अरब सागर में सोमालिया के तट पर अगवा किए गए जहाज से 15 भारतीयों को बचाकर इंडियन नेवी के जाबांज कमांडो ने दुनिया के सामने लोहा मनवा लिया है. भारतीय नौसेना के स्पेशल समुद्री कमांडो यानी ‘मार्कोस’ कमांडो ने उत्तरी अरब सागर में लाइबेरिया के ध्वज वाले अगवा किए गए कमर्शियल जहाज एमवी लीला नॉरफोक पर धावा बोलते हुए शुक्रवार को 15 भारतीयों सहित चालक दल के सभी 21 सदस्यों को बचा लिया. इसके बाद से मार्कोस कमांडो चर्चा में आ गए हैं.
दुनिया की हर फौज में इनकी खास जगह और रुतबा कायम है. ये कमांडो एक से बढ़कर एक अत्याधुनिक हथियार चलाने से लेकर ‘हैंड टू हैंड’कॉम्बैट (बिना हथियार हाथ से लड़ाई) में दक्ष होते हैं और अपने दुश्मन को पलक झपकते ही खत्म कर सकते हैं. कमांडोज जमीन से लेकर आसमान तक लड़ाई में माहिर होते हैं और अमूमन तब मोर्चा संभालते हैं, जब सामान्य फौज पीछे हट जाती है. ज्यादातर इन्हें ‘स्पेशल ऑपरेशन’ का जिम्मा सौंपा जाता है. दुनिया के तमाम देशों में कमांडो (Commando) को अलग-अलग नाम से जाना जाता हो लेकिन काम लगभग एक जैसा ही होता है. एक और बात कॉमन है- वो ये कि कमांडोज स्पेशल ऑपरेशन (Special Operation) के दौरान अंडरवियर नहीं पहनते. आज हम आपको सबसे खूंखार सौनिक यानी कमांडो के बारे में बताने जा रहे हैं.
सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर सबसे खूंखार माने जाने वाले कमांडोज अंडरवियर क्यों नहीं पहनते? तो इसका गहरा कारण 1970 के दशक के अमेरिका और वियतनाम युद्ध से जुड़ा है. अमेरिकी फौज ने जब वियतनाम पर हमला किया तो उन्हें बहुत दुरूह परिस्थितियों से गुजरना पड़ा. ऐसी स्थिति, जो अमेरिकी सैनिकों ने कभी देखी तक नहीं थी. अमेरिका के मुकाबले वियतनाम का मौसम बहुत गर्म था और लड़ाई ज्यादातर जंगलों में लड़ी जा रही थी. युद्ध के दौरान अमेरिकी स्पेशल फोर्सेस के सैनिकों को ज्यादातर वक्त गर्मी और उसम भरे जंगलों में बिताना पड़ा. कीचड़-दलदल से भरे जंगल में तीखी धूप और उमस झेलते हुए दुश्मन से लड़ रहे थे. इससे शरीर में पसीना और धूल मिट्टी के कण चिपकने लगे. बदबू तैयार होने लगी.
वियतनाम की तीखी धूप, उमस और लगातार गीले रहने की वजह से अमेरिकी सैनिकों को टाइट अंडरवियर के नीचे फंगल इन्फेक्शन होने लगा. कई सैनिकों को तो ऐसा खतरनाक इंफेक्शन हुआ कि प्राइवेट पार्ट और आसपास की स्किन उतर गई. इसके बाद अमेरिकी फौज के डॉक्टरों ने सैनिकों, खासकर स्पेशल फोर्स के लिए एक एडवाइजरी जारी की. जिसमें साफ-साफ लिखा था- ‘गो कमांडो’ यानी अंडरवियर न पहनें. वियतनाम वॉर खत्म हुआ और अमेरिकी सैनिक वापस लौटे तो अमेरिकी मिलिट्री स्कूल में को ‘गो कमांडो’ मुहावरा खूब चर्चित हुआ.
