिकोण से सोमनाथ मंदिर का अंतिम निर्माण से पहले कई बार तोड़ गया है और कई बार अलग-अलग शासकों ने इसका निर्माण कराया है. यह मंदिर इतना भव्य है कि विदेश के लोग भी यहां आते हैं और इस मंदिर की तारीफ करते हैं. यही कारण है कि, इस मंदिर पर लगभग 17 बार आक्रमण किया गया था. सोमनाथ मंदिर ई.पू से ही अस्तित्व मे था लेकिन दूसरी बार इसका पुनर्निर्माण वल्लभी के मैत्रक राजाओं ने किया था, लेकिन बाद में इसे सिंध के अरब गवर्नर अल जुनैद ने इस मंदिर पर आक्रमण कर तबाह कर दिया. हालांकि इस आक्रमण का कोई सबूत नहीं है. वहीं इसके बाद 1815 में राजा नागभट्ट द्वितीय ने फिर इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया.
महमूद गजनवी का सोमनाथ मंदिर पर हमला-
सोमनाथ मंदिर के पुननिर्माण के इतिहास में सबसे प्रभावी हमला महमूद गजनवी ने किया था. साल 1026 ई. में भीमा 1 के शासन काल में मुस्लिम शासक महमूद गजनवी ने सोमनाथ मंदिर पर हमला किया था. हमले के बाद गजनवी मंदिर की पूरी संपत्ति लूटकर ले गया था और मंदिर के ढांचे को भी नष्ट कर दिया था. इस आक्रमण की कहानी 11 वीं शताब्दी के पार्शियन स्कॉलर अलबरूनी ने पुष्टि की थी.
सोमनाथ मंदिर के परिसर में मस्जिद की स्थापना-
महमूद गजनवी के आक्रमण के बाद सोमनाथ मंदिर का फिर से पुनर्निर्माण किया गया. हालांकि 1299 में एक बार फिर अलाउद्दीन खिलजी के सेना ने गुजरात पर आक्रमण कर दिया और वाघेला के राजा कर्ण को हराने के साथ ही सोमनाथ मंदिर को बुरी तरह तहस-नहस कर दिया. इस हमले के बाद साल 1308 में एक बार फिर सौराष्ट्र के राजा महिपाल प्रथम ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया और और 1331 से 1351 के बीच उनके बेटे ने यहां लिंगम को स्थापित किया. लेकिन 1395 में एक बार फिर सोमनाथ मंदिर को गुजरात के आखिरी गवर्नर जफर खान ने नष्ट करवा दिया. इतना ही नहीं बल्कि उसने मंदिर के अंदर मस्जिद का निर्माण भी कराया.
मुगल काल में भी सुरक्षित नहीं था सोमनाथ मंदिर-
मुस्लिम शासकों द्वारा बार-बार तबाह करने के बाद भी सोमनाथ मंदिर मुगल शासकों के नजरों से भी नहीं बच पाया. औरंगजेब ने ये चेतावनी दी थी कि, अगर हिंदू इस मंदिर में पूजा करने की कोशिश की तो मंदिर के बचे हुए भाग को भी पूरी तरह तबाह कर दिया जाएगा. हालांकि कुछ समय बाद मराठा साम्राज्य का विस्तार हुआ और इस मंदिर का एक बार फिर पुन निर्माण कराया गया. 1783 में इंदौरी की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था.
1951 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने मंदिर का किया था शिलान्यास-
आपको बता दें कि, आजादी के बाद भारत में जूनागढ़ रियासत का विलय हो गया जिसके बाद सरदार वल्लभभाई पटेल को उप प्रधानमंत्री बनाया गया है. उन्होने ने ही सोमनाथ मंदिर के पुनर्निमाण करना शुरू किया. इस मंदिर को रीकंस्ट्रक्ट कराने के लिए आर्किटेक्ट प्रभाशंकर सोमपुरा को बुलाया गया था. पटेल के इस काम को महात्मा गांधी ने भी समर्थन दिया था. साल 1950 में सोमनाथ मंदिर के आखिरी पुननिर्माण के दौरान मंदिर के अवशेष को गिरा दिया और मंदिर परिसर में मौजूद मस्जिद को मंदिर से कुछ किलोमीटर दूर स्थानांतरित कर दिया. 11 मई 1951 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने सोमनाथ मंदिर का किया था शिलान्यास किया था.