Explainer: एडल्ट्री क्या होती है? इस पर सख्त कानून बनाने की संसदीय स्थायी समिति ने क्यों सिफारिश की
Explainer: गृह मंत्रालय (home Ministry) की संसदीय स्थायी समिति ने केंद्र सरकार को भेजे प्रस्ताव में एडल्ट्री (Adultery) को फिर से अपराध बनाने की सिफारिश की है. कहा कि
गृह मंत्रालय (home Ministry) की संसदीय स्थायी समिति ने केंद्र सरकार को भेजे प्रस्ताव में एडल्ट्री (Adultery) को फिर से अपराध बनाने की सिफारिश की है. कहा कि शादी एक पवित्र संस्था है और इसे संरक्षित किया जाना चाहिए. इसके बाद से देश में एडल्ट्री को लेकर चर्चा तेज हो गई है.
गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति (Parliamentary Panel)ने शादी से इतर फिजिकल रिलेशन यानी एडल्टरी (Adultery) को फिर से भारतीय न्याय संहिता (Indian Penal Code) के दायरे में लाने की सिफारिश की है. संसदीय स्थायी समिति ने केंद्र को भेजे प्रस्ताव में कहा, "एडल्टरी को फिर से क्राइम बनाया जाना चाहिए. क्योंकि शादी एक पवित्र संस्था है और इसे संरक्षित किया जाना चाहिए."
संसदीय स्थायी समिति ने मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) से भारतीय न्याय संहिता विधेयक पर अपनी रिपोर्ट में ये सिफारिश की. गृह मंत्री ने सितंबर में भारतीय न्याय संहिता विधेयक पेश किया था. समिति ने एडल्टरी के साथ ही होमोसेक्सुएलिटी को भी क्राइम के दायरे में लाने की सिफारिश की है. संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह भी तर्क दिया गया है कि संशोधित व्यभिचार कानून (Adultery Law) को "जेंडर न्यूट्रल" अपराध माना जाना चाहिए. साथ ही दोनों पक्षों पुरुष और महिला को समान रूप से इसके लिए उत्तरदायी ठहराया जाना चाहिए.
गृहमंत्री अमित शाह ने 11 अगस्त को पेश किए थे तीन विधेयक
दरअसल, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सितंबर में क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को मजबूत करने के लिए लोकसभा में तीन बिल पेश किए थे. इसके नाम भारतीय न्याय संहिता, भारतीय साक्ष्य विधेयक और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता है. गृहमंत्री ने दावा किया कि इन कानूनों को लागू करने का मुख्य उद्देश्य न्याय प्रक्रिया को तेज करना है. भारतीय न्याय संहिता तीन (The Bharatiya Nyay Sanhita) को स्क्रूटनी के लिए गृह मामलों की स्थायी समिति को भेजा गया था, जिसके अध्यक्ष बीजेपी सांसद बृज लाल हैं. अब गृह समिति ने 14 नवंबर 2023 को एडट्री पर सख्त कानून बनाने की सिफारिश की है।
देश में एक बार फिर से ए़डल्ट्री यानी (व्यभिचार) को लेकर चर्चा गर्म हो गई है. दरअसल गृह मंत्रालय की संसदीय समिति ने सरकार को भेजे अपने सुझाव में एडल्ट्री को लेकर सख्त कानून बनाने की सिफारिश की है। संसदीय समिति ने एडल्ट्री पर कानून बनाने के लिए क्यों सिफारिश की और और इसके भारतीय समाज को क्या फायदे और नुकसान होगे इसके बारे में हम आगे जानेगे, लेकिन इससे पहले यह जान लेते हैं कि आखिर एल्ट्री क्या और और लोग इसमें क्यों इंस्ट्रेस्ट ले रहे हैं?
एडल्ट्री अंग्रेजी का शब्द है, जिसका हिंदी मतलब है व्यभिचार. अगर कोई विवाहित स्त्री या पुरुष अपने पार्टनर के अलावा किसी दूसरे महिला या पुरुष से शारीरिक संबंध बनाता है तो इसे व्यभिचार माना जाता है। भारतीय समेत दुनिया के ज्यादातर समाजों में व्यभिचार को गलत माना जाता है। फिलहाल भारत में इसको लेकर कोई कानून नहीं, लेकिन कई देशों में इसके खिलाफ सख्त कानून हैं। भारत में एडल्ट्री के खिलाफ कोई कानून नहीं है ऐसे कहीं न कहीं इसको प्रोत्साहन मिल रहा है और भारतीय समाज में व्यभिचार के मामले बढ़ रहे हैं. इस तर्क के साथ गृह मंत्रालय की संसदीय समिति सरकार को दोबारा से एडल्ट्री को कानून के दायरे में लाने की मांग की है.
