फर्जी बीमारी, करोड़ों की संपत्ति, अपने ऊपर लगे आरोपों पर बोली पूजा खेडकर
Pooja Khedkar: पूजा पर आरोप लगे हैं कि, उन्होंने यूपीएससी परीक्षा पास करने के लिए दिव्यांगता का सर्टिफिकेट दिखाया था. विकलांगता के कारण ही उन्हें रियायत दी गई थी. इस बीच आज (11 जुलाई) को पुणे पुलिस पूजा खेडकर के घर पहुंची और उस ऑडी कार की जांच की, जिसका इस्तेमाल वह सेवा नियमों का उल्लंघन करते हुए कर रही थीं.
Pooja Khedkar: महाराष्ट्र की ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर एक बार फिर चर्चा का विषय बन गई हैं. इस बार पूजा के आईएएस नियुक्ती के ऊपर सवाल खड़े किए जा रहे हैं. मिली जानकारी अनुसार, पूजा पर आरोप लगे हैं कि, उन्होंने यूपीएससी परीक्षा पास करने के लिए दिव्यांगता का सर्टिफिकेट दिखाया था. विकलांगता के कारण ही उन्हें रियायत दी गई थी. इस बीच आज (11 जुलाई) को पुणे पुलिस पूजा खेडकर के घर पहुंची और उस ऑडी कार की जांच की, जिसका इस्तेमाल वह सेवा नियमों का उल्लंघन करते हुए कर रही थीं.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पुणे के पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने कहा, "पुणे पुलिस उस ऑडी कार की जांच करेगी, जिसका इस्तेमाल ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर कर रही थीं. "संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) परीक्षा में अखिल भारतीय स्तर पर 821वीं रैंक हासिल करने वाली प्रोबेशनरी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर को पुणे से महाराष्ट्र के वाशिम जिले में ट्रांसफर कर दिया गया है. उन पर अपने पद का मिसयूज करने का आरोप है. इस बीच अपने ऊपर लगे आरोपों पर पूजा ने पहली प्रतिक्रिया सामने आई है. पूजा ने अपने ऊपर लगे आरोपों पर कहा कि उन्हें इस मामले पर बोलने का अधिकार नहीं है और उन्हें जो जिम्मेदारी दी गई है वह उसे निभाने के लिए उत्सुक हैं.
पूजा पर पद का मिसयूज करने का आरोप
एक रिपोर्ट के अनुसार, वह पुणे में सहायक कलेक्टर(assistant collector) के पद पर तैनात थीं. उन्होंने ऐसी सुविधाएं लीं जो प्रोबेशनरी अधिकारियों को नहीं मिलतीं. उन्होंने कथित तौर पर अपनी प्राइवेट ऑडी कार पर लाल-नीली बत्ती और महाराष्ट्र सरकार का बोर्ड लगाया था. उन्होंने बिना अनुमति के एडिशनल कलेक्टर अजय मोरे के चैंबर पर भी कब्जा कर लिया. इसके साथ ही उन्होंने अधिकारी की अनुमति के बिना कार्यालय का फर्नीचर भी हटा दिया.
इस दौरान पुणे के कलेक्टर सुहास दिवासे द्वारा महाराष्ट्र के मुख्य सचिव को पत्र लिखे जाने के बाद पूजा खेडकर का ट्रांसफर कर दिया गया. वहीं कुछ रिपोर्टों के अनुसार, खेडकर के पिता - जो एक रिटायर्ड प्रशासनिक अधिकारी हैं और जिन्होंने हाल ही में अहमदनगर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा था. उन्होंने अपनी बेटी की मांगों को पूरा करने के लिए जिला कलेक्टर कार्यालय पर दबाव डाला था.
नियुक्ति पर खड़े हुए सवाल
इस बीच, आरटीआई कार्यकर्ता विजय कुंभार ने दावा किया कि पूजा खेडकर की नियुक्ति संदिग्ध है. उन्होंने कहा कि वह ओबीसी नॉन-क्रीमी लेयर कैटेगरी में नहीं आती हैं, क्योंकि उनके पिता के पास 40 करोड़ रुपये की संपत्ति है.
उन्होंने कहा, "नियमों के अनुसार, केवल वे लोग ओबीसी गैर-क्रीम लेयर कैटेगिरी में आते हैं जिनके माता-पिता की आय 8 लाख रुपये प्रति वर्ष से कम है, लेकिन उनकी आय 40 करोड़ रुपये दिखाई गई है. उनके माता-पिता ने हाल ही में लोकसभा चुनाव लड़ा था और हलफनामे में सभी संपत्ति का विवरण है."
फर्जी सर्टिफिकेट जमा किए
एक अधिकारी ने मीडिया को बताया कि महाराष्ट्र कैडर की 2022 बैच की आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर ने सिविल सेवा परीक्षा पास करने के लिए कथित तौर पर फर्जी विकलांगता और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) सर्टिफिकेट जमा किए.
अधिकारी ने बताया कि खेडकर ओबीसी और ब्लाइन्ड कैटेगरी के तहत सिविल सेवा परीक्षा में शामिल हुई थीं, उन्होंने मानसिक बीमारी का प्रमाण पत्र भी जमा किया था. अधिकारी ने बताया कि अप्रैल 2022 में उन्हें अपने विकलांगता सर्टिफिकेट के सत्यापन के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली में रिपोर्ट करने के लिए कहा गया था, लेकिन उन्होंने कोविड संक्रमण का हवाला देते हुए ऐसा नहीं किया.