Earthquake in Delhi-NCR : दिल्ली-एनसीआर में आज दोपहर बाद दो बार भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. अमेरिकी भूगर्भ सर्वेक्षण संस्थान यानी यूएसजीएस के अनुसार, भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान के हिंदूकुश में था. पहले भूकंप रिक्टर स्केल पर 4.1 औक दूसरा 6.4 रहा. आज हम आपको बताने वाले हैं कि भूकंप का केंद्र अक्सर नेपाल, पाकिस्तान, अफगानिस्तान या हिंदूकुश ही क्यों रहता है?
विशेषज्ञों के अनुसार, भारत की जमीन लगातार खिसक रही है, इसीलिए इन इलाकों में हमेशा भूकंप आते रहते हैं. इंडियन टेक्टोनिक प्लेट्स खिसकते हुए यूरेशियन और तिब्बत प्लेट्स को लगातार दबा रही हैं. ऐसे में इंडियन प्लेट्स के खिसकने के दौरान तिब्बत और यूरेशियन प्लेटों से होने वाले टकराव के कारण अफगानिस्तान, पाकिस्तान, नेपाल और हिंदूकुश में भूकंप का केंद्र बनता है. इसी कारण पाकिस्तान से लेकर भारत के पूर्वोत्तर राज्यों तक पूरे हिमालयी क्षेत्र में भूकंप का आना आम बात है.
एशियाई देशों के नीचे मौजूद अलग-अलग टेक्टोनिक प्लेट्स के आपसी टकराव के कारण काफी ऊर्जा भी बन रही है. इंडियन टेक्टोनिक प्लेट हर साल 20 मिमी की रफ्तार से तिब्बतन प्लेट की तरफ बढ़ रही हैं. वहीं, तिब्बत की प्लेट खिसक ही नहीं पा रही हैं. ऐसे में टकराव के कारण पैदा होने वाली ऊर्जा भूकंप के हल्के और कभी-कभी तेज झटके के तौर पर बाहर निकलती है. अगर तिब्बतन प्लेट्स के नजदीक जमा होने वाली ऊर्जा तेजी से निकली तो तो भूकंप के बहुत तेज झटके आ सकते हैं.
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों ने चेताया है कि हिमालय क्षेत्र में एक बड़ा भूकंप का खतरा मंडरा रहा है. अगर ऐसा हुआ तो बहुत बड़े इलाके में इसका असर दिखाई दे सकता है. आईआईटी कानपुर के अर्थ साइंस डिपार्टमेंट के प्रोफेसरों ने भी ऐसी ही भविष्यवाणी की है.
भू-वैज्ञानिकों का कहना है कि हिमालयी क्षेत्र में बहुत ज्यादा ऊर्जा इकट्ठी हो गई है. अगर ये ऊर्जा एकसाथ बाहर निकली तो भयंकर असर दिखाएगी. इस ऊर्जा की निकासी को भारत, पाकिस्तान, चीन, नेपाल ही नहीं कई एशियाई देश बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे. भूकंप पर नजर रखने वाली अमेरिकी साइट यूएसजीएस के मुताबिक, दुनियाभर में हर दिन करीब 55 भूकंप आते हैं. इनमें ज्यादातर हल्के होते हैं. फिर भी इनकी तीव्रता 5 के आसपास रहती है.
बर्कले की भूकंप विज्ञान प्रयोगशाला कह चुकी है कि अगर भूकंप के ये छोटे-छोटे झटके किसी फॉल्ट-लाइन प्रेशर के कारण आ रहे हैं तो ये बड़े झटके की दस्तक माने जा सकते हैं. भारत को भूकंप के जोखिम के हिसाब से पांच जोन में बांटा गया है.
भू-वैज्ञानिकों ने दिल्ली-एनसीआर को भूकंप के जोन-4 में रखा है. इसका मतलब है कि यहां 7.9 तीव्रता तक का भूकंप आ सकता है. अगर इतनी तीव्रता का भूकंप आता है तो दिल्ली-एनसीआर में भयंकर तबाही आस सकती है. सबसे खतरनाक जोन-5 है. इस जोन में कश्मीर घाटी, हिमाचल प्रदेश का पश्चिमी हिस्सा, उत्तराखंड का पूर्वी हिस्सा, गुजरात में कच्छ का रण, उत्तरी बिहार का हिस्सा, भारत के सभी पूर्वोत्तर राज्य, अंडमान व निकोबार द्वीप समूह आते हैं.
कामकैट अर्थक्वेक कैटेलॉग के मुताबिक, हालिया वर्षों में भूकंपों की संख्या लगातार बढ़ रही है. लिहाजा, दुनियाभर में भूकंप को आंकने और पहले ही पता लगाने के संवेदनशील उपकरण बनाने का काम बढ़ रहा है. हालांकि, इसका कोई पता नहीं लगा सकता कि भूकंप कब आएगा. फिर भी अर्ली वॉर्निंग सिस्टम कुछ मदद कर सकते हैं. कुछ समय पहले नेपाल के भूकंपों की पहली लहर की जानकारी भूकंप आने के 30 सेकेंड बाद ही मिल गई थी. इन भूकंपों की वजह तिब्बती प्लेट का इंडियन प्लेट्स के टकराव को रोकना था. First Updated : Thursday, 11 January 2024