क्या थी एडल्ट्री या धारा 497?
धारा 497 के तहत व्यभिचारे के मामले में केवल पुरुष को दोषी माना जाता था मगर महिला को नहीं. जबकि व्यभिचार दोनों की रजामंदी से होना वाला कृत्य है। इसके लिए आदमी को पांच साल तक कारावास का प्रावधान था. लेकिन महिला के खिलाफ इस मामले में न तो कोई केस दर्ज होता था और न ही उसे किसी प्रकार की कोई सजा मिलती थी.
2018 में सुप्रीम कोर्ट ने कानून को किया रद्द
2018 में सर्वोच्च न्यायालय में एडल्ट्री (व्याभिचार) कानून को रद्द कर दिया गया था. 27 सितंबर 2018 को तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने इस कानून को असंवैधानिक करार देते हुए कहा था, “एडल्ट्री को अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है और इसे जुर्म होना भी नहीं चाहिए.” ये फैसला सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने जोसेफ शाइनी की जनहित याचिका पर सुनाया था जिसमें विवाहेत्तर संबंध बनाने को अपराध मानने वाली आईपीसी की धारा 497 को असंवैधानिक ठहराने की मांग की गई थी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने व्यभिचार को आज भी तलाक़ का एक मज़बूत आधार माना है.
150 पुराना था कानून
भारत में एडल्ट्री एक्ट 1860 में बना था. ईपीसी की धारा 497 में इसे परिभाषित करते हुए कहा गया था, अगर कोई मर्द किसी दूसरी शादीशुदा औरत के साथ उसकी सहमति से शारीरिक संबंध बनाता है, तो पति की शिकायत पर इस मामले में पुरुष पर अडल्ट्री कानून के तहत मुक़दमा चलाया जा सकता है. हालांकि इस कानून में एक पेंच यह भी था कि अगर कोई शादीशुदा मर्द किसी कुंवारी या विधवा औरत से शारीरिक संबंध बनाता है तो वह एडल्ट्री के तहत दोषी नहीं माना जाता था.
सुप्रीम कोर्ट ने तीन बार ठुकराई थी याचिका
एडल्ट्री एक्ट को खत्म करने की मांग वाली याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने 2018 से 1954, 2004 और 2008 में ठुकरा दिया था। इसके बाद 2018 में केरल के जोसेफ शाइनी ने सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दाखिल की कि कोर्ट को धारा 497 की वैधता पर फिर से विचार करना चाहिए क्योंकि यह लिंग के आधार पर भेदभाव करने वाला है. इस पर सुनावई क बाद कोर्ट ने एडल्ट्री एक्ट को खत्म कर दिया था.
आज भी सेना में लागू है यह कानून
भारतीय सेना में एडल्ट्री कानून (Adultery Law in India) आज भी लागू है. यानी सेना में कोई शादीशुदा मर्द किसी दूसरी शादीशुदा महिला के साथ उसके पति की सहमति के बगैर शारीरिक संबंध नहीं बना सकता.
क्या है दुनिया में स्थिति
– अधिकतर इस्लामिक देशों में व्यभिचार एक अपराध है और इसकी कड़ी सजा है.
– दुनियाभर के ज्यादातर देशों में व्यभिचार को लेकर बने कानून विवाहित महिलाओं के ही खिलाफ हैं.
– अमेरिका के 20 राज्यों में व्यभिचार अपराध है.
– सऊदी अरब में व्यभिचार पर मौत की सजा का प्रावधान है.
– इंडोनेशिया में हालांकि यह अपराध है.
भारतीय समाज में व्यभिचार
भारतीय समाज में व्यभिचार को बहुत खराब माना जाता है. भारत समेत दुनिया भर में एडल्टी को अच्छी निगाह से नहीं देखा जाता है.