What is crowdfunding : देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस साल 2024 के लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए जनता से चंदा मांग रही है. इसके लिए कांग्रेस ने 'डोनेट फॉर देश' के नाम से एक अभियान शुरू किया है. पार्टी का यह अभियान राजनीतिक दलों की फंडिंग से जुड़े कई सवालों पर रोशनी डालता है. हालांकि भारत जैसे देश में राजनीतिक दलों द्वारा क्राउडफंडिंग करने का प्रचलन बहुत कम है. देश में पहले आम आदमी पार्टी ने इसे शुरू किया था, लेकिन अब कांग्रेस भी यह करने जा रही है. यूरोप और अमेरिका में क्राउडफंडिंग बहुत पॉपुलर. क्राउडफंडिंग क्या होता है आज हम इसके बारे में बात करेंगे.
क्राउडफंडिंग का इस्तेमाल उद्यम से लेकर मानवीय मदद, धर्मार्थ कामों और कई चीजों में किया जाता रहा है. दुनिया की सबसे बड़ी वेबसाइट्स में एक विकीपीडिया अपने पेजों पर कभी विज्ञापन नहीं दिखाती. अपने संचालन और खर्चों की पूर्ति के लिए क्राउडफंडिंग करती है. दुनियाभर की कई संस्थाएं ये काम करती हैं. लोग उनको दिल खोलकर आर्थिक मदद भी करते हैं. 2011 में जब दिल्ली में आम आदमी पार्टी बनी तो पार्टी कोष के लिए क्राउडफंडिंग ही की गई. हालांकि भारत में क्राउडफंडिंग कुछ व्यक्तिगत मामलों में मदद को छोड़ दें तो अब तक कमोवेश नई चीज है. पॉलिटिक्स में मोटे तौर पर इसका चलन ही नहीं है. देश में राजनीतिक दलों को कारपोरेट्स से लेकर पैसे वाले फंडिंग करते हैं. या मेंबरशिप के जरिए वो पैसा जुटाती हैं. हालांकि सियासी पार्टियों की फंडिंग के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के जरिए इलेक्शन बांड जारी किया जाता है.
कोई व्यक्ति या संगठन किसी प्रोजेक्ट, बिजनेस या किसी समाजिक काम के लिए जब आम जनता से छोटी रकम में पैसे मांगता है तो उसे क्राउडफंडिंग कहा जाता है. इसके लिए कोई क्राउडफंडिंग वेबसाइट, एप या कोई और सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करना होता है. इस अभियान में पैसे जुटाने वाला व्यक्ति या संस्था अपने निवेशकों को इसकी वजह भी बताता है और इसमें कैसे योगदान दिया जा सकता है इसके बारे में भी बताता है. इसको प्वाइंटर्स में इस तरह समझ सकते हैं.
क्राउडफंडिंग धन जुटाने के लिए ही की जाती है. अगर लोगों को समझ में आता है कि क्राउडफंडिंग एक खास मकसद से मांगी जा रही है तो काफी बड़ी संख्या में लोग मदद भी करते हैं. यूरोप और अमेरिका में तो इससे कई कंपनियां, स्टार्टअप, संस्थाएं और सियासी दल सफलता के साथ बड़ा फंड जुटा लेते हैं. यूरोप और अमेरिका में बड़े मीडिया हाउस इस तरह की क्राउडफंडिंग कर रहे हैं ताकि बगैर किसी दबाव में आए तटस्थ तरीके से पत्रकारिता कर सकें. विशेष रूप से छोटी कंपनियों और स्टार्टअप के लिए क्राउडफंडिंग बहुत काम आती है.
अमेरिका में राजनेताओं की सफलता काफी हद तक विभिन्न स्रोतों से प्राप्त होने वाले धन पर निर्भर करती है. हालांकि पॉलिटिकल एक्शन कमेटीज भी इसमें अहम योगदान देती हैं. डोनाल्ड ट्रंप के 2016 के प्रेसिडेंशियल कैंपेन में 69 फीसदी राशि क्राउडफंडिंग से छोटे दानदाताओं से जुटाई गई.
पहले अमेरिकी चुनावों में सियासी दलों के वालिंटियर लोगों से दान मांगने घर-घर जाते थे. आज, राजनेता अपने समर्थकों से दान लेने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं. अमेरिका के ज्यादातर सीनेटर इसी प्रकार की राजनीतिक क्राउडफंडिंग के सहारे रहते हैं. अब ये समर्थक समुदाय में मजबूत भावना पैदा करने का तरीका बन रहा है.
राजनीतिक क्राउडफंडिंग को व्यापक रूप से जमीनी स्तर के समर्थकों से धन जुटाने का नया और सुविधाजनक माध्यम माना जाता है. हालांकि इसके कई तरह की रणनीति का इस्तेमाल होता है और कई तरह से लोगों के पास पहुंचा जाता है.
क्राउडफंडिंग का पहला उदाहरण 1997 में दर्ज किया गया, जब यूनाइटेड किंगडम के एक संगीत समूह ने प्रशंसकों से एक संगीत कार्यक्रम के लिए धन जुटाया. आर्टिस्टशेयर पहली क्राउडफंडिंग साइट थी, जो इसके 03 साल बाद लॉन्च की गई. अब ये कंपनियों के लिए पूंजी जुटाने का एक प्रमुख स्रोत बन चुकी है.
किकस्टार्टर, इंडिगोगो और गोफंडमी जैसी क्राउडफंडिंग वेबसाइट्स सैकड़ों हजारों लोगों को आकर्षित करती हैं. ये इस क्षेत्र की काफी विश्वसनीय साइट्स हैं. First Updated : Wednesday, 20 December 2023