अमेरिकी कमांडो से जुड़ा दूसरा किस्सा 1982 के फॉकलैंड्स वॉर से जुड़ा है. ब्रिटेन के रॉयल मरीन कमांडोज ने जब फॉकलैंड पर हमला किया तो उन्होंने कुछ ऐसा खा लिया, जिससे ज्यादातर सैनिक डायरिया की चपेट में आ गए. आला अफसरों के लिए यह बड़ी मुसीबत बन गया. सैनिकों को कहा गया कि बार-बार पैंट खोलने की झंझट से बचने के लिए बिना अंडरवियर ही रहें. इससे लड़ाई पर भी ध्यान दे पाएंगे.
कमांडोज (Commandos) के अंडरवियर न पहने से जुड़ा एक और किस्सा है, जो द्वितीय विश्व युद्ध से जुड़ा है. सेकेंड वर्ल्ड वॉर (Second World War) में अमेरिकी और ब्रिटिश कमांडोज, जमीन के साथ-साथ पानी में भी लड़ रहे थे. ऐसे में बार-बार अंडरवियर सुखाना संभव नहीं था. दूसरा, इससे इंफेक्शन और जलन जैसी समस्याएं होने लगती थीं. इससे बचने के लिए अंडरवियर पहनना ही छोड़ दिया. धीरे-धीरे दूसरे सैनिकों के बीच भी यह खासा लोकप्रिय हो गया.
अंग्रेजी का मुहावरा ‘गो कमांडो’ भी यहीं से आया है. साल 1996 में टीवी के चर्चित सीरियल ‘फ्रेंड्स’ में इस मुहावरे का पहली बार इस्तेमाल हुआ और इसके बाद यह धीरे-धीरे चर्चित हो गया. अब हॉलीवुड की तमाम फिल्मों, वेब सीरीज में इस मुहावरे का धड़ल्ले से इस्तेमाल होने लगा.
Forces.net की एक रिपोर्ट के मुताबिक चूंकि स्पेशल फोर्सेज या कमांडोज अक्सर हफ्ते या महीनों तक ऑपरेशन में शामिल रहते हैं. कभी जंगल तो कभी पहाड़, कभी पानी और कभी उमस वाले माहौल में ऑपरेशन को अंजाम देते हैं. अक्सर बैठे-बैठे या रेंगते हुए दुश्मन तक पहुंचना पड़ता है. इस माहौल में अंडरवियर के चलते इंफेक्शन का खतरा रहता ही है. दूसरा- ऑपरेशन के दौरान उन्हें नहाने-धोने का वक्त नहीं मिलता. बैकपैक में इतनी जगह नहीं होती कि अंडरवियर जैसी चीज कैरी कर सकें. बहुत महत्वपूर्ण और जीवनरक्षक चीजें ही ले जाने की इजाजत मिलती है.
यह ऑपरेशन के ड्यूरेशन पर निर्भर करता है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर कोई ऑपरेशन शॉर्ट ड्यूरेशन यानी कम समय का है तो कमांडोज अंडरवियर कैरी सकते हैं, लेकिन ऐसा लग रहा है कि ऑपरेशन लंबा खिंचेगा या युद्ध जैसे हालात बनेंगे तो अंडरवियर न पहनने की सलाह दी जाती है.
समय के साथ-साथ कमांडोज की ड्रेस में बदलाव किया जाता है. बदलती रही है, जिसमें अंडरवियर भी शामिल है. अमेरिका से लेकर यूरोप तक स्पेशल फोर्सेज के लिए अब खास तरह के शॉर्ट्स या अंडरवियर बनने लगे हैं, जो लाइक्रा के बने होते हैं. ये अंडरवियर पसीना सोख लेते हैं और एंटी फंगल होते हैं. ऐसे में इंफेक्शन वगैरह का खतरा बहुत कम होता है. First Updated : Saturday, 06 January 2024