350 Crore Cash Seized : कांग्रेस के राज्यसभा सांसद धीरज प्रसाद साहू और ओडिशा में एक डिस्टिलरी कंपनी के मालिक के ठिकानों आयकर विभाग की छापेमारी में अभी तक 350 करोड़ रुपये की नकदी बरामद हो चुकी है. इसके बाद भी नोटों की गिनती जारी है. ऐसे में आपके मन में यह सवाल तो जरूर आता होगा कि क्या पैसे जब्त हो जाएंगे. अगर इन पैसों को जब्त कर लिया जाता है इतने पैसे का क्या होगा. आज हम आपको ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब देंगे.
सबसे पहला सवाल यहीं से लेते हैं कि अगर किसी के पास काला धन या अवैध धन है तो उसको पकड़ने के लिए छापेमारी कौन करता है. तो देश में यह काम करने के लिए तीन एजेंसियां हैं. इनमें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और आयकर विभाग (आईटी) हैं. तीनों एजेंसियां भारत सरकार के अधीन हैं और ये आशंका या पुख्ता जानकारी होने पर किसी भी व्यक्ति के घर या उसके अन्य ठिकाने पर अचानक छापेमारी कर सकती हैं. इस काम में राज्य सरकारों की कोई भूमिका नहीं होती है.
तीनों एजेंसियों में कोई भी चाहे सीबीआई, ईडी या फिर आईटी छापेमारी में नकदी पकड़ती है तो सबसे पहले एजेंसी आरोपी से पैसों के स्रोत के बारे में जानकारी मांगती है. जब आरोपी संतोषजनक जवाब देने में विफल होता है तो नकदी को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून के तहत काला धन माना लिया जाता है. यहीं से नकदी को जब्त करने की कार्रवाई शुरू हो जाती है. अब एजेंसी अपने नजदीकी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारियों को बुलाती है. वहीं जब्त नकदी की पूरी डिटेल रिपोर्ट बनाई जाती है. बैंक नोटों की गिनती की प्रक्रिया शुरू करता है. गिनती पूरी होने के बाद निष्पक्ष गवाहों की उपस्थिति में नोटों को पेटियों में भरकर सील किया जाता है. फिर इसे एसबीआई शाखा ले जाया जाता है. वहां उस पूरे रकम को एजेंसी के पर्सनल डिपोजिट अकाउंट में जमा कराया जाता है. बाद में यह रकम केंद्र सरकार के खाते में जमा कराई जाती है.
किसी एजेंसी की छापेमारी भर से आरोपी दोषी साबित नहीं हो जाता है. इस पूरे मामले की सुनवाई कोर्ट में शुरू होती है. जब तक कोर्ट में केस पेंडिंग रहता, तब तक इस पैसे का कोई इस्तेमाल नहीं कर सकता. कोर्ट द्वारा आरोपी को दोषी ठहराने के बाद जब्त नकदी और कीमती चीजें सरकारी संपत्ति हो जाती हैं. केस में बरी होने पर आरोपी को ये सारे पैसे लौटा दिए जाते हैं.
इसके बारे में स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता. इस पूरे मामले को समझने के लिए हम दो साल पीछ चलते हैं. 23 दिसंबर 2021 को उन्नाव के इत्र कारोबारी पीयूष जैन के यहां छापेमारी में 196 करोड़ रुपये की नकदी और करोड़ों रुपये के सोने के जवर जब्त हुए थे. हालिया रिपोर्ट के मुताबिक इस केस में पीयूष जैन को जमानत मिल गई है. वह जेल से बाहर आ चुके हैं. लेकिन, अभी तक उनको पैसे वापस नहीं मिले हैं. रिपोर्ट के मुताबिक छापेमारी के कुछ दिन बाद ही पीयूष ने पेनाल्टी जमा करने की इच्छा जताई थी. उन्होंने 52 करोड़ रुपये पेनाल्टी भरने की बात कही थी. लेकिन, जीएसीट इंटेलिजेंस महानिदेशालय ने इसे खारिज कर दिया था. 24 मई, 2023 की हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार पीयूष जैन के ठिकानों से 196 करोड़ रुपये की नकदी और 23 किलो सोना बरामद किया गया था. जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय ने उन पर 497 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. पूरा मामला अब भी अदालत में है और पैसे एसबीआई बैंक में जमा हैं.
यदि आरोपी को यह लगता है कि उसके यहां छापेमारी गलत नीयत से की गई है. उसका लेन-देन साफ-सुथरा है और उसने कोई गड़बड़ी नहीं की है तो वह पूरे मामले को सीधे हाईकोर्ट में चुनौती दे सकता है. आरोपी के पास दूसरा रास्ता यह है कि वह आयकर अपील कमिश्नर के पास अर्जी लगाकार मामले की शिकायत करें. इस शिकायत में वह छापेमारी को चुनौती देने के साथ-साथ आयकर विभाग द्वारा उसकी संपत्ति के असेस्मेंट पर भी सवाल कर सकता है. इसके आधार पर आयकर विभाग को बताना होगा कि उसने किस तरीके से संपत्ति की गणना की है. First Updated : Monday, 11 December 2023